उत्तराखंड

बिजली की बर्बादी से नहीं चुक रहे ऊर्जा निगम कर्मचारी

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देहरादून। बिजली दरों में बढ़ोतरी के प्रस्ताव पर जैसे ही उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग में जनसुनवाई शुरू हुई तो लोगों का दर्द छलक उठा। लोगों ने कहा कि जब खुद ऊर्जा निगमों के अधिकारी और कर्मचारी बिजली की फिजूलखर्ची करके, दायित्व न निभाकर निगमों को घाटे में ला रहे हैं तो इसका खामियाजा जनता क्यों भुगते।

दरअसल, यूपीसीएल ने बिजली दरों में 6.02 प्रतिशत और तीनों ऊर्जा निगमों का मिलाकर 10.2 प्रतिशत बढ़ोतरी का प्रस्ताव नियामक आयोग के सामने आया है। आयोग इस पर प्रदेशभर में जन सुनवाई कर रहा है। आयोग के दफ्तर में सुबह 10:30 बजे से उद्योगों और व्यावसायिक उपभोक्ताओं के लिए सुनवाई हुई। यह सुनवाई आयोग के कार्यकारी अध्यक्ष डीपी गैरोला और सदस्य तकनीकी एमके जैन के समक्ष हुई।

इसमें आए उद्योगों के पदाधिकारियों और दुकानदारों ने एक सिरे से बिजली बढ़ोतरी के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। सुबह के सत्र में इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष पंकज गुप्ता, राजीव अग्रवाल, संजीव शर्मा, कमलदीप कांबोज, गुलशन खंडूरी, विशाल भारद्वाज, मनमोहन भारद्वाज, नवीन पटवाल, मनीष गेरा, प्रशांत, अनुराग शर्मा, अरविंद शर्मा, सुनीता चौधरी आदि ने अपने सुझाव रखे। दूसरे सत्र में आम उपभोक्ताओं बीरू बिष्ट, राजेश चौधरी, एसके सिंह, विश्वकर्मा, एसपी नौटियाल, एसके गुप्ता, एसके अग्रवाल आदि तमाम लोगों ने अपने सुझाव रखे। 

इन बातों के आधार पर लोगों ने जताई बिजली बढ़ोतरी पर आपत्ति
बिजली विभाग के दफ्तरों में 24 घंटे लाइटें जली रहती हैं। फ्रीज से लेकर एसी तक सभी चलते रहते हैं लेकिन कोई खर्च नहीं लिया जाता।
अधिकारियों-कर्मचारियों के घरों में, सरकारी आवासों में खुलेआम बिजली जलाई जा रही है। हीटर चलाए जा रहे हैं। कोई रोकटोक नहीं।
प्रदेश के कई जिलों में खुलकर बिजली चोरी हो रही है। पूर्व में जो चोरी के मामले पकड़े गए, उनमें कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई।
ग्रामीण इलाकों में रखे बतौर हेल्पर रखे गए स्थानीय युवा अपने पहचान वालों को चोरी से बिजली खर्च करवाते हैं लेकिन कोई सुनने वाला नहीं।
जब यूजेवीएनएल और यूपीसीएल अपने प्रॉफिट से पैसा राज्य सरकार को दे रहे हैं तो उन्हें जनता पर अतिरिक्त बोझ डालने की क्या जरूरत। 

अब आठ को कोटद्वार में जनसुनवाई, नौ को बैठक
नियामक आयोग की आखिरी जन सुनवाई आठ मार्च को कोटद्वार नगर निगम में होगी। इसके बाद विद्युत सलाहकार समिति की बैठक बुलाई जाएगी। इसके बाद आयोग सभी पक्षों पर विचार करेगा और टैरिफ पर निर्णय लेगा जो कि एक अप्रैल से प्रदेशभर में लागू होना है।



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