चार धाम यात्रा के अनुभवों को डॉक्यूमेंटेशन करने की जरूरत बताई, एसडीसी फाउंडेशन ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर दिया सुझाव
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“कैप्चरिंग, कंसॉलिडेटिंग एंड कम्यूनिकेटिंग चार धाम यात्रा-2022 एक्सपेरिएन्सेज” की है ज़रूरत
देहरादून । देहरादून स्थित एसडीसी फाउंडेशन ने उत्तराखंड की चार धाम यात्रा के विभिन्न अनुभवों को एकत्रित कर उनके डॉक्यूमेंटेशन की जरूरत बताई है, ताकि आने वाले वर्षों में इन अनुभवों का लाभ उठाया जा सके। इस तरह के डॉक्यूमेंटेशन को ’कैप्चरिंग, कंसॉलिडेटिंग एंड कम्यूनिकेटिंग चार धाम यात्रा-2022 एक्सपेरिएन्सेज’ नाम देने का भी सुझाव दिया गया है।
एसडीसी फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल ने इस बारे में मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि यात्रा सीजन में जो अधिकारी और कर्मचारी यात्रा संबंधी व्यवस्थाओं में लगे होते हैं, उनके सामने मुख्य रूप से कौन सी चुनौतियां आई और इन चुनौतियों से निपटने के लिए उन्होंने क्या कदम उठाये, इसे कहीं एकत्रित नहीं किया जाता। अगले वर्षों में जब नए अधिकारी और कर्मचारी आते हैं तो उनके पास कोई पुराना अनुभव नहीं होता और चुनौतियों से निपटने के लिए उन्हें नये सिरे से काम करना पड़ता है।
अपने पत्र में एसडीसी फाउंडेशन ने सुझाव दिया है कि तीर्थयात्रा की चुनौतियों और अनुभवों के डॉक्यूमेंटेशन में तीर्थ यात्रा से जुुड़े सभी लोगों को शामिल किया जाए। सभी जिलाधिकारी , स्वास्थ्य विभाग से जुड़े लोग, पुलिस और तीर्थ यात्रा से जुड़े अन्य सभी विभागों के लोगों से संवाद किया जाए। यात्रा के दौरान उनके अनुभव क्या रहे, इस पर उनसे बातचीत की जाए और तीर्थ यात्रियों, टूरिज्म स्टेकहोल्डर्स, पुरोहितों, घोड़े खच्चर वालों से भी बात की जाए। सभी केे अनुभवों का डॉक्यूमेंटेशन ’कैप्चरिंग, कंसॉलिडेटिंग एंड कम्यूनिकेटिंग चार धाम यात्रा-2022 एक्सपेरिएन्सेज’ जैसे किसी नाम से किया जाए।
एसडीसी फाउंडेशन के अनुसार यदि तीर्थ यात्रा से जुड़े सभी सभी के अनुभवों का डॉक्यूमेंटेशन करके आने वाले वर्षों की यात्रा प्रबंधन में नियुक्त अधिकारियों और कर्मचारियों को उपलब्ध करवाया जाए तो उन्हें जीरो से काम शुरू नहीं करना पड़ेगा । पिछले अनुभवों का लाभ वे कई चुनौतियों का सामना करने में उठा सकेंगे। इससे श्रम, समय और पूंजी की भी बड़ी बचत होगी।
पत्र में यह भी सुझाव दिया गया है कि डॉक्यूमेंटेशन का काम राज्य के विश्वविद्यालयों और मैनेजमेंट संस्थानों को सौंपा जाए। राज्य में ऐसे तमाम विश्वविद्यालय और संस्थान हैं जो ये काम आसानी से कर सकते हैं। पत्र में कहा गया है कि इस तरह के डॉक्यूमेंटेशन कुंभ मेला, कांवड़ मेला आदि आयोजनों के लिए भी किया जाना चाहिए, ताकि आने वाले वर्षों में इससे सुविधा मिल सके।
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