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कौन थे देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत, जिन्होंने उत्तरपूर्व से उग्रवाद को उखाड़ फेंका

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नई दिल्ली. दिसंबर 2019 में सरकार ने पहली बार चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का पद बनाने की घोषणा की थी और 30 दिसंबर को जनरल बिपिन रावत इस पद पर नियुक्त किए गए. तीनों सेनाओं के प्रमुख के इस पद पर नियुक्ति पाने वाले पहले अधिकारी थे. नेशनल डिफेंस एकेडमी और इंडियन मिलिट्री एकेडमी के छात्र रहे रावत ने साल 2016 में 27वें सेना प्रमुख के रूप में पदभार संभाला था. करीब 4 दशक लंबे करियर में रावत ने कई अहम पदों पर सेवाएं दी.

साल 1978 में भारतीय सेना में शामिल होने वाले जनरल रावत ने 17 दिसंबर 2016 को चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ का पद संभाला. उनसे पहले जनरल दलबीर सिंह सुहाग इस पद पर तैनात थे. सबसे पहले 11 गोरखा राइफल्स की पांचवी बटालियन के जवान के रूप में सेना का हिस्सा बने थे. चार दशकों की सेवा के दौरान रावत ने ब्रिगेडियर कमांडर, जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ (GOC-C) सदर्न कमांड, मिलिट्री ऑपरेशन्स डायरेक्टोरेट में जनरल स्टाफ ऑफिसर ग्रेड, कर्नल मिलिट्री सेक्रेटरी समेत कई बड़े पदों पर रहे. वे संयुक्त राष्ट्र की पीस कीपिंग फोर्स का भी हिस्सा रहे और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो में बहुराष्ट्रीय ब्रिगेड की कमान संभाली है.

पूर्वोत्तर में उग्रवाद को खत्म करने में रावत ने अहम भूमिका निभाई थी. उन्होंने साल 2015 में म्यांमार में क्रॉस बॉर्डर ऑपरेशन का अभियान चलाया था, जिसमें भारतीय सेना ने NSCN-K के उग्रवादियों को सफलतापूर्वक जवाब दिया था. यह मिशन रावत की अगुवाई में दीमापुर स्थित III कॉर्प्स के ऑपरेशन कमांड से चलाया गया था. वे साल 2016 में हुई सर्जिकल स्ट्राइक्स की योजना का हिस्सा रहे थे. सर्जिकल स्ट्राइक्स में भारतीय सेना ने नियंत्रण रेखा पार कर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में कार्रवाई को अंजाम दिया था.

सैन्य सेवा के दौरान जनरल रावत को परम विशिष्ट सेवा मेडल, उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल और सेना मेडल से नवाजा गया है.

Tags: CDS, General Bipin Rawat, Indian air force, Indian army, Indian navy



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