उत्तराखंड

Char Dham Yatra : सरकार ने हाई कोर्ट से यात्रियों की संख्या बढ़ाने की गुजारिश की, ये तर्क दिए

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नैनीताल. चारधाम यात्रा को लेकर सरकार फिर हाई कोर्ट पहुंची है. उत्तराखंड सरकार ने अब कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल कर मांग की है कि चारों धामों में अधिकतम यात्रियों की संख्या बढ़ाई जाए. शुक्रवार को सरकार की ओर से कोर्ट में आवेदन दिया गया लेकिन कोर्ट ने मामले को सुनवाई के लिए रेगुलर बेंच को भेज दिया. दरअसल मेडिकल सुविधाओं के अभाव में 28 जून को हाई कोर्ट ने चारधाम यात्रा पर रोक लगा दी थी, जिसके बाद 16 सितंबर को कोर्ट ने रोक को हटाकर यात्रियों की संख्या सीमित कर दी थी. कोर्ट के आदेश के तहत बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धामों में सीमित यात्रियों को अनुमति दिया जाना तय हुआ था.

सरकार का पहला तर्क : तिरुपति का हवाला
बद्रीनाथ और केदारनाथ धामों के लिए 15 अक्टूबर तक बुकिंग पैक होने के चलते सरकार ने प्रार्थना पत्र दाखिल किया है. बद्रीनाथ व केदारनाथ के लिए 3 हजार, गंगोत्री के लिए 1 हजार और यमुनोत्री के लिए 700 यात्रियों को अनुमति दिए जाने की मांग की है. सरकार ने अपने प्रार्थना पत्र में तिरुपति का हवाला देते हुए कहा है कि एक ज़िले में होने वाली यात्रा के लिए 8 हजार की अनुमति दी गई है, लेकिन उत्तराखंड में 3 ज़िलों में आयोजित होने वाली चारधाम यात्रा में 2800 को ही अनुमति मिली है.

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दूसरा तर्क : कोविड और वैक्सीन के आंकड़े
सरकार ने कहा कि अब तक एक भी यात्री के कोरोना पॉजिटिव होने का मामला नहीं आया है और अब सरकार की मंशा 1 मिनट में 3 यात्रियों को दर्शन करने के बजाए 1 मिनट में 5 यात्रियों को दर्शन कराने की है. सरकार ने अपने प्रार्थना पत्र में कहा कि उत्तराखंड में 45 से ऊपर वाले लोगों को 95 प्रतिशत कोविड वैक्सीन की पहली डोज़ दी जा चुकी है और 63 प्रतिशत लोगों को दूसरी डोज़ भी दे दी गई है. 18 साल से 44 साल का आंकड़ा देते हुए सरकार ने बताया कि पहली डोज़ 89 प्रतिशत और दूसरी डोज 26 फीसदी को दी जा चुकी है.

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इस दौरान उत्तराखंड सरकार के मुख्य स्थायी अधिवक्ता चंद्र शेखर रावत ने कहा कि पहले के मुकाबले अब परिस्थितियां बिल्कुल अलग हैं. 15 अक्टूबर तक स्लॉट बुक होने से यात्रियों को दर्शन की अनुमति नहीं मिल पा रही है. सीएस रावत ने कहा कि अब 4 अक्टूबर को चीफ जस्टिस के सामने मामले को रखा जाएगा. उम्मीद है कि श्रद्धालुओं की आशाओं व मांग को लेकर कोर्ट कोई रास्ता निकलेगा.

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