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कर्नल विप्लव त्रिपाठी की मौत असम राइफल्स के लिए अपूरणीय क्षति, सीनियर अधिकारी बोले ‘जोश मशीन’ थे

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नई दिल्ली: मणिपुर के सेहकन गांव में हुए उग्रवादी हमले (Militant attack) में अधिकारी कर्नल विप्लव त्रिपाठी (Viplav Tripathi) की मौत असम राइफल्स (Assam Rifles) और भारतीय सेना दोनों ही के लिए एक बड़ा झटका है. अलगाववादी समूह पीपुल्स लिबरेशन आर्मी या पीपुल्स रिवोल्यूशनरी पार्टी ऑफ कंगलीपाक (PREPAK) के आतंकवादियों द्वारा किए गए इस हमले में चार सैनिकों के साथ विप्लव त्रिपाठी और उनकी पत्नी और छह साल के बेच्चे की भी मौत हो गई. विल्पव हमेशा अपनी कार्यकुशलता के साथ-साथ अपने व्यवहार के लिए भी जाने जाएंगे. उनके साथी कर्मी बताते हैं विप्लव एक ऐसे अधिकारी थे जो दूसरों के लिए ‘जोश मशीन’ थे और सज्जनता उनमें कूट-कूट कर भरी हुई थी. शायद ही कभी किसी ने उन्हें क्रोध करते हुए देखा हो.

46 असम राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर जो हमेशा मुस्कुराते रहे और दूसरों के लिए मददगार रहे. त्रिपाठी की उंगलियों पर हमेशा जानकारियां उपलब्ध रहती थीं चाहे वह मिजोरम-म्यांमार सीमा पर अवैध तस्करी का डेटा हो या फिर असम राइफल्स की महिला कर्मियों को दी जाने वाली प्रशीक्षण के नियम हों. कर्नल विप्लव की मेहनत और उनसे जज्बे को शायद ही कोई भूल पाए.

मुख्यालय लौटते समय हुआ हमला
विप्लव त्रिपाठी एक फॉरवर्ड कंपनी बेस से अपने बटालियन मुख्यालय में लौट रहे थे तभी आईईडी द्वारा सेहकन गांव में उनके काफिले पर हमला किया गया. इस हमले में उनके साथ छह अन्य लोगों ने जान गंवा दी. सेहकन मणिपुर का एक गांव है, जो बेहियांग क्षेत्र में मिजोरम सीमा पर है यह चुराचांदपुर के जिला मुख्यालय से लगभग 65 किमी दूर है. कर्नल त्रिपाठी के साथ काम करने वाले एक अधिकारी ने उन्हें जोश मशीन के नाम से याद किया जो हमेशा लोगों में जोश भरने का काम करते थे.

भरोसेमंद व्यक्त थे विप्लव त्रिपाठी
अधिकारी ने कहा कि गैरिसन बटालियन सीओ होने के नाते, उन्होंने हमेशा सकारात्मकता नजरिया दिखाया. हम सब को उन पर पूरा विश्वास था और वह काफी भरोसेमंद व्यक्ति थे. वे अपनी जिम्मेदारियों को भली प्रकार से निभाना जानते थे. उन्होंने कहा कि बहुत जोर देने पर भी मुझे याद नहीं आता कि मैंने उन्हें गुस्से में कब देखा था. वह एक अच्छे सैनिक, पति और पिता थे. उनकी मौत एक अपूरणीय क्षति है.

कठिन परिस्थितियों में भी हार नहीं मानी
असम राइफल्स में सेवारत एक अन्य सीनियर अधिकारी, जिन्होंने कर्नल विप्लव अत्यधिक सक्षम और पर तरह की परिस्थितियों में भी खुश रहने वाले व्यक्ति थे. उन्होंने कहा कि हालात कैसे भी रहे हों लेकिन उन्हें कभी परेशान या फिर हताश नहीं देखा. उन्होंने सबसे कठिन परिस्थितियों को भी काफी सजगता और आसानी के साथ जिम्मेदारियों को निभाया. वह कभी भी तनाव में नहीं आए. अधिकारी ने कहा कि विप्लव पर मेरा विश्वास अटूट था और उसने मुझे कभी निराश नहीं किया.

इस घटना ने रक्षा संगठनों को स्तब्ध कर दिया है, खासकर इसलिए कि मणिपुर-मिजोरम सीमा पर इस क्षेत्र में पिछले चार वर्षों में शांति देखी गई है. मणिपुर में हुई इस आतंकी घटना की फिलहाल अभी तक किसी भी समूह ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है, असम राइफल्स के सूत्रों का कहना है कि इसके पीछे आतंकवादी समूह PREPAK का हाथ होने का संदेह है, क्योंकि यह संगठन 12-13 नवंबर को ‘स्मरण दिवस’ के रूप में चिह्नित करता

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