दिवाली खत्म, पटाखों पर रोक के खिलाफ याचिका जारी रखने का कोई औचित्य नहीं: कोर्ट
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नयी दिल्ली. दिल्ली उच्च न्यायालय (DELHI HIGH COURT) ने पटाखों की बिक्री, भंडारण और उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध (Firecracker Ban) के खिलाफ दिवाली से पहले दायर याचिका का सोमवार को निपटारा करते हुए कहा कि त्योहार समाप्त होने के बाद इस प्रकरण को जारी रखने का कोई औचित्य नहीं है. याचिका में दिल्ली सरकार (Delhi Government) के 15 सितंबर के उस आदेश में संशोधन की मांग की गई थी, जिसमें प्रदूषण की वजह से सभी तरह के पटाखों पर प्रतिबंध लगाया गया था.
याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा था कि पूर्ण प्रतिबंध के बजाय, अधिकारियों को हरित पटाखे या ग्रेडेड रेगुलेशन का विकल्प चुनना चाहिए. अदालत ने एक आदेश के जरिये इस साल चार नवंबर को मनाई गई दिवाली से पहले पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था. मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने कहा कि याचिका दिवाली त्योहार से पहले दायर की गई थी. लेकिन अब यह त्योहार संपन्न हो चुका है.
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राहुल सांवरिया और तनवीर की याचिका पर हुई सुनवाई
पीठ ने कहा कि ‘हमें याचिका जारी रखने का कोई औचित्य नहीं दिखता है.’ पीठ ने कहा, ‘याचिका का निपटारा किया जाता है.’ उच्च न्यायालय राहुल सांवरिया और तनवीर की याचिका की सुनवाई कर रहा था. याचिका में दावा किया था कि दिल्ली सरकार का पटाखे पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का निर्णय अधिकारों के दुरुपयोग की मिसाल है, क्योंकि शीर्ष अदालत ने कभी भी राष्ट्रीय राजधानी में पटाखों की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का आदेश नहीं दिया था.
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पटाखों पर प्रतिबंध मनमानापूर्ण और अतार्किक था : याचिकाकर्ता
याचिकाकर्ताओं ने अधिवक्ता गौतम झा के माध्यम से कहा था कि वे 15 सितंबर के आदेश में संशोधन की मांग कर रहे हैं, जिसमें प्रदूषण की चिंताओं के मद्देनजर दिवाली के त्योहार के दौरान सभी प्रकार के पटाखों के भंडारण, बिक्री और फोड़ने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है. वकील ने आगे कहा था कि पूर्ण प्रतिबंध के बजाय अधिकारियों को हरित पटाखों या ग्रेडेड रेगुलेशन का विकल्प चुनना चाहिए था . याचिकाकर्ताओं का कहना था कि पटाखों पर प्रतिबंध मनमानापूर्ण और अतार्किक था.
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