उत्तराखंड

देवताओं को धरती पर बुलाने के लिए लगती है जागर, जानिए इसके बारे में सब कुछ

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देवभूमि उत्तराखंड को 33 कोटि देवी-देवताओं का निवास स्थान माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि जब-जब धरती पर पाप बढ़ता है, तब-तब भगवान ने पृथ्वी पर मानव रूप लेकर धरती को पापों से मुक्त कराया है. ज्यादातर यह कथन फिल्मों या धारावाहिक में सुना जाता है लेकिन उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में यह हमेशा से होता आया है, जहां पर ”जागर” में देवता इंसानों में अवतरित होकर जनता के दुख दर्द को दूर करने के लिए साक्षात दर्शन देते हैं.

आपको यह जानकर हैरानी हो रही होगी लेकिन पहाड़ों में हर वर्ग, हर भाषा, हर क्षेत्र में अलग-अलग देवी-देवताओं की पूजा की जाती है, जिन्हें स्थानीय भाषा में ईष्ट देव कहा जाता है. पहाड़ों में अलग-अलग गांवों के ईष्ट भी अलग-अलग होते हैं, जिनका उस क्षेत्र और उस क्षेत्र की जनता पर अधिकार होता है और पहाड़ों में यह परंपरा सदियों से चली आ रही है.

चाहें किसी को न्याय दिलाने की बात हो या किसी के कष्ट हरने की, गांव पर आई विपदा से बचने के लिए गांव वाले अपने ईष्ट देव का आह्वान करते हैं, जिसे स्थानीय भाषा में जागर कहा जाता है. जागर का अर्थ है, देवता को जगाना. देवताओं की शक्ति का उल्लेख गीतों और पारंपरिक वाद्य यंत्रों से देवताओं को जगाया जाता है और फिर भगवान अवतरित होकर लोगों की समस्या का समाधान करते हैं.

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