Opinion: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोशिशों से उत्तराखंड को मिली एक नई ऊंचाई
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने (PM Narendra Modi) अपनी मजबूत संकल्पशक्ति से उत्तराखंड (Uttarakhand) के समग्र विकास के नए द्वार खोल दिए है. चाहे नई केदारपुरी निर्माण की योजना हो या चारधाम को जोड़ने वाली हाई-वे परियोजना (All Weather Road Connectivity Project) मोदी लगातार हिमालयीय प्रदेश के विकास ‘महायज्ञ’ में ‘समिधा’ डाल रहे हैं.
प्रधानमंत्री बनने के बाद से अबतक नरेंद्र मोदी 5 बार भगवान केदारनाथ धाम में अपनी हाजिरी लगा चुके हैं. इस रूप में वे देश के पहले प्रधानमंत्री बन गए हैं, जिनके नाम केदारनाथ के सर्वाधिक दर्शनों का रिकॉर्ड है. दूसरे शब्दों में कहें तो संसदीय क्षेत्र वाराणसी स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर के बाद केदारनाथ ही वह तीर्थ है, जहां पीएम ने बार-बार मत्था टेका है. पिछले 5 नवंबर का केदारनाथ दौरा उनका पांचवां दौरा था. अपने पहले कार्यकाल में वे 4 बार बाबा केदारनाथ के दर्शन कर चुके हैं. पीएम बनने के बाद पहली बार मोदी 3 मई, 2017 को केदारनाथ पहुंचे थे. छह महीने बाद 20 अक्टूबर को दोबारा गए और केदारनाथ के पुनर्निर्माण से जुड़ी 700 करोड़ रुपये की 5 बड़ी परियोजनाओं का शिलान्यास किया. वे 7 नवंबर 2018 को तीसरी बार केदारनाथ पहुंचे और पुनर्निर्माण कार्यों का निरीक्षण किया. उनका चौथा केदारनाथ दौरा 18 मई, 2019 को लोकसभा चुनाव के दौरान हुआ था, जिसमें उन्होंने ध्यान गुफा में करीब 17 घंटे तक साधना की थी. अब उस गुफा को ‘मोदी गुफा’ कहा जाने लगा है और आजकल उसकी एडवांस बुकिंग होती है. अपनी हालिया दौरे के क्रम में मोदी ने कहा कि वे भगवान भोलेनाथ के धाम में चल रहे पुनर्निर्माण कार्यों को दिल्ली में बैठकर ड्रोन कैमरे और सैटेलाइट तकनीक के जरिये देखा करते थे, उनका मन सदैव ही यहां लगा रहता था. इस तरह उन्होंने केदारनाथ धाम के प्रति अपनी आस्था और प्रेम को जगजाहिर कर दिया.
केदारपुरी निर्माण परियोजना
केदारधाम की हालिया यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने 130 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया, साथ ही 400 करोड़ रुपये से अधिक के कार्यों का लोकार्पण और शिलान्यास भी किया. इन परियोजनाओं में सरस्वती रिटेनिंग वॉल, मंदाकिनी रिटेनिंग वॉल सह आस्थापथ, तीर्थ पुरोहित निवास और मंदाकिनी नदी पर गरुड़ चट्टी पुल शामिल हैं. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की मौजूदगी में प्रधानमंत्री ने कहा कि 21वीं सदी का तीसरा दशक उत्तराखंड का है. उन्होंने बताया कि चारों धाम को जोड़ने वाले चारधाम रोड प्रोजेक्ट पर तेजी से काम चल रहा है. भविष्य में तीर्थयात्री केदारनाथ तक कार के जरिए आकर दर्शन कर सकेंगे, इसके लिए यहां काम शुरू हो गया है.
आदिगुरु शंकराचार्य समाधि तीर्थ
पीएम मोदी ने आदि शंकराचार्य की समाधिस्थल पर नई प्रतिमा का भी लोकार्पण किया. 2013 की त्रासदी में यह स्थल क्षतिग्रस्त हो गया था. नई प्रतिमा को कर्नाटक के प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाया है. ब्लैक स्टोन से बनी मूर्ति का वजन लगभग 35 टन है और ऊंचाई लगभग 12 फीट. सितम्बर 2020 में 9 लोगों की टीम ने मैसूर में मूर्ति बनाने का काम शुरू किया था. करीब एक साल बाद चिनूक हेलिकॉप्टर के जरिये उसे केदारनाथ तक पहुंचाया गया. बताते हैं कि मूर्ति पर चमक लाने के लिए नारियल पानी का खूब इस्तेमाल किया गया है. इसकी खासियत है कि इस प्रतिमा पर आग, पानी, बारिश और हवा के थपेड़ों का असर नहीं होगा.
