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जम्मू-कश्मीर में हमलों से लेकर तालिबान की सरकार और OTT तक के मुद्दों पर बोले भागवत, यहां पढ़ें 10 खास बातें

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विजयादशमी के पर्व पर संबोधित करते सरसंघचालक मोहन भागवत (फोटो - RSS)

विजयादशमी के पर्व पर संबोधित करते सरसंघचालक मोहन भागवत (फोटो – RSS)

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में डर का माहौल बनाने के लिए आतंकवादी लोगों को चुन-चुनकर निशाना बना रहे हैं. विजयादशमी के पर्व पर संघ प्रमुख ने कई मुद्दों पर बात रखी.

नागपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने शुक्रवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में डर का माहौल बनाने के लिए आतंकवादी लोगों को चुन-चुनकर निशाना बना रहे हैं. नागपुर के रेशमबाग मैदान में वार्षिक विजयादशमी रैली को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि सीमाओं पर सैन्य तैयारियां बढ़ाने की जरूरत है. उन्होंने बिटकॉइन और ओटीटी प्लेटफॉर्म पर भी चिंता व्यक्त की और सरकार से इन्हें विनियमित करने के प्रयास करने को कहा. उन्होंने कहा, ‘जम्मू कश्मीर में डर पैदा करने के इरादे से आतंकवादी लोगों को चुन-चुनकर निशाना बना रहे हैं.’ जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले के सुरनकोट इलाके में डेरा की गली (डीकेजी) में 12 अक्टूबर को मुठभेड़ में एक जूनियर कमीशंड अधिकारी (जेसीओ) सहित सेना के पांच कर्मी शहीद हो गए थे. राजौरी जिले के थानामंडी इलाके में 19 अगस्त को आतंकियों के साथ मुठभेड़ में सेना का एक जूनियर कमीशंड अधिकारी (जेसीओ) शहीद हो गया था. भागवत ने कहा कि सामाजिक चेतना अब भी जाति आधारित भावनाओं से प्रभावित है और आरएसएस इसके समाधान के लिए काम कर रहा है.

यहां पढ़ें सरसंघचालक मोहन भागवत के संबोधन की 10 खास बातें

भागवत ने कहा- ‘स्वाधीनता से स्वतंत्रता तक का हमारा सफर अभी पूरा नहीं हुआ है. दुनिया में ऐसे तत्व हैं जिनके लिए भारत की प्रगति और एक सम्मानित स्थिति में उसका उदय उनके स्वार्थों के लिए हानिकारक है’. उन्होंने कहा ‘इस वर्ष श्री अरबिंदो की 150वीं जयंती है. उन्होंने हमारे ‘स्व’ के आधार पर भारत के निर्माण पर विस्तार से लिखा. यह श्री धर्मपाल का शताब्दी वर्ष भी है. उन्होंने गांधीजी से प्रेरणा ली और अंग्रेजों के सामने भारत के इतिहास के साक्ष्य प्रस्तुत करने का काम किया.’

भागवत ने कहा बाहर से आये सभी सम्प्रदायों के माननेवाले भारतीयों सहित सभी को यह मानना, समझना होगा कि हमारी आध्यात्मिक मान्यता व पूजा की पद्धति की विशिष्टता के अतिरिक्त अन्य सभी प्रकार से हम एक सनातन राष्ट्र, एक समाज, एक संस्कृति में पलेबढ़े समान पूर्वजों के वंशज हैं.

भागवत ने कहा- आज जो अपने को हिन्दू मानते हैं उनका यह कर्तव्य होगा कि वे अपने व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक जीवन तथा आजीविका के क्षेत्र में आचरण से हिन्दू समाज जीवन का उत्तम सर्वांग सुन्दर रूप खड़ा करें. सब प्रकार के भय से मुक्त होना होगा. दुर्बलता ही कायरता को जन्म देती है. यह बलोपासना किसी के विरोध या प्रतिक्रिया में नहीं. बल, शील, ज्ञान तथा संगठित समाज को ही दुनिया सुनती है. सत्य तथा शान्ति भी शक्ति के ही आधार पर चलती है. बलशीलसंपन्न तथा निर्भय बनाकर, ना भय देत काहू को, ना भय जानत आप…. ऐसे हिन्दू समाज को खड़ा करना पड़ेगा. जागरुक, संगठित, बलसंपन्न व सक्रिय समाज ही सब समस्याओं का समाधान है.

