उत्तराखंड

उत्तराखंड में 4 साल में 33% बढ़ गया साइबर क्राइम, पिछले साल से दोगुने केस इस साल

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देहरादून. उत्तराखण्ड में पिछले 4 साल में साइबर क्राइम का ग्राफ़ 33 फीसदी से भी ज्यादा बढ़ा है. ऐसे में, देहरादून में संयुक्त साइबर अपराध समन्वय यानी Joint Cyber Crime Co-ordination की दूसरी कान्फ्रेन्स में बाहरी राज्यों के साथ कॉर्डिनेशन से लेकर एक्शन प्लान पर मंथन हुआ, जिससे साइबर क्राइम का ग्राफ़ घट सके. हालांकि लगातार बढ़ते केस पुलिस की भी चिंता बढ़ाने के लिए काफी हैं. जानिए कि किस तरह उत्तराखंड में साइबर क्राइम बढ़ गया है पुलिस इस तरफ कैसे कदम उठाने की कवायद कर रही है.

इस साल 2020 से ज़्यादा केस आ चुके हैं
उत्तराखण्ड में क्राइम का ग्राफ 2018 से 2022 के बीच 33 फीसदी तक बढ़ गया है. आंकड़ों के मुताबिक साल 2018 में उत्तराखंड में 100 केस 2020 में 243 केस सामने आए थे. इस साल के पहले छह महीनों यानी जून तक 253 केस सामने आ चुके हैं. यानी इस साल के आंकड़े पिछली साल की तुलना में दोगुने तक हो सकते हैं. साइबर केस के ग्राफ़ को देखते हुए अब पुलिस को चिन्ता सताने लगी है इसलिए इस क्रॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया ताकि क्राइम कंट्रोल करने में मदद मिल सके.

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पिछले साल चड़ीगढ़ में साइबर क्राइम की रोकधाम को लेकर ज्वाइंट साइबर क्राइम कॉर्डिनेशन की ऑनलाइन मीटिंग हुई थी. इस बार देहरादून में पुलिस हेडक्वॉर्टर में यह कॉन्फ्रेस हुई, जिसमें आईबीएस, ईडी, सीबीआई, डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम, आरबीआई, कम्पनी के रजिस्ट्रार और दूसरी एजेंसियां भी शामिल हुईं. गौरतलब है​ कि भारत को Cyber Zone में बांटा गया है, जिसमें उत्तराखण्ड North Zone में शामिल है. इसमें जम्मू कश्मीर, लद्दाख, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, चण्डीगढ़, उत्तराखण्ड और गृह मंत्रालय का समूह सदस्य है, जिसका मकसद सूचना और अपराध के डेटा को एक दूसरे से बताना और केस स्टडी शामिल है.

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