क्या भारत में बच्चों-युवाओं को है ओमिक्रॉन से सबसे ज्यादा खतरा, जानें क्या बोले एक्सपर्ट
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नई दिल्ली. भारत में ओमिक्रॉन वेरिएंट के केस रोजाना बढ़ रहे हैं. अभी तक भारत में की गई जीनोम सीक्वेंसिंग में 37 मामले ओमिक्रॉन वेरिएंट के निकले हैं. वहीं रोजाना पॉजिटिव आ रहे कोरोना मरीजों में वेरिएंट की जांच की जा रही है. इतना ही नहीं दक्षिण अफ्रीका में हुए ओमिक्रॉन के आउटब्रेक के बाद वहां बच्चों और युवाओं के बड़ी संख्या में संक्रमित होने की खबरें आ रही हैं, लिहाजा भारत में भी लोगों को चिंता है कि क्या ओमिक्रॉन वेरिएंट बच्चों को ज्यादा प्रभावित कर रहा है? क्या भारत में बच्चों को इस वेरिएंट से ज्यादा खतरा है. हालांकि इन तुलनाओं और सवालों पर स्वास्थ्य विशेषज्ञ अपनी अलग राय रखते हैं.
सीएसआईआर-इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी के निदेशक और भारत के जाने माने पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. अनुराग अग्रवाल कहते हैं कि ओमिक्रॉन कोरोना का हाल ही में सामने आया वेरिएंट है. यह कितना खतरनाक है, अभी इसके बारे में कुछ भी कहना मुश्किल है क्योंकि इसकी जानकारी हासिल करने के लिए लगातार अध्ययन हो रहे हैं और इसके मामलों पर नजर रखी जा रही है. संभावना है कि आने वाले कुछ दिनों में या इस महीने के आखिर तक यह स्पष्ट हो जाए कि यह संक्रामक होने के साथ-साथ कितना गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है.
अभी तक जो चीजें सामने आई हैं, उससे यह तय है कि ओमिक्रॉन वेरिएंट डेल्टा से कई गुना ज्यादा संक्रामक है और तेजी से फैल रहा है. जहां तक इसके संक्रमण से प्रभावित होने वाले लोगों की बात है तो दक्षिण अफ्रीका या अन्य देशों में जो भी हालात सामने आएं, उसे भारत के साथ नहीं जोड़ा जा सकता. दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रॉन वेरिएंट की शुरुआत ही यूनिवर्सिटी से हुई है. यूनिवर्सिटी में इस वेरिएंट के आउटब्रेक के बाद निश्चित है कि युवाओं में यह फैला है. ऐसे में वहां मामले भी युवाओं के ही ज्यादा सामने आएंगे. ऐसे में यह कह देना कि यह बच्चों को सबसे ज्यादा प्रभावित कर रहा है और दक्षिण अफ्रीका की तरह भारत में भी बच्चों को इससे ज्यादा खतरा है, सही नहीं है.
भारत में व्यस्क लोगों को ज्यादा खतरा
डॉ. अनुराग कहते हैं कि भारत में अभी भी हाई रिस्क वाली जनसंख्या में व्यस्क लोग ही हैं. दक्षिण अफ्रीका को देखते हुए यह कह देना कि बच्चों को यहां ओमिक्रॉन से खतरा है, किसी भी तरीके से ठीक नहीं है. वहीं भारत में हुए सीरो सर्वे में भी यह बात सामने आई है कि कोरोना की पिछली दोनों लहरों में बच्चों और बड़ों की सीरो पॉजिटिविटी समान ही थी. अगर डिनोमिनेटर प्रभाव देखें तो भारत की दोनों लहरों में बच्चों में संक्रमण उसी प्रकार था जैसा बड़ों में था. कुछ बच्चों में यह गंभीर था, जबकि ज्यादातर बच्चे इससे उबर गए थे. जैसा कि देखा गया है कि बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता भी अच्छी होती है. अगर व्यस्कों की पूरी आबादी को वैक्सीनेट कर दिया जाता है तो बच्चों तक इस बीमारी का खतरा वैसे भी कम हो जाता है.
वैक्सीनेटेड को संक्रमित कर रहा ओमिक्रॉन लेकिन…
डॉ. अग्रवाल कहते हैं कि इस समय जरूरी है कि व्यस्कों के टीकाकरण को जल्द से जल्द पूरा किया जाए. इसके लिए लोगों को भी आगे आना होगा और कोरोना की वैक्सीन की दोनों डोज लेनी होंगी. अभी तक यह जानकारी है कि ओमिक्रॉन भले ही वैक्सीन लगे हुए लोगों को संक्रमित कर रहा है लेकिन उनमें अभी गंभीरता नहीं दिखाई दे रही है. वहीं बच्चों को भी भारत में इस नए वेरिएंट से बहुत खतरा है, फिलहाल ऐसा कहना सही नहीं है. ऐसे में कोरोना वैक्सीनेशन जारी रहना चाहिए.
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Tags: Omicron, Omicron Alert, Omicron variant
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