सरसंघचालक ने कहा कि राष्ट्रवादी विचार के नागरिकों का मनोबल तोड़ने के लिये और अपने आतंक के साम्राज्य को पुनर्स्थापित करने के लिए; जम्मू कश्मीर में आतंवादियों ने उन नागरिकों की – विशेषकर हिंदुओं की- लक्षित हिंसा का रास्ता फिर अपनाया है. नागरिक इस स्थिति का सामना धैर्यपूर्वक कर रहे है व निश्चित ही करते रहेंगे, परन्तु आतंकवादियों की गतिविधि का बंदोबस्त व समाप्ति के प्रयासों में अधिक गति लाने की आवश्यकता है.

भागवत ने कहा अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार बनने को अप्रत्याशित बताते हुए भागवत ने कहा कि तालिबान की ओर से कभी शांति की तो कभी काश्मीर की बात होती रही है. संकेत यह है, हम आश्वस्त बन कर नहीं रह सकते. हमें अपनी सामरिक तैयारी को सभी ओर की सीमाओं पर पूर्ण रूप से चुस्त दुरुस्त तथा सजग रखना है. ऐसी स्थिति में देश के अंदर की सुरक्षा, व्यवस्था तथा शान्ति की ओर भी शासन, प्रशासन तथा समाज को पूर्ण सजगता व सिद्धता रखनी होगी

भागवत ने कहा- देश में जनसंख्या नियंत्रण हेतु किये विविध उपायों से पिछले दशक में जनसंख्या वृद्धि दर में पर्याप्त कमी आयी है . लेकिन विविध सम्प्रदायों की जनसंख्या वृद्धि दर में भारी अन्तर, अनवरत विदेशी घुसपैठ व मतांतरण के कारण देश की समग्र जनसंख्या विशेषकर सीमावर्ती क्षेत्रों की जनसंख्या के अनुपात में बढ़ रहा असंतुलन देश की एकता, अखंडता व सांस्कृतिक पहचान के लिए गंभीर संकट का कारण बन सकता है.

भागवत ने कहा कि अपने समाज में व्याप्त ‘स्व’ के बारे में अज्ञान, अस्पष्टता तथा अश्रद्धा के साथ साथ आजकल विश्व में बहुत गति से प्रचारित होती जा रही कुछ नयी बातें भी इन स्वार्थी शक्तियों के कुत्सित खेलों के लिए सुविधाजनक बनी है. बिटक्वाइन जैसा अनियंत्रित चलन प्रच्छन्न आर्थिक स्वैराचार का माध्यम बन कर सभी देशों की अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक चुनौती बन सकता है. ओ. टी. टी. प्लैटफॉर्म पर कुछ भी प्रदर्शित होगा और कोई भी उसे देखेगा ऐसी स्थिति है. अभी ऑनलाइन शिक्षा चलानी पड़ी. बालकों का मोबाइल पर देखना भी नियम सा बन गया. सभी बातों पर समय रहते हुए उचित नियंत्रण का प्रबंध शासन को करना चाहिए.

सरसंघचालक ने कहा ‘समाज की आत्मीयता व समता आधारित रचना चाहने वाले सभी को प्रयास करने पड़ेंगे. सामाजिक समरसता के वातावरण को निर्माण करने का कार्य संघ के स्वयंसेवक सामाजिक समरसता गतिविधियों के माध्यम से कर रहे हैं.’ उन्होंने कहा ‘हम ऐसी संस्कृति नहीं चाहते जो विभाजन को बढ़ाए बल्कि उस संस्कृति के समर्थक हैं जो राष्ट्र को एक साथ बांधे और प्रेम को बढ़ावा दे… इसलिए जन्मदिन, त्योहार जैसे विशेष अवसर एक साथ मनाए जाने चाहिए.’

भागवत ने कहा- अपने मत, पंथ, जाति, भाषा, प्रान्त आदि छोटी पहचानों के संकुचित अहंकार को हमें भूलना होगा. उन्होंने कहा कि COVID19 की दूसरी लहर पहली की तुलना में कहीं अधिक विनाशकारी थी. इसने युवाओं को भी नहीं बख्शा. महामारी से उत्पन्न गंभीर स्वास्थ्य खतरों के बावजूद मानव जाति की सेवा में निस्वार्थ भाव से समर्पित नागरिकों के प्रयास प्रशंसनीय हैं.

हाल ही में संपन्न हुए ओलंपिक खेलों पर भागवत ने कहा- हमारे खिलाड़ियों ने टोक्यो ओलंपिक में 1 स्वर्ण, 2 रजत और 4 कांस्य पदक और देश के लिए पैरालिंपिक में 5 स्वर्ण, 8 रजत और 6 कांस्य पदक हासिल किए हैं. उनके समर्पित प्रयासों के लिए उन्हें बधाई दी जानी चाहिए.

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