Omicron के चलते भारत में आई कोरोना की तीसरी लहर तो क्या होगा हाल? एक्सपर्ट ने बताया
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नई दिल्ली. भारत में ओमिक्रॉन वेरिएंट (Omicron Variant Cases in India) के चलते बढ़ रहे कोविड-19 के मामले (Covid-19 Cases) बढ़ रहे हैं. विशेषज्ञ ऐसा मान रहे हैं कि यह कोरोना वायरस की तीसरी लहर की दस्तक हो सकती है. कोच्चि के केयर अस्पताल में रुमेटोलॉजी और चिकित्सा निदेशक डॉ पद्मनाभ शेनॉय ने कहा कि हालांकि ये वेरिएंट भारत में कोरोना की तीसरी लहर का कारण बन सकता है, लेकिन यह अन्य देशों की तरह विनाशकारी नहीं होगा. हाल ही में लैंसेट में प्रकाशित “हाइब्रिड इम्युनिटी वर्सेस वैक्सीन-इंड्यूस्ड इम्युनिटी” पेपर लिखने वाले डॉ शेनॉय ने एएनआई से कहा, “हमारे यहां ओमिक्रॉन (लहर) आ सकती है लेकिन यह अन्य देशों की तरह विनाशकारी नहीं होगी.”
हाइब्रिड इम्युनिटी वायरस के खिलाफ टीकाकरण और संक्रमण दोनों के द्वारा प्राप्त की गई प्रतिरक्षा है.
“ओमिक्रॉन के साथ समस्या यह है कि टीकों के खिलाफ स्पाइक प्रोटीन में इसके लगभग 30 म्यूटेशंस हैं. हाल के अध्ययनों में यह पता चला है कि इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि जिन लोगों को वैक्सीन की केवल एक खुराक लगी है या उन्हें संक्रमण हो चुका है, ओमिक्रॉन उनकी इम्युनिटी को भेद सकता है.” हाइब्रिड इम्युनिटी भारत को तबाही से कैसे बचा सकती है, इस पर शेनॉय ने कहा कि वायरस को अभी भी कम करके नहीं आंका जाना चाहिए और कोविड के उपयुक्त व्यवहार के महत्व पर दबाव डाला जाना चाहिए. उन्होंने कहा, “भारत (अन्य देशों की तुलना में) बेहतर स्थिति में है क्योंकि अधिकतम आबादी पहले ही संक्रमित और वैक्सीनेशन करा चुकी है, और हाइब्रिड इम्युनिटी भी पैदा कर चुकी है.”
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ज्यादा इम्युनिटी भारत के लिए हो सकती है फायदेमंद
शेनॉय ने कहा, “भारत एक अनूठी स्थिति में है जहां डेल्टा वेरिएंट के चलते आई लहर का प्रकोप काफी ज्यादा था. हमारी आबादी का लगभग 70- 75 प्रतिशत संक्रमित हो चुका है. उसके बाद, यहां बहुत ही सफल टीकाकरण कार्यक्रम रहा जिसमें लगभग 120 से 130 करोड़ टीके लगाए जा चुके हैं. इसलिए टीकाकरण के बाद होने वाला संक्रमण एक बड़ी मात्रा में प्रतिरक्षा उत्पन्न करता है, जिसे हाइब्रिड इम्युनिटी कहा जाता है.”
डॉक्टर ने दोहराया कि वायरस को “कम करके आंका” नहीं जाना चाहिए और कहा कि भारत को वही गलती करने से बचना चाहिए जैसा उसने डेल्टा वेरिएंट के समय किया था. उन्होंने कहा, “ओमिक्रॉन के लिए, हमें उस गलती को नहीं दोहराना चाहिए. हमारे पास गैर-औषधीय हस्तक्षेप होना चाहिए जैसे मास्क पहनना और भीड़-भाड़ और बंद जगहों से बचना चाहिए. ऐसा करना जारी रखना बेहद महत्वपूर्ण है.”
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इसके अलावा, शेनॉय ने बच्चों में ओमिक्रॉन के खतरे पर अपने विचार साझा किए और कहा कि शुरुआती आंकड़े बताते हैं कि दक्षिण अफ्रीका में यह बीमारी मामूली है. शेनॉय ने कहा कि इसके चलते “कोई मौत की सूचना नहीं मिली है, इसलिए यह एक हल्का संक्रमण हो सकता है. हमें इस बारे में अधिक स्पष्टता होगी कि यह वायरस कैसे व्यवहार करने वाला है और यह कितना गंभीर है. केवल एक बात बहुत स्पष्ट है कि इसकी प्रतिरक्षा से बचने की क्षमता इस वायरस के डेल्टा संस्करण की तुलना में अधिक है.”
उन्होंने कहा, “अगर डेल्टा एक से चार-छह लोगों तक फैलता है, तो इसमें एक से आठ-नौ लोगों तक फैलने की क्षमता होती है. हमें सावधान रहना होगा क्योंकि यह प्रतिरक्षा प्रणाली से बच सकता है.”
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