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कोविड की दूसरी लहर में मेडिकल ऑक्सीजन की कमी की जांच करने वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज

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नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने दूसरी लहर ( Covid Second Wave) के दौरान चिकित्सकीय ऑक्सीजन की आपूर्ति की कमी की जांच का अनुरोध करने वाले एक याचिकाकर्ता से सोमवार को कहा कि जब तक आप जिम्मेदार पद पर न हों तब तक सरकार या अदालतों की आलोचना करना बहुत आसान है. न्यायालय ने कहा कि दुनिया के कुछ सबसे उन्नत देशों को भी कोविड-19 महामारी (Covid-19 Pandemic) से निपटने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा.

शीर्ष अदालत ने कहा कि इस समय जब देश कठिन परिस्थिति का सामना कर रहा है, लोगों को कुछ भी ऐसा करने से परहेज करना चाहिए, जिससे संकट से निपटने वाले अधिकारियों का मनोबल कमजोर हो. अदालत ने यह टिप्पणी एक याचिका पर सुनवाई के दौरान की. याचिका में इस साल मार्च से मई तक महामारी की दूसरी लहर के दौरान कोविड-19 रोगियों के लिए चिकित्सकीय ऑक्सीजन की कथित तौर पर आपूर्ति नहीं होने और अनुपलब्धता की एक आयोग द्वारा उच्च स्तरीय जांच कराने का अनुरोध किया गया.

कल्पना के आधार पर आरोप नहीं लगाए जा सकते

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने नरेश कुमार की जनहित याचिका को खारिज करते हुए कहा, ‘‘आपराधिक गलतियों के संबंध में आरोप कल्पना के आधार पर नही लगाये जा सकते और न ही बिना समुचित तथ्यों के इस तरह के आरोप लगाए जा सकते हैं. बताए गए कारणों की परिस्थितियों में, हम जनहित याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं. इसलिए याचिका खारिज की जाती है.’’ कुमार की ओर से पेश अधिवक्ता मेधांशु त्रिपाठी ने कहा कि चिकित्सकीय ऑक्सीजन की अनुपलब्धता के कारण दूसरी लहर के दौरान लाखों लोगों की मौत हुई.

दुनिया के आसान नहीं था महामारी को नियंत्रित करना

पीठ ने कहा, ‘‘दुनिया के अधिकांश विकसित देशों में भी महामारी को नियंत्रित करना आसान नही था. आप देख सकते हैं सरकार या उस मामले के लिए अदालतों की आलोचना करना बहुत आसान है जब तक कि आप जिम्मेदार पद पर न हों.’’

शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘अब जब दूसरी लहर खत्म हो गई है, तो जो गलत हुआ अदालत को उसका कानूनी पोस्टमॉर्टम करना चाहिए या इसके बजाय कुछ सकारात्मक करना चाहिए ताकि ऐसी गलतियां दोबारा न हों और हम भविष्य की जरूरतों के लिए अच्छी तरह से तैयार हों.’’

पीठ ने कहा कि इस साल की शुरुआत में इस अदालत ने अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करते हुए एक राष्ट्रीय कार्यबल का गठन किया था जिसमें देश के विभिन्न संस्थानों के प्रख्यात डॉक्टर शामिल थे. पीठ ने कहा, ‘‘इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि ऑक्सीजन की उपलब्धता और वितरण से संबंधित मामलों को विशेष रूप से देखने के लिए विशेषज्ञों का एक निकाय गठित किया गया है, जांच आयोग का गठन करके समानांतर कार्यवाही करना न तो उचित है और न ही तर्कसंगत है.’’

पीठ ने त्रिपाठी से कहा, ‘‘इस समय देश एक कठिन परिस्थिति से निपट रहा है, लोगों को कुछ भी ऐसा करने से सावधान रहना चाहिए जिससे संकट से निपटने वाले लोगों का मनोबल कमजोर हो.’’ न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता वाला जांच आयोग जो कर सकता है जो राष्ट्रीय कार्यबल नहीं कर सकता.

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