आखिर इतनी महंगी क्यों बिकती हैं पेंटिग्स?
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हाल ही में मेक्सिकन आर्टिस्ट फ्रीडा काहलो का बनाया सेल्फ पोट्रेट ‘डिएगो एण्ड आई’ रिकार्ड 35 मिलियन डॉलर यानि 260 करोड़ में बिका. सहज सवाल मन में आया कि केनवास पर रंगों से बनाई गई ये पेंटिंग्स इतनी महंगी क्यों बिकती हैं, इन्हें कोन लोग खरीदते हैं और उनका करते क्या हैं ? पड़ताल में दिलचस्प जानकारियों से मुलाकात हुई.
किस्से से शुरूआत. मशहूर चित्रकार पाब्लो पिकासो के चित्रों की एग्जिबीशन लगी हुई थी. पाब्लो पिकासो भी उस एग्जिबीशन में पहुंचे उस दौरान उन्होंने देखा कि एक लेडी उनकी एक पेंटिंग को बहुत ध्यान से देख रही है. पिकासो उसके पीछे जाकर खड़े हो गए. लेडी जब पलटी तो अपने पीछे खड़े पिकासो को देखकर हैरान रह गई.
उसने पिकासो की पेंटिंग कला की तारीफ करना शुरू कर दी. एक्साइटेड होकर कहने लगी, ओह माई गॉड पिकासो, मैं आपकी बहुत बड़ी फैन हूं, क्या पेंटिग बनाते हैं आप. जवाब मे पिकासो ने मुस्कराते तारीफ के लिए शुक्रिया अदा किया और आभार जताया. लेडी ने पिकासो को एक कागज और पैन देते हुए उनसे एक पेंटिंग बनाकर देने का आग्रह किया.
पिकासो ने उसका आग्रह स्वीकार करते हुए महज तीस सेकंड्स में एक पेंटिंग ड्राॅ करके लेडी को दे दी. पेंटिंग लेकर लेडी खुशी से फूली नहीं समाई और बोली वाह, ग्रेट. इट इज़ अ वंडरफुल पेंटिंग, थैंक्यू, थैंक्यू सो मच.., आपने मेरे लिए इतनी अच्छी पेंटिंग बनाई… थैंक्स देकर लेडी पेंटिंग लेकर जाने के लिए आगे बढ़ गई.
पिकासो ने आवाज लगाई ‘एक्सक्यूज़ मी, लेडी इस पेंटिंग की कीमत 30 मिलियन डॉलर है, जिसे आपको अभी पे करना है.’ पिकासो की बात सुनकर लेडी को चक्कर आ गए और वो गिर गई. लोगों ने पानी के छींटे उसके चेहरे पर डाले और उसे उठाया. वो उठकर खड़ी हुई और गुस्से में पिकासो पर बरस पड़ी.
‘पिकासो आर यू मैड, 30 सेकंड में पेन से कागज पर बनाई इस पेंटिंग की कीमत 30 मिलियन डॉलर बता रहे हो, आप होश में तो हैं.’ पिकासो ने शांत रहकर जवाब दिया ‘एक्सक्यूज़ मी लेडी 30 सेकंड में इस पेंटिंग को बनाने लायक बनने के लिए मुझे तीस साल लगे हैं.
मैं 30 सेकंड में ये पेंटिंग इसलिए बना पाया क्योंकि इसके पीछे मेरी तीस साल की अनवरत मेहनत और साधना है. इसलिए इस पेंटिंग की कीमत 30 मिलियन डॉलर है.’
यह तो हुआ सिक्के का एक पहलू. दूसरा पहलू भी दिलचस्पी से खाली नहीं है. फर्ज़ करें एक बड़े बिजनेसमैन ने एक पेंटिंग चालीस लाख में खरीदी. उसने वो पेंटिंग अपने ड्राइंग रूम में नहीं लगाई, बल्कि उसे एक म्यूजियम या एयरपोर्ट पर डिस्प्ले कर दी. फिर एक एजेंसी के थ्रू उसे हाइप दी, उसे पापुलर बनाया.
मान लें इसमें उसके पांच लाख खर्च हो गए. पेंटिंग चर्चा में आ गई और पेंटिंग की कीमत बढ़कर 90 लाख हो गई. ना, ना, वो इसे बेचकर कमाई हुई राशि अपने पास नहीं रखने वाला. वो इसे किसी संस्था को दान दे देगा. इससे उसे क्या फायदा हुआ ? फायदा ये है कि पैंतालीस लगाकर उसने 90 लाख की राशि टैक्स फ्री कर ली. यह भी बता दें कि ऐसा हर मामले में नहीं होता.
कुछ लोग सचमुच ही चैरिटी भी करते हैं. पेंटिंग को बड़ी कीमत में खरीदते भी हैं और उसे एक खास कॉज़, अच्छे कॉज़ के लिए बेचते हैं और बिक्री की पूरी राशि किसी संस्था को दान दे देते हैं. उनका मकसद टैक्स बचाना नहीं होता. वे सचमुच कला के कद्रदान और सच्चे दानदाता होते हैं.
