देवस्थानम बोर्ड के बाद अब नजूल का मुद्दा, BJP MLA ने किया बड़ा दावा तो कांग्रेस ने कहा डर गई सरकार
[ad_1]
चंदन बंगारी
रुद्रपुर. विधानसभा चुनाव नज़दीक आते ही नजूल भूमि पर मालिकाना हक का मुद्दा जोर पकड़ने लगा है. इस बारे में सरकार की ओर से भेजे गए अध्यादेश को राजभवन ने लौटा दिया, जिसके बाद सियासत भी तेज़ हो गई है. एक तरफ उत्तराखंड की सरकार यानी बीजेपी के स्थानीय विधायक कह रहे हैं कि गरीबों के हित में अध्यादेश लाया जाएगा और विधानसभा के शीतकालीन सत्र में ही कानून बना दिया जाएगा. वहीं, कांग्रेस इसे राज्य सरकार की नाकामी बता रही है और वरिष्ठ नेता यशपाल आर्य का कहना है कि भाजपा चुनाव में हार के डर से आनन फानन में कदम उठाकर लोगों को भरमाने में लगी है.
नजूल एक तरह से सरकारी जमीन है और इस पर काबिज लोगों को अतिक्रमणकारी माना जाता है. नैनीताल, उधमसिंह नगर और देहरादून में हजारों परिवार दशकों से नजूल भूमि पर बसे हैं. 2009 में भाजपा सरकार ने नजूल पॉलिसी लागू की थी, जिसमें कई संशोधन होते रहे, लेकिन 2018 में त्रिवेद्र सिंह रावत सरकार के समय हाई कोर्ट ने नजूल पॉलिसी को पूरी तरह खारिज कर दिया था. इसका नतीजा ये रहा कि हज़ारों लोगों को मालिकाना हक नहीं मिल पाया. अब ये मुद्दा 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले फिर खड़ा हो गया है.
बीजेपी विधायक ने किया बड़ा दावा
रुद्रपुर के विधायक राजकुमार ठुकराल ने दावा किया है कि विधानसभा के इसी सत्र में 9 और 10 दिसंबर को गरीबों के हक में अध्यादेश लाया जाएगा. नजूल वासियों को मालिकाना हक नहीं मिलने पर चुनाव नहीं लड़ने तक का ऐलान कर चुके ठुकराल राज्यपाल द्वारा नजूल अध्यादेश लौटाने से चिंतित तो हैं, लेकिन आचार संहिता से पहले इस मुद्दे के हल होने को लेकर आश्वस्त भी हैं. उनका कहना है कि राज्यपाल को दोबारा अध्यादेश भेजा जाएगा और वह यकीनन उस पर दस्तखत करेंगे.
उत्तराखंड में नजूल की भूमि पर लाखों लोग बसे हुए हैं.
कांग्रेस ने बताया चुनाव में हार का डर
इस मुद्दे पर कांग्रेस ने आरोप लगाया कि साढ़े चार साल के कार्यकाल में भाजपा ने कुछ नहीं किया, जो किया वह जनविरोधी कदम थे. भाजपा छोड़कर कांग्रेस में फिर शामिल हो चुके यशपाल आर्य ने इस मामले में कहा कि भाजपा को आगामी चुनाव में हार का डर सताने लगा है इसलिए वह अपनी सालों की सुस्ती को खत्म कर चुनाव से पहले लोगों को भरमाने के लिए रोज़ कुछ न कुछ घोषणा कर रही है.
आखिर कितना अहम और बड़ा है ये मुद्दा?
नजूल भूमि पर काबिज रहकर चुनाव लड़ने पर रामनगर में चार सभासद बर्खास्त हो चुके हैं. रुद्रपुर में पूर्व मेयर और 16 पार्षदों के चुनाव लड़ने पर पांच साल की रोक भी लगी है. नजूल का मामला प्रदेश की 21 विधानसभाओं से जुड़ा है. केवल रुद्रपुर में 22 हजार परिवार नजूल भूमि पर काबिज़ हैं. इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि कितनी बड़ी आबादी इस मुद्दे से सीधे ताल्लुक रखती है. लाखों वोटर्स से जुड़ा होने की वजह से हर चुनाव में ये मुद्दा अहम रहा है. अहम ये है कि सियासी दलों से अलग हज़ारों परिवारों की आस भी इस मुद्दे से टिकी है.
आपके शहर से (ऊधमसिंह नगर)
पढ़ें Hindi News ऑनलाइन और देखें Live TV News18 हिंदी की वेबसाइट पर. जानिए देश-विदेश और अपने प्रदेश, बॉलीवुड, खेल जगत, बिज़नेस से जुड़ी News in Hindi. हमें Facebook, Twitter, Instagram और Telegram पर फॉलो करें.
Tags: Uttarakhand Assembly Election 2022, Uttarakhand BJP, Uttarakhand Congress, Uttarakhand news, Uttarakhand politics
[ad_2]
Source link