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Chennai: कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए कक्षाओं को जाति के आधार पर बांटा, मचा हड़कंप

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नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) के कारण चेन्नई (Chennai) में लगभग 19 महीने बाद स्कूलों को फिर से खोल (School Reopen) दिया गया है. लेकिन, स्कूल खुलते ही यहां एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. चेन्नई के एक प्राथमिक स्कूल में छात्रों की कक्षाओं को जाति के आधार (Based on Caste) पर डिवाइड किया और जाति के ही आधार पर बच्चों के अटेंडेंस रजिस्टर भी बनाए गए. सामान्य तौर स्कूलों में छात्रों के अटेंडेंस रजिस्टर अल्फाबेट के अनुसार बनाए जाते हैं लेकिन यहां ऐसा नहीं हुआ. जाति के आधार पर कक्षाओं को बाटने की बात जब सामने आई तो कई नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसका कड़ा विरोध किया.

जानकारी के अनुसार यह सामने आया है कि एक शिक्षिका ने जाति के आधार पर छात्रों का रजिस्टर और बैच बनाया था. हड़कंप मचने के तुरंत बाद ग्रेटर चिनेनई कॉरपोरेशन (GCC) ने स्कूल प्रशासन को फटकार लगाई और शिक्षिका के खिलाफ त्वरित कार्रवाई करते हुए उसका ट्रांसफर कर दिया गया. इस पूरे मामले को लेकर अभी जांच चल रही है. जीसीसी ने स्कूल प्रशासन को तुरंत इस तरह की प्रैक्टिस बंद करने के निर्देश दिए हैं.

समाचार एजेंसी आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक जाति आधारित कक्षाओं को बाटने का मामला सामने आने का बाद स्कूल की प्रधानाध्यापिका ने कहा कि है यह अनजाने में हुआ है. उन्होंने कहा कि जाति के आधार पर उपस्थिति रजिस्टर का रखरखाव केवल प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए था और छात्रों को अपने सहपाठियों की जाति के बारे में पता नहीं चलेगा.

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ग्रेटर चेन्नई कॉरपोरेशन के उपायुक्त ने कही ये बात
ग्रेटर चेन्नई कॉरपोरेशन के उपायुक्त डी स्नेहा ने एक बयान में कहा- इस मुद्दे को सुलझा लिया गया है और उपस्थिति रजिस्टर को सही किया गया है. ऐसा लगता है कि मौखिक जांच के अनुसार यह अनजाने में हुआ है. अधिकारी ने कहा कि सहायक शिक्षा अधिकारी को इस मामले में जांच करने के निर्देश दिए गए हैं.

सेंटर फॉर पॉलिसी एंड डेवलपमेंट स्टडीज के निदेशक, सी राजीव ने समाचार एजेंसी को बताया, यह बेहद चौंकाने वाला मामला है. जाति के आधार पर उपस्थिति रजिस्टर बनाए रखने के बाद प्रधानाध्यापिका कैसे मुक्त हो सकती है? जहां सरकार लोगों में जाति की भावना को खत्म करने की लगातार कोशिश कर रही है, वहीं शिक्षक जानबूझकर नाबालिग बच्चों में जाति भेदभाव का इंजेक्शन लगा रहे हैं. गलती करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.

स्कूलों को दिए गए थे ये निर्देश
दरअसल इतने दिनों बाद स्कूल खुलने पर स्कूलों को निर्देश दिए गए थे कि दो सप्ताह तक बच्चों को कहानी, लेखन, ड्राइंग जैसी रचनात्मक और क्रिएटिव गतिविधियों में लगाए ताकि बच्चे फिर से क्लास के माहौल में अपने को एडजस्ट कर सके.स्कूलों को यह भी निर्देश दिया गया कि छात्रों को अलग अलग बैच में बाट कर अलग अलग कक्षाओं में पढ़ाएं ताकि वह आपस में एक दूसरे में ठीक प्रकार से घुल मिल सके. इसी निर्देश के पालन स्कूल में छात्रों की कक्षाओं को जाति के आधार पर बाट दिया गया और उनकी उपस्थिति का रजिस्टर भी जाति के आधार पर बना दिया गया.

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