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पूर्व CAG विनोद राय की माफी से यूपीए सरकार को बदनाम करने के लिए बोले गए झूठ बेनकाब हुए- कांग्रेस

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नयी दिल्ली. कांग्रेस (congress) ने पूर्व नियंत्रक एवं महा लेखा परीक्षक (CAG) विनोद राय द्वारा 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले को लेकर किए एक दावे पर पूर्व सांसद संजय निरुपम (Sanjay Nirupam)  से माफी मांगे जाने के बाद बृहस्पतिवार को कहा कि राय के इस माफीनामे से पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह  (manmohan singh) और पूर्ववर्ती संप्रग सरकार (UPA government) को बदनाम करने के लिए चलाए गए सारे झूठ बेनकाब हो गए हैं. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला (Randeep Surjewala) ने ट्वीट किया, ‘सच्चाई की पुष्टि हुई है. डॉक्टर मनमोहन सिंह और संप्रग सरकार को बदनाम करने के लिए बोले गए झूठ इस हलफनामे से बेनकाब हो गए हैं. इस लड़ाई के लिए संजय निरुपम की सराहना करता हूं.’

उन्होंने सवाल किया, ‘क्या समाचार चैनलों को माफी नहीं मांगनी चाहिए? गौरतलब है कि विनोद राय ने 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में सीएजी रिपोर्ट में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का नाम शामिल न करने के लिए दबाव बनाने वालों में कांग्रेस नेता संजय निरुपम के नाम के उल्लेख पर बिना शर्त उनसे माफी मांग ली है. राय ने अपनी किताब में निरुपम के नाम का उल्लेख उन सांसदों के साथ किया था, जिन्होंने कैग की रिपोर्ट में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का नाम नहीं लेने के लिए उन पर कथित तौर पर दबाव डाला था.

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साल 2014 में पूर्व सीएजी ने अपनी किताब में आरोप लगाए थे और मीडिया को दिए साक्षात्कारों में इसे दोहराया था, जिसके बाद निरुपम ने राय के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था. पटियाला हाउस में मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत ने राय की माफी स्वीकार करते हुए निरुपम का बयान दर्ज कर मामले का निपटारा कर दिया है. निरुपम के वकील आर के हांडू ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘विनोद राय को मामले में बरी कर दिया गया है. चूंकि निरुपम ने उनकी माफी स्वीकार कर ली है, इसलिए उनका बयान दर्ज करने के बाद मामले का निपटारा कर दिया गया है.’

पूर्व सीएजी ने अदालत में दायर एक हलफनामे में कहा है कि उन्होंने अनजाने में और गलत तरीके से निरुपम के नाम का पहले उल्लेख किया. उन्होंने अपने हलफनामे में कहा, ‘मैंने अनजाने में और गलत तरीके से संजय निरुपम के नाम का उल्लेख उन सांसदों में से एक के रूप में किया था जिन्होंने लोकलेखा समिति (पीएसी) की बैठकों में या संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बैठकों से इतर, 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन पर कैग की रिपोर्ट से तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का नाम बाहर रखने के लिए दबाव डाला था.’ पूर्व सीएजी ने यह भी कहा है कि निरुपम के खिलाफ उनके द्वारा दिए गए बयान तथ्यात्मक रूप से गलत हैं.

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