उत्तराखंड

अब आप बद्रीनाथ में भी कर सकेंगे साधना, केदारनाथ की तर्ज़ पर पहाड़ में बन रहे हैं ध्यान केंद्र

[ad_1]

नितिन सेमवाल
जोशीमठ. उत्तराखंड में चार धामों की यात्रा अगले साल गर्मियों के मौसम में जब फिर शुरू होगी, तो तीर्थ यात्रियों के लिए काफी कुछ नया होगा. केदारनाथ में तो पुनर्निर्माण कार्य तेज़ी से चल ही रहे हैं, अब बद्रीनाथ धाम में भी कुछ नये प्रोजेक्ट्स शुरू हो चुके हैं और अगली यात्रा शुरू होने तक इनके पूरे होने की उम्मीद जताई जा रही है. इनमें से एक प्रमुख प्रोजेक्ट ध्यान केंद्र विकसित किए जाने का भी है. केदारनाथ की तर्ज़ पर बद्रीनाथ धाम में भी अब तीर्थयात्री ध्यान कर सकेंगे. जैसे केदानाथ में ध्यान के लिए गुफाएं विकसित की गई हैं, उसी तरह यहां भी ये केंद्र बनाए जा रहे हैं.

2022 में जब ग्रीष्म काल में भगवान बद्री विशाल के कपाट तीर्थ यात्रियों के लिए खुलेंगे, तब ध्यान केंद्र बनकर तैयार हो जाएगा. बद्रीनाथ में यात्री सुंदर वातावरण के बीच ध्यान लगाने के लिए पहुंचेंगे. बद्रीनाथ धाम के निकट नीलकंठ पर्वत की तलहटी में दो ध्यान केंद्रों का निर्माण किया जा रहा है, जिनको भविष्य में नगर पंचायत के द्वारा संचालित किया जाएगा. बताया जा रहा है कि शीतकाल में जब साधु, संत आदि विश्व कल्याण हेतु बद्रीनाथ धाम में तप, योग और ध्यान करते हैं, उस दौरान भी ये ध्यान केंद्र बड़े ही उपयोगी होंगे.

नये मास्टर प्लान का हिस्सा हैं ये केंद्र
बद्रीनाथ धाम के नगर पंचायत अधिशासी अधिकारी सुनील पुरोहित का कहना है कि लगभग 26 लाख की लागत से इन ध्यान केंद्रों का निर्माण किया जा रहा है. बद्रीनाथ धाम से 1 किलोमीटर की दूरी पर ऋषि गंगा के तट पर बनाए जा रहे इन केंद्रों को अंतिम रूप दिया जा रहा है. नीलकंठ पर्वत की तलहटी में इन ध्यान केंद्रों को बनाए जाने की पुष्टि करते हुए पुरोहित ने कहा कि बद्रीनाथ धाम में मास्टर प्लान के तहत भी अनेक कार्य किए जा रहे हैं.

पुरोहित ने बताया कि यात्रा के अगले सीज़न में बद्रीनाथ धाम में तीर्थ यात्रियों और साधु-संतों के लिए कई तरह की सुविधाएं होंगी. कड़ाके की ठंड के बावजूद बद्रीनाथ धाम में इन दिनों मास्टर प्लान का कार्य चल रहा है. गौरतलब है कि बीते 20 नवंबर को बद्रीनाथ के कपाट परंपरागत ढंग से बंद कर दिए गए थे.

इस साल तपस्या के लिए 50 साधुओं के आवेदन
चमोली ज़िला प्रशासन ने इस साल शीतकाल के दौरान बद्रीनाथ धाम में एक दर्जन से ज़्यादा साधुओं को तपस्या करने की अनुमति दी है. करीब एक हफ्ते पहले जोशीमठ की एसडीएम कुमकुम जोशी ने बताया कि शीतकाल में धाम में रहने के लिए 50 साधुओं के आवेदन मिले थे, जिनमें से जांच के बाद इन्हें अनुमति दी जा रही थी. बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद केवल सेना और पुलिस के जवानों की तैनाती रहती है. इसके अलावा, चुनिंदा साधु-संतों को कुटिया में तपस्या करने के लिए प्रशासन हर साल अनुमति देता है.

आपके शहर से (चमोली)

उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश

Tags: Badrinath Dham, Badrinath News, Char Dham, Uttarakhand news, Uttarakhand Tourism



[ad_2]

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

fapjunk