गांधीजी की मां का वो प्रणामी संप्रदाय, जिसमें गीता और कुरान दोनों पढ़ते हैं
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गांधीजी (Gandhiji) ने अपनी आत्मकथा “सत्य के साथ प्रयोग” (Experiments with truth) में लिखा है, वो अपनी जिंदगी में परनामी संप्रदाय (Parnami samprday) की शिक्षाओं से प्रभावित रहे हैं. उसकी वजह ये थी कि उनकी मां पुतली बाई इसको मानती थीं. क्या है ये परनामी संप्रदाय, किसकी आराधना करता है और किसको मानता है.
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