एक्जिट पोल और रूझान में यमकेश्वर विधानसभा सीट पर भाजपा का किला बना रहेगा या फिर मजबूत विपक्ष बनेगा, देखिये क्या कहते हैं सियासी जानकारों के ऑकड़े
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यमकेश्वर। उत्तराखण्ड में 10 मार्च को स्पष्ट हो जायेगा कि इस बार सियासत की डोर भाजपा के हाथों पर जायेगी या फिर कांग्रेस इस बार डोर स्वंय संभोलगी। एक्जिट पोल के अनुसार कुछ उत्तराखण्ड में बीजेपी की सरकार, तो कुछ सर्वे कांग्रेस की सरकार बनता दिखा रहे हैं। वैसे स्थानीय चैनलों की बात की जाय तो उनका मानना है कि उत्तराखण्ड में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत मिलना कम सही संभव नजर आ रहा है, इस बारे दोनों दलों में कॉटे की टक्कर देखने को मिल सकती है।
उत्तराखण्ड सरकार में बहुमत लाने के लिए 36 का ऑकड़ा किसी भी दल के लिए प्राप्त करना होता है, जो दल 36 का ऑकड़ा प्राप्त कर लेता है, उसकी सरकार बनती है। ऐसे में 70 विधानसभा सीट में क्रम संख्या 36 पर यमकेश्वर की सीट है। इस सीट पर पिछले चार विधानसभा में बीजेपी से ही विधायक सत्तासीन रहा है। इसलिए यमकेश्वर को भाजपा का अभेद्य गढ माना जाता है। पिछली बार 2017 में बीजेपी की ओर से ऋतु खण्डूरी ने यमकेश्वर से भारी रिकॉर्ड मतों से विजयी होकर विधायक बनकर नेतृत्व किया था। लेकिन इस बार पार्टी हाईकमान ने प्रत्याशियों के चयन में उलटफेर करते हुए ऋतु खण्डूरी को कोटद्वार से और पिछले 2017 में निर्दलीय उम्मीदवार रही रेनू बिष्ट को टिकट देकर 2022 में मैदान में उतारा है। वहीं काग्रेंस की ओर से शैलेन्द्र रावत बतौर विधायक प्रत्याशी चुनाव लड़ा है। वहीं यूकेडी से शांतिप्रसाद भट्ट, आम आदमी पार्टी से अविरल बिष्ट और समाजवादी पार्टी से बीरेन्द्र प्रसाद ने चुनाव लड़ा है, और इन सबका भाग्य अभी ईवीएम में कैद है।
यमकेश्वर विधानसभा में कुल 86774 मतदाता रजिस्ट्रड थे जिनमें से 46155 मतदाताओं ने इन प्रत्याशियों के भाग्य के फैसले पर अपनी मोहर लगायी है। इस बार कुल 53.19 प्रतिशत मतदान हुआ है। राजनीति के सियासतकरों का मानना है कि यह मत प्रतिशत बता रहा है कि इस बार यमकेश्वर से कुछ अप्रत्याशित परिणाम देखने को मिल सकते है। पिछली बार 2017 में जहॉ भाजपा लगभग 9 हजार मतो से विजयी हुई थी इस बार जीत का मत अंतर बहुत कम होन के आसार नजर आ रहे हैं।
यमकेश्वर विधानसभा में इस बार पार्टी निशान से ज्यादा प्रत्याशी के चेहरे पर मतदान होना बताया जा रहा हैं। हालांकि भाजपा जहॉ अपने मतों का अनुमान 27500 तक बता रही है वहीं काग्रेंस भी परिवर्तन की लहर को देखते हुए जीत के प्रति पूरी तरह आश्वस्त नजर आ रही है। वहीं दूसरी ओर इस बार यूकेड़ी का मत प्रतिशत पिछले 2017 के चुनाव की अपेक्षा बढ सकता है। यदि ऑकड़ों पर गौर किया जाय तो राजनीति के अंकगणीतज्ञ और बीज गणित के सूत्रधारों का मानना है कि इस बार यूकेड़ी जितनी बढत लेगी उतना ही भाजपा का मत अंतर बढेगा और इसका फायदा कांग्रेंस को होगा। यह तो 10 मार्च को ही पता चल पायेगा कि इस बार जनता ने अपना विधायक किसको चुना है। लेकिन जहॉ तक भाजपा भी अभी तक मतदाताओं की चुप्पी को देखते हुए संशय में है, और काग्रेंस भी मत अंतरों को देखते हुए मौन हैं। लेकिन जिस तरह से पूरे चुनाव में माहौल देखने को मिला और तमाम सर्वे रिपोर्ट में यमकेश्वर में परिवर्तन के आसार बनते नजर आ रहे हैं, हालांकि यह कहना जल्दबाजी होगा कि इस बार बीजेपी का किला ढहेगा या फिर उन्हें विपक्ष में बैठने का अवसर मिलेगा। दो दिन में स्थिति साफ होने पर ही इन सब परतो से पर्दा उठ जायेगा, और यमकेश्वर को भावी विधायक मिल जायेगा।
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