अंतरिक्ष के बाद समुद्र की गहराई में जाने की तैयारी, 2024 में 3 वैज्ञानिकों को लेकर जाएगा समुद्रयान
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नई दिल्ली: अंतरिक्ष कार्यक्रमों (Space Mission) में कामयाबी के बाद अब भारत समुद्र मिशन पर जाने की तैयारी कर रहा है. इसी कड़ी में 2024 में भारत समुद्र की 5 हजार मीटर गहराई में अपने 3 वैज्ञानिकों के दल को भेजेगा. साइंस एंड टेक्नोलॉजी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह (Minister Jitendra Singh) ने इस बात की जानकारी दी. 29 अक्टूबर को उन्होंने मिशन समुद्रयान (Samudrayan) को लॉन्च किया था. इस मिशन को देश का पहला डीप सी ओसियन मिशन (Deep Ocean Mission) कहा गया है और इसकी मदद से भारत चीन, रूस, जापान, फ्रांस और अमेरिका जैसे उन देशों की श्रेणी में शामिल हो जाएगा. जिनके पास गहरे समुद्र के अंदर होने वाली गतिविधियों को जानने के लिए समुद्रयान है.
भारत के समुद्रयान की निगरानी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओसियन टेक्नोलॉजी करेगा, जो कि डीप ओसियन मिशन का हिस्सा होगा. इस मिशन का कुल बजट 5 सालों के लिए 4077 करोड़ होगा. केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार ने हाल ही में डीप ओसियन मिशन को मंजूरी दी है. इस परियोजना के तहत अक्टूबर में समुद्रयान को 500 मीटर की गराई में रिसर्च के लिए उतारा गया है. हालांकि अब इस समुद्रयान को नए सिरे से मानव मिशन के लिए तैयार किया जा रहा है, जिसका लक्ष्य है
कि 2024 तक 3 यात्रियों को लेकर यह समुद्रयान 5 किलोमीटर की गहराई तक समुद्र में उतरे.
जितेंद्र सिंह ने बताया कि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के विभिन्न प्रयोगशालाओं के साथ-साथ इसरो भी इस दिशा में काम कर रहा है. समर्सिबल व्हीकल मत्स्य 6000 के प्रारंभिक डिजाइन को इसरो, आईआईटीएम और डीआरडीओ की मदद से पूरा किया गया है. यह वाहन 2024 की दूसरी तिमाही तक परीक्षण के लिए तैयार हो जाएगा. वहीं 500 मीटर की गहराई तक के ट्रायल के लिए इसका टेस्ट 2022 के दूसरे क्वार्टर में होने की संभावना है.
पीआईबी द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि, इस तकनीक की मदद से समुद्र की गहराई में पाए जाने वाले खनिज पदार्थों व संसाधनों के बारे में जानकारी जुटाई जाएगी. हिन्द महासागर में 3 लाख वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर पालिमैटालिक सामग्री समुद्र की तलहटी में मौजूद है. इसे प्रोसेस करके बड़ी मात्रा में कोबाल्ट, मैगनीज और कॉपर निकाला जा सकता है.
स्वदेश में निर्मित इस समुद्रयान में 3 लोगों को ले जाने की क्षमता है. मत्स्य की डेप्थ कैपिसिटी करीब 6 हजार मीटर है, जबकि चीन द्वारा विकसित मानव को ले जाने वाले समर्सिबल की क्षमता करीब 11 हजार मीटर है.
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