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वानखेड़े के 1.25 करोड़ के मानहानि केस पर नवाब मलिक का जवाब- मैंने कुछ गलत नहीं कहा

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मुंबई. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता और महाराष्‍ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक (Nawab Malik) ने बंबई हाई कोर्ट (bombay high court)  में कहा कि उनके द्वारा दिया गया कोई भी बयान गलत नहीं है. उन्‍होंने कहा कि नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) के जोनल डायरेक्‍टर समीर वानखेड़े (Sameer Wankhede) के पिता ध्‍यानदेव वानखेड़े ने जो उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया है, वह अधिकारी द्वारा की गई ‘अवैधताओं’ को कवर करने की कोशिश मात्र है. मुकदमे के जवाब में हाई कोर्ट में नवाब मलिक ने एक हलफनामा प्रस्‍तुत किया.

इससे पहले ध्‍यानदेव वानखेड़े ने मुकदमा दायर करते हुए 1.25 करोड़ के हर्जाने की मांग की थी और साथ ही एनसीपी नेता को कोई भी गलत या झूठा बयान देने से रोकने का आदेश देने की मांग की गई थी जिससे वानखेड़े परिवार को बदनाम करने या उनकी प्रतिष्‍ठा को नुकसान पहुंचाता हो. हालांकि, मंत्री ने अपने हलफनामे में कहा कि उनके द्वारा दिया गया कोई भी बयान गलत नहीं था और उनके द्वारा पेश किए गए सबूतों ने सरकारी मशीनरी को समीर वानखेड़े के विरुद्ध सुधारात्‍मक कदम उठाने में मदद की है. वानखेड़े जो अभी तक कुछ हाई-प्रोफाइल केस देख रहे थे. इसमें हाल का सबसे चर्चित मामला ड्रग्‍स मामला भी शामिल है, जिसमें बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान का बेटा आर्यन भी आरोपी है.

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हलफनामे में कहा गया है, ‘समीर वानखेड़े अब खुद सतर्कता जांच का सामना कर रहे हैं और एनसीबी के निदेशक ने क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े की अध्यक्षता वाली मुंबई इकाई से दिल्ली में अपनी इकाई को कुल छह मामले स्थानांतरित कर दिए हैं. राकांपा नेता ने कहा, ‘इस प्रकार समीर वानखेड़े के खिलाफ कार्रवाई शुरू करना प्रतिवादी (मलिक) द्वारा पेश किए गए सबूतों की प्रामाणिकता को दर्शाता है.’ हलफनामे में कहा गया है, ‘वादी (ध्यानदेव वानखेड़े), वर्तमान मुकदमा दायर करके, भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत प्रतिवादी को दी गई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कम करने की कोशिश कर रहे हैं, जिसका उपयोग प्रतिवादी जनता की भलाई के लिए करता है. इसमें कहा गया है कि मानहानि का मुकदमा, याचिकाकर्ता ध्यानदेव वानखेड़े के बेटे समीर वानखेड़े द्वारा की गई ‘अवैधताओं’ को कवर करने के प्रयास के अलावा और कुछ नहीं था.

मलिक ने मानहानि के मुकदमे को खारिज करने की मांग करते हुए कहा कि यह सुनवाई के योग्‍य नहीं है क्‍योंकि याचिकाकर्ता न केवल अपने लिए बल्कि अपने परिवार के सदस्‍यों के लिए भी राहत की मांग कर रहा है. उन्‍होंने कहा कि याचिकाकर्ता अपने परिवार के सदस्‍यों की ओर से प्रतिनिधि मुकदमा दायर नहीं कर सकता है. गौरतलब है कि राकांपा नेता ने समीर वानखेड़े के खिलाफ जालसाजी से लेकर अपने धर्म के बारे में झूठ बोलने तक कई आरोप लगाए हैं. हलफनामे में कहा गया है कि वादी के परिवार के सदस्‍यों ने प्रतिवादी (मलिक) के द्वारा पेश किए गए सबूतों के विपरीत कोई कानूनी कार्यवाही शुरू नहीं की है. 62 वर्षीय राजनेता ने कहा कि उन्होंने कोई गलत बयान नहीं दिया है, जबकि अपने दावों के समर्थन में दस्तावेजी सबूत पेश किए हैं.  हलफनामे में कहा गया है, ‘इन परिस्थितियों में, यह विनम्रतापूर्वक प्रस्तुत किया जाता है कि प्रतिवादी द्वारा पेश किए गए सबूतों की प्रामाणिकता और स्वीकार्यता का फैसला केवल मुकदमे के स्तर पर ही किया जा सकता है. इसमें कहा गया है कि ध्यानदेव वानखेड़े, मुकदमे में अपने दावों का समर्थन करने के लिए कोई दस्तावेजी सबूत पेश करने में विफल रहे हैं कि मलिक द्वारा दिए गए बयान गलत हैं.

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