Char Dham Project Case : केंद्र का दावा, सड़क निर्माण नहीं है उत्तराखंड में लैंडस्लाइड का कारण
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देहरादून. चार धाम परियोजना से जुड़े मामले में केंद्र सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि इस तरह के आरोप निराधार और विकास विरोधी हैं, जिनमें कहा जा रहा है कि सड़क निर्माण के कारण उत्तराखंड में भूस्खलन की घटनाएं बढ़ रही हैं. हालांकि उन्होंने यह माना कि उत्तराखंड के इस इलाके की ज़मीन संवेदनशील है. केंद्र सड़क परिवहन मंत्रालय के सचिव गिरिधर आरामणे ने साफ तौर पर कहा कि भारत के जिओलॉजिकल सर्वे और अन्य संस्थानों के हवाले से कहा कि उत्तराखंड में लैंडस्लाइड की घटनाओं के लिए सड़क निर्माण कारण नहीं था. यह बयान इसलिए अहम है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में फैसला सुरक्षित रख चुका है.
पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने राज्य और केंद्र सरकार के इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को लेकर अपना फैसला सुरक्षित रखा था और उससे पहले कहा था कि उत्तराखंड में रक्षा, विकास और पर्यावरण की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए एक सामंजस्य बनाए जाने की ज़रूरत है. 12,000 करोड़ की लागत के इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के बारे में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि यह सीमा सुरक्षा के लिहाज़ से महत्वपूर्ण है. गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को जोड़ने वाले इस हाईवे पर ऑल वेदर रोड के निर्माण को लेकर पर्यावरण संबंधी संस्था ने आपत्ति दर्ज की थी.
‘वैसे भी होता रहता है भूस्खलन’
सड़क सचिव आरामणे ने कहा कि उत्तराखंड के इलाके वैसे ही भूस्खलन के लिहाज़ से संवेदनशील हैं और जहां सड़कें नहीं हैं, वहां भी प्राकृतिक व भौगौलिक परिस्थितियों के चलते भूस्खलन होता ही है. समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट के ज़रिये सरकार का मकसद यही है कि दूरस्थ इलाकों को बेहतर सड़क मार्ग से जोड़ा जाए और सशस्त्र बलों के सामने पेश आने वाली मुश्किलों को कम किया जाए.
केंद्रीय सड़क सचिव गिरिधर आरामणे ने चार धाम प्रोजेक्ट की हिमायत की.
आरामणे ने इस बातचीत में स्पष्ट तौर पर कहा कि अब तक किसी भी स्टडी में यह वैज्ञानिक आधार पर साबित नहीं हुआ है कि चार धाम प्रोजेक्ट की वजह से उत्तराखंड में लैंडस्लाइड या बाढ़ जैसी आपदाएं आईं. गौरतलब है कि चार धाम परियोजना की सड़कों की चौड़ाई बढ़ाए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है क्योंकि सिटीज़न्स फॉर ग्रीन दून नाम के एनजीओ ने पर्यावरण संबंधी चिंताओं को लेकर इस प्रोजेक्ट के खिलाफ याचिका दायर की थी.
आपको याद दिला दें कि इससे पहले राज्यसभा में इसी साल मार्च के महीने में सड़क परिवहन और हाईवे मंत्री नितिन गडकरी ने भी एक लिखित जवाब में कहा था कि ‘उत्तराखंड सरकार, जिओलॉजिकल सर्वे और डीजीआरई की रिपोर्ट्स के मुताबिक उत्तराखंड में बाढ़जनित आपदा का कारण चार धाम प्रोजेक्ट की सड़कों को चौड़ा करना नहीं था.
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Tags: Char Dham Yatra, Supreme court of india, Uttarakhand news
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