उत्तराखंड

इस मंदिर में होती है लकड़ी के शिवलिंग की पूजा, यहां रखा है 20 फीट ऊंचा त्रिशूल

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उत्तराखंड में जगह-जगह पर मंदिर होने के पीछे कुछ न कुछ वजह जरूर होती है, ऐसी ही एक वजह है भवाली में स्थित प्राचीन जाबर महादेव शिव मंदिर की. यहां स्थानीय लोगों को साक्षात शिवलिंग मिला था, जिसकी नाग देवता रक्षा करते हुए दिखाई दिए थे. बाद में यहां एक और शिवलिंग की स्थापना की गई जो लकड़ी का बनाया हुआ है. यहां करीब 20 फीट ऊंचा त्रिशूल है, जो पूरे नैनीताल जिले में स्थित शिव मंदिरों में सबसे बड़ा त्रिशूल है.

नैनीताल के भवाली सेनेटोरियम के गेट से करीब 4 किलोमीटर पैदल रास्ता है, जो इस मंदिर की ओर जाता है. यहां पहुंचने के लिए एक घने जंगल से होकर गुजरना पड़ता है. लड़िया कांटा पहाड़ी के तलहटी में चीड़ के पेड़ों से घिरे जंगल के बीच में जावर नामक जगह पर यह मंदिर स्थित है, जिसे अब जाबर कहकर बुलाया जाता है और इस मंदिर को जाबर महादेव कहा गया है.

जाबर महादेव मंदिर कमिटी के अध्यक्ष दिनेश जोशी बताते हैं कि काफी समय पहले इस जगह पर खुदाई का काम चलना शुरू हुआ था. खुदाई करते समय यहां एक शिवलिंग के आकार का पत्थर दिखाई दिया. उसको एक सांप लपेटे हुए था, जिस वजह से वहां खुदाई का काम रुकवा दिया गया और उस शिवलिंग को उठाकर एक सुरक्षित जगह पर रख दिया.

उन्होंने आगे बताया कि 1968 में वहां एक और शिवलिंग स्थापित करते हुए स्थानीय लोगों ने मिलकर एक मंदिर का निर्माण किया. यह स्थापित शिवलिंग पदम की लकड़ी का बना हुआ है. वर्षों से धूप-छांव, पानी, दूध चढ़ाने के बावजूद भी यह लकड़ी का शिवलिंग वैसा ही अपने स्वरूप में स्थित है.

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