उत्तराखंड में 3 साल में 2.15 लाख व्यक्तियों की आंखों की रोशनी लौटेगी, जानिए क्या है राष्ट्रीय नेत्र ज्योति अभियान
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देहरादून। राष्ट्रीय नेत्र ज्योति अभियान के तहत आगामी तीन वर्षों (2022-25) में राज्य में मोतियाबिंद के 2.15 लाख आपरेशन किए जाएंगे। जिसकी कार्ययोजना तैयार कर ली गई है। जिसके तहत निजी चिकित्सालयों को भी अनिवार्य रूप से मोतियाबिंद के आपरेशन का ब्योरा एनपीसीबीवीआइ पोर्टल पर अपलोड करना होगा। वहीं, इस अभियान के तहत अधिकाधिक गैर-सरकारी संगठनों को भी अनुबंधित किया जा रहा है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की निदेशक डा. सरोज नैथानी ने बताया कि राष्ट्रीय नेत्र ज्योति अभियान के संचालन के लिए समस्त जनपदों में प्रशिक्षण प्रदान कर दिया गया है। राज्य स्तर की अनुश्रवण समिति जनपदों के कार्यों की नियमित समीक्षा भी की जाएगी। डा. नैथानी ने बताया कि नेत्र सहायक समस्त विकासखंडों में चिह्नित व्यक्तियों की स्क्रीनिंग कर जिला व उप जिला चिकित्सालयों में रेफर करेंगे। जिन राजकीय चिकित्सालयों में नेत्र देखभाल संबंधित सेवाएं प्रदान की जा रही हैैं, वहां मानव संसाधन की तैनाती सुनिश्चित की जा रही है। प्रतिदिन मोतियाङ्क्षबद आपरेशन का ब्योरा एनपीसीबीवीआइ पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में देश में अंधता का प्रसार 0.36 प्रतिशत है। 2015-2018 की सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराखंड में 50 वर्ष से अधिक उम्र के लगभग 66 हजार व्यक्ति अंधता एवं 64 हजार आंख के गंभीर रोग का सामना कर रहे हैं। यह भी अनुमान है कि अंधता व आंख के गंभीर रोग से पीड़ित व्यक्तियों की संख्या में प्रतिवर्ष 20 प्रतिशत की वृद्धि हो रही है। ऐसे में राज्य को आगामी तीन वर्षों के लिए दो लाख 15 हजार 400 मोतियाङ्क्षबद आपरेशन का लक्ष्य प्राप्त हुआ है। जिसमें 2022-23 में 59 हजार 800 आपरेशन होने हैैं। इसी क्रम में अल्मोड़ा को 2,200, बागेश्वर को 2,000, चमोली को 2,000, चंपावत को 1,800, देहरादून को 10,000, हरिद्वार को 11,000, नैनीताल को 5,800, पौड़ी गढ़वाल को 6,000, पिथौरागढ़ को 2,000, रूद्रप्रयाग को 3,000, टिहरी गढ़वाल को 2,800, ऊधमङ्क्षसह नगर को 8500 व उत्तरकाशी को 2,700 आपरेशन का लक्ष्य दिया गया है।
बता दें, वर्तमान में राज्य में 49 नेत्र सर्जन, 102 दृष्टिमितिज्ञ और 17 अनुबंधित निजी चिकित्सालय/ गैर सरकारी संगठन कार्यरत हैं। साथ ही चार राजकीय मेडिकल कालेज, दो निजी मेडिकल कालेज और एम्स ऋषिकेश में भी नेत्र रोग विभाग क्रियाशील हैं।
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