राष्ट्रीय

BSTC-BEd case: 13 लाख अभ्यर्थियों जुड़े बड़े मामले की हाई कोर्ट में शुरू हुई निर्णायक सुनवाई

[ad_1]

जोधपुर. बीएसटीसी-बीएड विवाद (BSTC-BEd Dispute) मामले में आज राजस्थान हाई कोर्ट की मुख्य पीठ जोधपुर में फाइनल सुनवाई (Final Hearing) शुरू हो गई है. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अकील कुरैशी की खण्डपीठ में यह सुनवाई हो रही है. पिछली सुनवाई में अदालत ने साफ कर दिया था कि आगामी सुनवाई में मामले को किसी भी स्थिति में स्थगित नहीं किया जाएगा. ऐसे में उम्मीद है कि आज हो रही सुनवाई निर्णायक हो सकती है. इस विवाद को लेकर बीएसटीसी के अभ्यर्थी पिछले 42 दिनों से जयपुर के शहीद स्मारक पर धरना दे रहे हैं. उनकी मांग है कि रीट लेवल फर्स्ट से बीएड अभ्यर्थियों को बाहर किया जाए.

पिछली सुनवाई में राज्य सरकार की ओर से हाई कोर्ट में एक एडिश्नल एफिडेविट पेश करके कहा गया था कि प्रदेश में लेवल-1 के पदों के मुकाबले पर्याप्त संख्या में बीएसटीसी अभ्यर्थी मौजूद हैं. ऐसे में एनसीटीई का नोटिफिकेशन राज्य में लागू नहीं होता है. वहीं बीएड अभ्यर्थी लेवल-1 के लिए ट्रेंड नहीं है. उन्हें बीएड में लेवल-2 के लिए ट्रेंड किया जाता है.

ट्रेनिंग का नहीं, केवल योग्यता का मामला
बीएड अभ्यर्थी पिछली सुनवाई में राज्य सरकार द्वारा दिए गए एडिश्नल एफिडेविट का जवाब देते हुए बीएड अभ्यर्थियों ने हाई कोर्ट में काउंटर एफिडेविट पेश किया है. इसमें बीएड अभ्यर्थियों की ओर से अधिवक्ता रघुनंदन शर्मा और अन्य अधिवक्ताओं ने कहा है कि आरटीई एक्ट में टीचर्स की योग्यता तय करने का अधिकार एनसीटीई को दिया गया है. वहीं पंचायतीराज एक्ट 1966 के नियम 266 में यह प्रोविजन है कि जो भी क्वालीफिकेशन एनसीटीई तय करेगी, उसी के अनुसार भर्ती की जाएगी.

अधिवक्ताओं ने दिया ये तर्क
अधिवक्ताओं का तर्क है कि राज्य सरकार ने कभी एनसीटीई के नोटिफिकेशन को चुनौती नहीं दी है. ना ही पंचायतीराज एक्ट के रुल्स में कोई संशोधन किया. वहीं जब एक तरफ बीएसटीसी के साथ ग्रेजुएशन करने वाले अभ्यर्थियों को लेवल-2 में बिना बीएड किए पात्र माना गया है तो बीएड अभ्यर्थियों का लेवल-1 के लिए पात्र क्यों नहीं माना जाए. क्योंकि यह ट्रेनिंग का नहीं, केवल योग्यता से जुड़ा मामला है.

यह है इससे जुड़ा पूरा विवाद
उल्लेखनीय है कि रीट भर्ती परीक्षा के जिस लेवल-1 को लेकर लाखों अभ्यर्थी आमने सामने है. वह विवाद एचआरडी मिनिस्ट्री के एक आदेश की देन है. केन्द्रीय विद्यालय संगठन कमिश्नर के एक लैटर पर एचआरडी मिनिस्ट्री ने फैसला लेते हुए एनसीटीई को निर्देश दिया था कि वो आरटीई एक्ट में संशोधन करके देशभर में टीचर ग्रेड-3 के लिए बीएड डिग्री धारकों को भी योग्य माने. इस पर एनसीटीई ने संशोधन के बाद 28 जून 2018 को एक नोटिफिकेशन जारी करते हुए टीचर ग्रेड-3 के लेवल-1 में बीएड डिग्री धारकों को पात्र घोषित करके कहा कि उन्हें नियुक्ति के दो साल के अंदर एक ब्रिज कोर्स पास करना होगा. बस यहीं से यह विवाद शुरू हुआ.

सरकारें एनसीटीई के इस नोटिफिकेशन को मानने के लिए बाध्य हो गई
उसके बाद सभी राज्य सरकारें एनसीटीई के इस नोटिफिकेशन को मानने के लिए बाध्य हो गई. हालांकि राजस्थान में जारी हुए रीट भर्ती 2021 के विज्ञापन में लेवल-1 के लिए बीएड डिग्रीधारियों को पात्र नहीं माना गया है. इसके बाद नोटिफिकेशन का हवाला देकर बीएड अभ्यर्थी हाई कोर्ट पहुंच गए. वहीं दूसरी ओर बीएसटीसी अभ्यर्थियों ने भी हाई कोर्ट में एनसीटीई के नोटिफिकेशन को चुनौती दे दी है.

Tags: Jodhpur High Court, Rajasthan high court, Rajasthan latest news, Rajasthan News Update



[ad_2]

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *