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कपडा और फुटवियर महंगा होने पर देशभर में होगा आंदोलन, कल बुलाई बैठक

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नई दिल्‍ली. हाल ही में केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर कपड़े और फुटवियर पर जीएसटी की दर 5 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी कर दी है. जिसके विरोध में देशभर के व्‍यापारी जल्‍द आंदोलन करने जा रहे हैं. इस बारे में कन्‍फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि जीएसटी कर ढांचे को सरल और युक्तिसंगत बनाने के बजाय, जीएसटी परिषद ने इसे बेहद जटिल जीएसटी कानून में तब्दील कर दिया है. साथ ही कपड़े और फुटवियर पर कर बढ़ोत्‍तरी भी सही नहीं है. इसे लेकर 28 नवंबर को कपड़ा और फुटवियर उद्योग से जुड़े कारोबारियों की बैठक होने जा रही है.

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल का कहना है कि सरकार ये बताए कि क्या उल्टा कर ( इनवर्टेड ड्यूटी ) ढांचा पूरी तरह से सही है? सूती कपड़ा उद्योग में कोई उलटा कर ढांचा नहीं था, फिर कपड़े और अन्य सूती वस्त्र सामान को 12% के दायरे में क्यों लाया गया. यहां तक कि मानव निर्मित कपड़ा उद्योग में भी, वस्त्र, साड़ी और सभी प्रकार के मेड अप के निर्माण के स्तर पर कोई उल्टा कर मुद्दा ही नहीं था. ऐसे में कपड़ा उद्योग के चरणों को समझे बिना इस तरह का कठोर निर्णय एक प्रतिघाती कदम होगा. कपड़ा और जूते जैसी बुनियादी वस्तुओं पर जीएसटी की दर को 5% से बढ़ाकर 12% करने की केंद्र सरकार की अधिसूचना का दिल्ली सहित पूरे देश में व्यापारियों द्वारा विरोध हो रहा है और कैट ने इस तरह की मनमानी के खिलाफ देश भर में एक बड़ा आंदोलन शुरू करने का फैसला किया है.

जल्‍द ही इस आंदोलन का नेतृत्व व्यापार के दो महत्वपूर्ण व्यापार एसोसिएशन दिल्ली हिंदुस्तानी मर्केंटाइल एसोसिएशन और फेडरेशन ऑफ सूरत टेक्सटाइल एसोसिएशन (फोस्टा) द्वारा किया जाएगा. इसमें टेक्सटाइल और फुटवियर के अलावा सभी तरह के व्यापार के व्यापारिक संगठन, उनसे जुड़े कर्मचारी, कारीगर भी शामिल होंगे. कैट राष्ट्रीय मंत्री सुमित अग्रवाल ने कहा की रोटी, कपड़ा और मकान जीवन की मूलभूत वस्तुएं हैं. रोटी पहले ही बहुत महंगी हो गई, मकान खरीदने की स्थिति आम आदमी की है नहीं और कपडा जो सुलभ था उसको भी जीएसटी काउंसिल ने महंगा कर दिया है. आखिर देश के आम आदमी के साथ यह किस प्रकार का व्यवहार किया जा रहा है. इस मामले में केवल केंद्र सरकार ही नहीं बल्कि राज्य सरकारें भी जिम्‍मेदार हैं क्योंकि जीएसटी काउंसिल में यह निर्णय सर्वसम्मति से हुए हैं. उन्होंने मांग की है कि कपडा एवं फुटवियर पर जीएसटी की बढ़ी दर को तुरंत वापिस लिए जाये. उन्होंने कहा की कोविड के कारण व्यापार पहले ही तबाह हो चुका है और अब जब इस वर्ष से व्यापार पटरी पर आना शुरू हुआ था, ऐसे में जीएसटी की दर में वृद्धि कर व्यापार के ताबूत में कील ठोकने का काम किया गया है.

सोने पर भी बढ़ सकता है कर
ऑल इंडिया ज्वैलरी एवं गोल्डस्मिथ फेडरेशन के राष्ट्रीय संयोजक पंकज अरोड़ा ने कहा कि जानकारी मिल रही है कि जीएसटी की फिटमेंट कमेटी ने सोने की ज्वेलरी पर जीएसटी की दर 3 फीसदी से बढ़ाकर 5 फीसदी करने की सिफारिश की है जिससे देश में गोल्ड ज्वेलरी का व्यापार बुरी तरह प्रभावित होगा और सोने की तस्करी भी बढ़ने की भी संभावना है. फिटमेंट कमेटी ने जीएसटी में वर्तमान कर दर 5 को 7, 12 को 14 और 18 को 20 फीसदी करने की सिफारिश की है. उन्होंने कहा की इस वृद्धि के खिलाफ देश भर के व्यापारी लामबंद हो गए हैं और एक बड़े आंदोलन की तैयारी के लिए आगामी 28 नवम्बर को कैट ने देश के सभी राज्यों के कपड़े एवं फुटवियर व्यापारियों एवं सभी राज्यों के प्रमुख व्यापारी नेताओं की एक वीडियो के जरिये मीटिंग बुलाई है जिसमें आंदोलन की रणनीति को तय किया जाएगा.

Tags: Confederation of All India Traders, Movement, Textile Market, Textiles



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