उत्तराखंड

कोर्ट को गुमराह कर सविद्र आनन्द ने यूजेवीएनएल अधिकारियो पर धोखे से करवाया मुकदमा

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देहरदून। खबरों मे पुनः डाकपत्थर बैराज का मुद्दा उछला तो इसकी पड़ताल की गई। जाँच में पता चला कि  एक साजिश के तहत यूजेवीएनएल के अधिकारियो को 2019 से फ़साने की कोशिश की जा रही थी। जिसके तहत अनेक बार डाकपत्थर बैराज के मुद्दे को समाचार पत्रों मे फर्जी तरीके से तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया गया और हर बार ठेकेदार साबिद्र आनन्द को मुँह की खानी पड़ी। 

सूत्रों से पता चला है की ठेकेदार साबिद्र आनन्द के द्वारा फर्जी सर्टिफिकेट के माध्यम से कही बार टेंडर के लिए पी सी एम के अधिशासी अभियंता महेश सिंह अधिकारी पर दबाव बनाया गया। परन्तु अधिशासी अभियंता द्वारा ठेकेदार सबिन्द्र आनंद के गलत कार्यों को करने के लिए मना कर दिया, जिसकी वजह से ठेकेदार द्वारा अधिशासी अभियंता तथा अन्य कार्यालय मे काम करने वाले कर्मचारियों को परेशान करना शुरू कर दिया। डाकपत्थर बैराज  के कार्यों के तथ्यों को गलत तरीके से समाचार पत्रों के माध्यम से फैलाकर ठेकेदार द्वारा निगम के अधिकारियो को परेशान किया जाने लगा,  पर तब भी अधिशासी अभियंता ने ठेकेदार साबिद्र आनंद के फर्जी सर्टिफिकेट को मंजूरी नहीं दी। 

जिसके बाद ठेकेदार सबिंद्र आनंद द्वारा मामले को 2019 मे हाई कोर्ट ले गया (केस – 3285/2019)| जहाँ पर हाई कोर्ट ने ठेकेदार के फर्जी  दावो को ख़ारिज कर दिया। फिर दुबारा ठेकेदार द्वारा केस हाई कोर्ट मे डाला गया पर जब काउंटर मे साबिद्र आनंद ने अपने फर्जी सर्टिफिकेट की लम्बी लिस्ट देखी तो ब्लैकलिस्ट के डर से केस ही वापस ले लिया(केस – 1007/2019) | अब जब केस हाई कोर्ट मे ख़ारिज हो गया,  तो ठेकेदार ने जिला कोर्ट मे हाई कोर्ट के तथ्यों को छुपा कर, बिना दूसरे पक्ष को सुने अधिकारियो पर धोखे से FIR के आदेश करवा दिया। जबकि हाई कोर्ट पहले ही मामले ख़ारिज कर चूका है। 

गौरतलब है की ऐसे अधिकारीयों पर गर्व होता है जो इतनी मुश्किल के बाद भी अपने कार्यों को बिना किसी दबाव मे आये ईमानदारी से कर रहे है। सत्य यही है कि यह दो ठेकेदारों की लड़ाई है। यह सब ड्रामा ठेकेदार द्वारा यूजेवीएनएल के अधिकारियो पर दबाव बना कर सिर्फ अपनी फर्जी सर्टिफिकेट को स्वीकृत करा कर विभाग मे कार्य लेने के लिए किया जा रहा है। 



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