उत्तराखंड में विकास के नए द्वार
प्रधानमंत्री मोदी ने सिखों के पवित्र हेमकुंड साहिब जी का भी उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि हेमकुंड साहिब जी का दर्शन आसान हो, इसके लिए वहां भी रोप-वे बनाने की तैयारी है. उत्तराखंड के लोगों की अपार क्षमता में पूर्ण विश्वास को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार उत्तराखंड के विकास के ‘महायज्ञ’ में शामिल है. केंद्र सरकार भी उसमें अपनी आहुतियां डाल रही है. मोदी ने कहा अब पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी उसी के काम आएगी. पहले ये कहावत थी कि पहाड़ों का पानी और जवानी पहाड़ के काम नहीं आती. उन्होंने इसे उलट दिया है. पहले ये भी कहा जाता था कि पहाड़ के लोग रेलगाड़ी देखने मैदानी इलाके में आते हैं, अब रेलगाड़ी को भी यहां पहुंचाया जा रहा है. उन्होंने कहा, ‘उत्तराखंड बहुत ऊंचाई पर स्थित है. मेरा उत्तराखंड अपनी ऊंचाई से भी अधिक ऊंचाइयों को छुएगा’.
संकल्प, साधना और सिद्धि
केदारनाथ में पीएम मोदी ने कहा, इस आदिभूमि पर शाश्वत के साथ आधुनिकता का ये मेल, विकास के ये काम भगवान शंकर की सहज कृपा का ही परिणाम हैं. पीएम मोदी ने कहा – बरसों पहले जो नुकसान यहां हुआ था, वो अकल्पनीय था. जो लोग यहां आते थे, वे सोचते थे कि क्या हमारा यह केदारधाम फिर से उठ खड़ा होगा? लेकिन मेरे भीतर की आवाज कह रही थी कि ये पहले से अधिक आन-बान-शान के साथ खड़ा होगा. आज यह संकल्प पूरा होते देख रहा हूं. मैं यहां आकर कण-कण से जुड़ जाता हूं.
केदारपुरी के निर्माण का काम लगभग 90 फीसदी पूरा
उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा – पिछले 5 सालों में केदारनाथ में सैकड़ों रुपये के कार्य हुए. बद्रीनाथ धाम के लिए 245 करोड़ रुपये की धनराशि पीएम ने स्वीकृत की है. गंगोत्री और यमुनोत्री के लिए भी करोड़ों रुपये की परियोजना जमीन पर उतर रही है. साल 2013 में आई आपदा के बाद नरेंद्र मोदी ने केदारनाथ के दोबारा निर्माण की इच्छा जताई थी, पर तब अनुमति नहीं मिल पायी थी. पीएम बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने लगातार केदारनाथ के दौरे किए हैं और करोड़ों रुपये खर्च करके नई केदारपुरी बनाने का संकल्प पूरा होते देख रहे हैं. सीएम धामी ने जानकारी दी कि नई केदारपुरी के निर्माण का काम लगभग 90 फीसदी तक पूरा हो चुका है.
चारधाम हाई-वे परियोजना
उत्तराखंड के चारधामों- गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ – को हाई-वे से जोड़ने और हर मौसम में वहां आने-जाने लायक सड़क बनाने की एक बड़ी महत्वाकांक्षी परियोजना चल रही है. 2016 में केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई इस सड़क परियोजना को कोई चारधाम हाई-वे प्रोजेक्ट कहता है, तो कोई इसे ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट के नाम से जानता है. 12 हजार करोड़ रुपये की लागत से करीब 900 किलोमीटर राष्ट्रीय उच्चपथ (National High Way) बन रहा है. 6 महीने पहले ही उत्तराखंड सरकार ने जानकारी दी थी कि परियोजना के तहत 550 किलोमीटर सड़क चौड़ीकरण का कार्य पूरा हो चुका है.
प्रोजेक्ट का नेशनल सिक्युरिटी कनेक्शन
उत्तराखंड की चारधाम हाई-वे परियोजना को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई थी. अब केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से सितंबर 2020 के उस आदेश में संशोधन की मांग की है, जिसमें चारधाम सड़कों की चौड़ाई साढ़े पांच मीटर तक सीमित रखने का आदेश दिया गया था. केंद्र ने कहा है कि भारत-चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा की ओर जाने वाली सीमा सड़कों के लिए ये फीडर सड़कें हैं. उन्हें 10 मीटर तक चौड़ा करने की अनुमति दी जानी चाहिए. केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल के वेणुगोपाल ने कहा कि ये दुर्गम इलाके हैं, जहां सेना को भारी वाहन, मशीनरी, हथियार, टैंक, सैनिकों और खाद्य आपूर्ति को लाने-ले जाने की जरूरत पड़ती है. युद्ध की स्थिति में सेना को अपने मिसाइल लॉन्चर और मशीनरी उत्तरी चीन की सीमा तक ले जाने की आवश्यकता पड़ सकती है. ऐसे में ये परियोजना देश की सुरक्षा के लिहाज से भी बेहद अहम है.
(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक खुद जवाबदेह है. इसके लिए News18 Hindi किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)
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