उत्तराखंड

जानिए कौन है वरिष्ठ नौकरशाह अवनीश कुमार अवस्थी जिनके मुरीद हुए सीएम पुष्कर सिंह धामी

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देहरादून। उत्तरप्रदेश के वरिष्ठ नौकरशाह अवनीश कुमार अवस्थी की कार्यशैली के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मुरीद हो गए हैं। अवस्थी कुछ दिन पहले यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उत्तराखंड प्रवास के दौरान हरिद्वार और यमकेश्वर पहुंचे थे। इन दोनों स्थानों पर योगी के कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ नौकरशाह ने जिस अंदाज में अपने कर्तव्य का निर्वहन किया, उसने सीएम धामी को उत्तराखंड की नौकरशाही के तौरतरीकों में झांकने को मजबूर कर दिया।

बुधवार को सुशासन पर एक महत्वपूर्ण बैठक के दौरान वरिष्ठ नौकरशाहों के सामने यूपी के नौकरशाह का नजीर देने से खुद को नहीं रोक पाए। प्रदेश के नौकरशाहों को नसीहत देने के अंदाज में उन्होंने कहा कि यूपी के एक एसीएस स्तर के अधिकारी स्वयं अतिथियों के पास जाकर उनका सत्कार कर रहे थे। उन्हें ऐसा करने के कोई निर्देश नहीं होंगे, लेकिन वह अपने मन से ऐसा कर रहे थे, ताकि सीएम, सरकार और शासन की छवि का अच्छा प्रभाव दिखे। आए अतिथियों को भी सम्मान महसूस हो।

सीएम ने प्रश्न छोड़ा कि क्या हमारे यहां तहसीलदार स्तर का अधिकारी भी ऐसा करेगा? मुख्यमंत्री के कहने का आशय यह था कि शासन, प्रशासन और जन सरोकारों से जुड़े सभी कार्यों के लिए हमेशा दिशा-निर्देशों की आवश्यकता नहीं होती। जनता को सुविधाएं मिलें, सरकारी तंत्र बेहतर ढंग से काम करे, इसके लिए अधिकारियों और कर्मचारियों को स्वतरू स्फूर्त ढंग से काम करना होता है।

मुख्यमंत्री से पहले मुख्य सचिव भी कर चुके हैं टिप्पणी
यूपी के 1987 बैच के आईएएस अधिकारी अवनीश कुमार अवस्थी का उदाहरण देकर मुख्यमंत्री ने प्रदेश की नौकरशाही को एक तरह से सीख भी देनी चाही ताकि वे अपनी कार्यशैली में बदलाव लाएं और दिलचस्पी के साथ सेवा भाव से काम करें। यह संयोग है कि प्रदेश की नौकरशाही के कामकाज के तौर-तरीकों को लेकर मुख्यमंत्री से पहले मुख्य सचिव भी टिप्पणी कर चुके हैं।

दो दिन पहले ही मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु को सचिवालय में तैनात सभी विभाग प्रमुखों को ताकीद करना पड़ा कि वे समीक्षा बैठकों में पूरी तैयारी के साथ आएं। यह बड़ा प्रश्न है कि उच्चाधिकारी बैठकों में शामिल होने से पहले विषयों की तैयारी क्यों नहीं करते? उन्हें बैठकों में जवाब देने के लिए अपने अधीनस्थों पर निर्भर क्यों रहना पड़ता है? जानकारों के मुताबिक यह भी देखना होगा कि बैठकों से पहले नौकरशाहों को उसमें शामिल होने के लिए कितना समय मिल रहा है।

कई बार विभागीय मंत्री और उच्चाधिकारियों की बैठकें एक ही दिन में कई बार समय के कम अंतर में होती हैं। राजभवन और विधानसभा के स्तर पर भी कई बार बैठकें बुलाई जाती हैं। इन बैठकों के मध्य मुख्यमंत्री की भी लगातार बैठकें होती हैं। इन बैठकों के बीच नौकरशाहों के पास होमवर्क का कितना समय बचता है, यह भी गौर करने वाली बात है। लेकिन सरकारी तंत्र की ये सारी व्यवस्थाएं उत्तरप्रदेश में भी हैं। इन सबके बीच अपर मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी की स्वतरू स्फूर्त सक्रियता पर मुख्यमंत्री का कायल होना बेवजह नहीं है।



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