Kedarnath : आज ऊखीमठ पहुंचेगी बाबा केदार की डोली, गुप्तकाशी में उमा भारती ने किए दर्शन
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रुद्रप्रयाग. चार धाम यात्रा के तहत केदारनाथ के कपाट 6 नवंबर को बंद किए जाने के बाद आज सोमवार को बाबा केदार की पंचमुखी उत्सव डोली ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचेगी. गुप्तकाशी के विश्वनाथ मंदिर से बाबा की उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए प्रस्थान कर चुकी है. रविवार को विश्वनाथ मंदिर में उत्सव डोली ने रात्रि प्रवास किया था. आज ब्रहम मुहूर्त में पुजारी, वेदपाठी और हक-हकूकधारी ने बाबा केदार की डोली की पूजा-अर्चना की और विश्वनाथ मंदिर की परिक्रमा करने के बाद डोली को ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना कर दिया.
वहीं, केदारनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर को डोली आगमन पर तीन क्विंटल फूलों से सजाया गया है. डोली के स्वागत में सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु ऊखीमठ पहुंच चुके हैं. आपको बता दें कि आज डोली के यहां पहुंचने के बाद से ही अगले 6 माह तक बाबा केदार की शीतकालीन पूजा-अर्चनाएं ओंकारेश्वर मंदिर में ही होती रहेंगी. इसी तरह, मां गंगा और मां यमुना की उत्सव डोलियां भी गंगोत्री और यमुनोत्री से प्रस्थान कर शीतकालीन गद्दियों पर पहुंच रही हैं. वहीं, बद्रीनाथ की यात्रा अभी जारी है, जो आगामी 20 नवंबर तक चलेगी और उसके बाद कपाट बंद होंगे.
उमा भारती ने किए दर्शन और पूजन
भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने बाबा केदार के दर्शन तब किए जब डोली गुप्तकाशी स्थित विश्वनाथ मंदिर पहुंची. वास्तव में, भारती इन दिनों केदार घाटी में हैं और वहां स्थित मठ मंदिरों के दर्शन कर रही हैं. चल उत्सव विग्रह डोली के गुप्तकाशी पहुंचने पर भारती दर्शन के लिए पहुंची और खबरों की मानें तो मंदिर के पुजारी शशिधर ने उमा भारती से पूजा अर्चना संपन्न करवाई. गौरतलब है कि भारती पिछले कई सालों से बाबा केदार के दर्शन के लिए हर साल पहुंचती रही हैं.

केदारघाटी के भ्रमण पर पहुंचीं उमा भारती ने ट्वीट किए.
इससे पहले, रविवार को सुबह केदारघाटी में बाबा केदार की डोली की चल यात्रा निकली. सुबह 7 बजे रामपुर से जयकारों और पारंपरिक संगीत का कार्यक्रम शुरू हुआ तो फिर रामपुर से ओंकारेश्वर मंदिर प्रस्थान के दौरान डोली शेरसी, बडासू, फाटा, खड़िया, मैखंडा, ब्यूंग, खुमेरा, नारायणकोटी, मस्ता व नाला होते हुए भक्तों के उल्लास के बीच गुप्तकाशी बाजार शाम तक पहुंची. यहां भी दर्शन, पूजा और पंचमुखी भोग के लिए भक्त उमड़ पड़े. रात्रि विश्राम के बाद सोमवार सुबह डोली रवाना की गई.
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