कई बार यह भी होता है कि नीलामी के दौरान पेंटिंग की बोली इसलिए बढ़ जाती है कि दो, तीन (या अधिक भी) लोगों के बीच बोली बढ़ाना अपनी नाक का सवाल भी बन जाता है. तेरी कमीज मेरी कमीज से ज्यादा सफेद क्यों? की स्टाइल वाला कॉम्पटिशन. पहले ने बीस लाख लगाए तो दूसरे ने 25 लाख, पहला ताव में आ गया और 28 लाख लगा दिया, जवाब में दूसरा तैश में आया और बोली बढ़ा दी. ऐसी सिचुएशन में भी पेंटिंग के दाम बढ़ जाते हैं.
एक और हालात में पेंटिंग्स के दाम बढ़ जाते हैं. जब किसी पेंटिंग से किसी बड़े और मशहूर पेंटर का नाम जुड़ा होता है तो वो तो मंहगी बिकती ही है. ऐसे नामी कलाकारों की पेंटिंग आर्ट बाज़ार में बहुत मंहगी बिकती है. जिसे सचमुच के कला प्रेमी भी खरीदकर अपने ड्राइंग रूम (या आफिस) में डिस्प्ले कर अपने ड्राइंगरूम की शोभा बढ़ाते हैं. कुछ लोग ऐसा स्टेटस सिंबल के लिए भी करते हैं. स्टेटस सिंबल वाला फंडा पेंटिंग की कीमत बढ़ाने का बड़ा कारक है.
लेकिन किसी कलाकार को उसकी पेंटिंग का मूल्य यूं ही नहीं मिल जाता. इसके पीछे उनकी बरसों की तपस्या होती है. किसी पेंटर का नाम यूं ही महान लोगों की श्रेणी में नहीं पहुंच जाता इसके लिए उन्हें कड़ी मेहनत और लंबा समय देना पड़ता है.सबसे बड़ी बात उनकी क्रिएटिविटी की होती है जो उनके काम को ऊंचे मुकाम तक पहुंचाती है.
ऐसे कलाकार भी कम नहीं होते हैं जो मेहनत तो जी तोड़ करते हैं और समय भी भरपूर देते हैं लेकिन क्रिएटिविटी के अभाव में उनके काम को सराहना नहीं मिलती. ये दुनिया ही क्रिएटिव लोगों और उनकी क्रिएटिविटी की है.
कई बार आम लोगों को लगता है कि खरीदने वाला पागल- दीवाना है जो छोटे से कैनवास पर बने चित्र को इतने मंहगे दाम देकर खरीद रहा है. आर्टिस्ट इसके जवाब में कहते हैं ‘पेंटिंग की समझ हर किसी को नहीं होती. ये दरअसल आम लोगों के समझने वाली दुनिया है ही नहीं. कांटेंट और कलर वैल्यु मिलकर किसी पेंटिंग को ग्रेट बनाते हैं.
इमेज को ट्रांसफर करना अनुभव से आता है, और अनुभव के लिए लंबे समय एकाग्रता से काम करना पड़ता है. तब जाकर किसी आर्टिस्ट की पेंटिंग और उसका नाम खास मुकाम तक पहुंच पाता है. कोई भी बड़ा आर्टिस्ट यूं ही नहीं बन जाता.’
सच बात है आर्ट का कोई भी फार्म हो ,पेंटिंग या गायन, या फिर अन्य फार्म, स्तरीय काम सामान्य जनमानस समझ नहीं पाते. शास्त्रीय गायन में सिद्धहस्त कलाकार को अनवरत मेहनत के बाद सुरों की समझ हो पाती है. आम आदमी सुनता है तो कहता है ये आ…आ…उ…. ऊ… क्या लगा रखी है. ऐसे ही माडर्न आर्ट की गहराई में जाना हर किसी के बस की बात नहीं होती.
आप एक महंगे इलाके में लक्ज़री बंगला खरीदते हैं, फर्ज करें लंदन में. तो माना जाएगा कि आप एक ऊंची हैसियत वाले पर्सन हैं. इसी तरह अगर आप एक बहुत कीमती और लक्ज़री कार खरीदते हैं तो भी आपका स्टेटस एक अमीर आदमी का होगा. लेकिन चूंकि ये बंगला या लग्जरी कार खरीदने वाले आप इकलौते शख्स नहीं है. ऐसे बंगले बहुत सारे लोगों के पास हैं.
यही हाल एक लक्ज़री कार का है. क्योंकि कंपनी ने वैसी ढेर सारी कारें बनाई हैं और बहुत सारे लोग ऐसी ही कार के मालिक हैं. इसलिए आप उन बहुत सारे अमीर लोगों में से एक हैं, इकलौते नहीं. लेकिन अगर आप एक विंटेज कार खरीदते हैं यानि ऐसी पुरानी कार खरीदते हैं जो अब उलब्ध नहीं है और यह इकलौता पीस है जो आपके पास आने वाला है, तो उस कार की कीमत बहुत बढ़ जाएगी.
