Doctors Strike: रेजिडेंट्स डॉक्टर्स की हड़ताल से दिल्ली में चरमरा सकती है व्यवस्था, जानें क्यों मच रहा है बवाल?
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नई दिल्ली. नीट-पीजी 2021 काउंसलिंग (NEET PG Counselling) में देरी के कारण दिल्ली के साथ देशभर के रेजिडेंट डॉक्टर्स कई दिन से हड़ताल (Doctors Strike) कर रहे हैं. रेजिडेंट डॉक्टर्स ने पहले 27 नवंबर से ओपीडी सेवा ठप की थीं, तो सोमवार यानी आज से इमरजेंसी सेवाएं बंद करने के ऐलान से हड़कंप मच गया है. वहीं, रेजिडेंट डॉक्टरों के संगठन फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (एफओआरडीए) द्वारा बुलाई गई इस हड़ताल को राष्ट्रीय और राज्य आरडीए का भरपूर समर्थन मिल रहा है. बता दें कि इस हड़ताल में दिल्ली के साथ-साथ कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात समेत अन्य कई राज्यों ने डॉक्टर शामिल हैं.
यही नहीं, रेजिडेंट डॉक्टर द्वारा इमरजेंसी सेवाएं बंद करने का ऐलान दिल्ली में ज्यादा असर डाल सकता है, क्योंकि इसमें केंद्र सरकार द्वारा संचालित आरएमएल अस्पताल (RML Hospital), सफदरजंग अस्पताल और लेडी हार्डिंग अस्पताल शामिल हैं. इन सभी अस्पतालों में दिल्ली के अलावा अन्य राज्यों के मरीज इलाज के लिए आते हैं. वहीं, इससे पहले ओपीडी सेवा ठप करने का ऐलान सिर्फ तीन अस्पतालों ने किया था, लेकिन इसका असर दिल्ली के सात अस्पतालों में देखने को मिला था, क्योंकि अन्य जगह के रेजिडेंट डॉक्टर भी उनके समर्थन में आ गए थे. इसमें बाबा अंबेडकर, डीडीयू हॉस्पिटल, मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज और राम मनोहर लोहिया अस्पताल शामिल थे. अगर फिर से ये अस्पताल रेजिडेंट डॉक्टर के समर्थन में आ गए तो दिल्ली के हालात बदतर हो सकते हैं.
जानें क्या है मामला?
नीट पीजी काउंसलिंग में देरी की वजह से देशभर के 10 हजार से ज्यादा रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर हैं. इससे पहले अलावा फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (FORDA) की ओर से कहा गया था कि हम मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से मिले सकारात्मक परिणामों के लिए इंतजार कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट नीट परीक्षा में ओबीसी के लिए 27 फीसदी और ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लिए 10 फीसदी आरक्षण प्रदान करने वाले केंद्र और मेडिकल काउंसिलिंग समिति (एमसीसी) की अधिसूचनाओं के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है. हालांकि केंद्र ने 25 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि उसने ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लिए 8 लाख रुपये की वार्षिक आय सीमा पर फिर से विचार करने का फैसला किया है. इस वजह से केंद्र ने चार हफ्तों के लिए नीट काउंसलिंग टाल दी है. इसके साथ एफओआरडीए ने कहा था कि उनको शारीरिक और मानसिक कष्टों से कोई राहत मिलती नहीं दिख रही है और कोर्ट की अगली सुनवाई 6 जनवरी 2022 को होगी. इसी वजह यह हड़ताल चल रही है.
एफओआरडीए ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को लिखा पत्र
एफओआरडीए ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया को लिखे एक पत्र में कहा है कि देश भर के स्वास्थ्य संस्थानों में रेजिडेंट डॉक्टरों की कमी है और वर्तमान शैक्षणिक वर्ष में अभी तक कोई प्रवेश नहीं है. इसमें कहा गया है. भविष्य में कोविड-19 महामारी की लहर बड़ी होने की आशंका के बीच इसका असर स्वास्थ्य क्षेत्र पर विनाशकारी होगा जिससे देश की आबादी भी प्रभावित होगी. ऐसा लगता है कि (नीट-पीजी) काउंसलिंग में तेजी लाने के लिए अभी तक कोई पहल या उपाय नहीं किया गया है, इसलिए दिल्ली के विभिन्न आरडीए प्रतिनिधियों के साथ विचार-विमर्श के बाद हमने अपने आंदोलन को आगे बढ़ाने और सोमवार से स्वास्थ्य संस्थान में सभी सेवाओं (नियमित और आपातकालीन) से हटने का फैसला किया है.
इससे पहले फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (एफएआईएमए) के महासचिव डॉ सुवरंकर दत्ता ने कहा था कि डॉक्टरों को सांसदों द्वारा राजनीति से प्रेरित पॉलिसी अपडेट के कारण क्यों नुकसान उठाना चाहिए? हम तत्काल नीट पीजी परामर्श और भर्ती की मांग करते हैं. अन्यथा, सरकार को अनिश्चितकालीन हड़ताल की तैयारी करनी चाहिए.
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