क्योंकि ऐसी कार दुनिया में सिर्फ आपके पास होगी. कार ऐसी भी हो सकती है जिसे किसी नामी आदमी ने इस्तेमाल किया हो. यूनिक होना ही किसी चीज या आर्ट की वैल्यू बढ़ाता है, असीमित वैल्यू बढ़ाता है.
इसी यूनिकनेस के चलते पेंटिंग महंगी बिकती हैं. पेंटिंग का पीस इकलौता बनता है और यूनिक होता है इसलिए असीमित महंगा भी. इसीलिए कहा जाता है कला का कोई मोल नहीं होता. कोई भी कलाकार की कला और उसके हुनर को नहीं खरीद सकता उसकी बनाई किसी कलाकृति को ही खरीद सकता है.
बात देश और दुनिया की महंगी पेंटिंग और मशहूर आर्टिस्ट की. प्रसिद्ध पेंटिंग आमतौर पर संग्रहालयों प्रदर्शित हैं पुराने मास्टर काम संग्रहालय द्वारा आमतौर पर बेचे नहीं जाते इसलिए ये अमूल्य की श्रेणी में आते हैं. गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड ने ‘लियोनार्डो द विंची’ की पेंटिंग ‘मोनालिसा’ को एक पेंटिंग के लिए सबसे ज्यादा बीमा मूल्य के लिए सूचीबद्ध किया गया है.
पेरिस के म्यूजियम में रखी इस पेंटिंग का मूल्यांकन 1962 को 100 मिलियन यूएस डॉलर किया गया था. मुद्रास्फीति के आधार पर आकलन करें तो 2020 में इसका मूल्य लगभग 860 मिलियन यूएस डॉलर होगा. अन्य कीमती पेंटिंग्स में नंबर 5-जैक्सन पोलक, नु काउच-एमेडियो मोदि ग्लिआनी, लेस फेम्स डी एलार-पॉब्लो पिकासो, Maerten Solumans – रेम्ब्रांट, नंबर 16-मार्क रोथको, नंबर17 ए-जैक्सन पोलक, नफी फा इपोइपो-पॉल गाउगिन, कार्ड प्लेयर्स-पॉल सेज़ेन, इंटरचेज-विलेम डी कूनिंग, साल्वेटर मुंडी- लियोनार्डो द विंची शामिल की जा सकती हैं.
इस सूची में पेंटिग्स को सस्ती पहले, महंगी बाद में, के क्रम से दर्शाया गया है. वैसे बता दें यह सूची फाइनल नहीं है क्योंकि महंगी पेंटिंग्स के बारे में अनेक रहस्य हैं. भारतीय पेंटिंग्स की बात करें तो दुनिया की दस महंगी पेंटिंग्स में इन्हें जगह नहीं मिलती. पेंटिंग का महंगा बिकना एक अलग तरह का गणित है.
इसलिए, इससे भारतीय प्रतिभा को कम आंकना सही नहीं होगा. भारत के बेजोड़ चित्रकारों में एफएम हुसैन, वीएस गायतुंडे, अमृता शेरगिल, तैयब मेहता, एसएच रज़ा आदि नाम शामिल किए जा सकते हैं.
चलते-चलते बात फ्रीडा काहलो की जिनकी पोर्ट्रेट हाल ही बिकी है. फ्रीडा मेक्सिकन आर्टिस्ट हैं उन्होंने कभी आर्ट की फॅार्मल एजूकेशन नहीं ली. वे पोट्रेट और सेल्फ पोट्रेट बनाने के लिए खासतौर पर जानी जाती है. फ्रीडा की पहचान रियलिटी ओर फेंटेंसी आर्टिस्ट के रूप में है, उन्हें मेजीकल रियलिस्ट भी कहा जाता है, वे अपने आसपास घटित घटनाओं और लोगों से प्रेरित होकर पेंटिंग बनाती थीं.
पॉप स्टार मेडोना के पास फ्रीडा के बहुत से कलेक्शन है. हाल ही में बिकी ‘डिएगो एण्ड आई’ में उन्होंने अपने पति डिएगो रिवेरा का चेहरा अपने माथे पर बनाया है. उनकी टॉप टेन पेंटिग्स में ‘माई ग्रेण्ड पेरेंट्स, पेरेंट्स एण्ड आई, भी शामिल है, जिसमें उनकी तीन पीढ़ी एक साथ नज़र आती है.
यह पेंटिंग उन्होंने 1936 में बनाई थी. एक भयानक बस एक्सीडेंट में फ्रीडा को 35 दर्दनाक ऑपरेशन्स से गुज़रना पड़ा था. इस पर भी उन्होंने एक सेल्फ पोट्रेट बनाई थी, जो बहुत प्रसिद्ध हुई थी.
(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए News18Hindi किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)
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