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कोरोना मरीज के लिए घातक हो सकती है दिल्ली की हवा, 20% बढ़े सांस की परेशानी वाले मरीज

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नई दिल्ली. दिवाली (Diwali) और पराली जलाने (Stubble Burning) के मामलों के बाद दिल्ली और आसपास के इलाकों की हवा खासी प्रभावित हुई है. लगातार गिर रही हवा की गुणवत्ता का असर लोगों के स्वास्थ्य पर दिखने लगा है. राजधानी के डॉक्टर्स ने पाया है कि सांस संबंधी परेशानियों (Respiratory Problems) के मरीजों में 20 फीसदी का उछाल आया है. इसके अलावा जानकारों का यह भी कहना है कि AQI का मौजूदा स्तर उन मरीजों पर भी गंभीर असर डाल सकता है, जो हाल ही में कोविड-19 (Covid-19) से उबरे हैं.

हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत में बीएलके-मैक्स अस्पताल में रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉक्टर संदीप नायर ने बताया, ‘फेंफड़े से जुड़ी परेशानियों का सामना कर रहे मरीजों में 20 फीसदी बढ़त हुई है. ये मरीज बदलते मौसम के कारण बीते 15-20 दिनों में गंभीर लक्षणों का सामना कर रहे हैं.’ उन्होंने कहा कि दिवाली के बाद प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है और अब यह पराली जलाने से हो, गाड़ी के धुएं से हो या पटाखे जलाने से हो, हमने बीते कुछ दिनों में मरीजों की संख्या में अतिरिक्त 10 फीसदी का इजाफा देखा है.

इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के डॉक्टर राजेश चावला ने कहा कि दिवाली से सांस संबंधी परेशानियों के मामले बढ़ गए हैं. डॉक्टर्स का कहना है कि कोरोना वायरस से उबर चुके या अभी भी ICU में भर्ती मरीजों को प्रदूषण की वजह से सांस लेने में मुश्किल हो सकती है. एचटी की रिपोर्ट के अनुसार, डॉक्टर चावला ने कहा, ‘कुछ लोगों में अस्थमा जैसी ब्रोन्कियल हइपर एक्टिविटी देखने को मिल सकती है. कोविड-19 से उबर चुके करीब 20 से 30 फीसदी मरीज प्रभावित होंगे. यह इस साल तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि आने वाले समय तक चलेगा.’ उन्होंने कहा कि कमजोर फेफड़ों वालों पर प्रदूषण का असर ज्यादा होगा.

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रविवार को ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने भी कहा था कि प्रदूषण कोविड-19 संक्रमण के गंभीर मामलों का कारण बन सकता है. उन्होंने कहा कि प्रदूषण सांस संबंधी स्वास्थ्य को प्रभावित करता है. खासतौर से उन्हें, जिन्हें फेफड़ों की परेशानी है या अस्थमा की समस्या है. उन्होंने चिंता जताई कि हवा प्रदूषण और कोरोना वायरस मरीज की स्थिति को खराब कर सकते हैं. साथ ही इससे मौत भी हो सकती है.

भाषा के अनुसार, दिल्ली में वायु गुणवत्ता लगातार तीन दिन तक ‘गंभीर’ श्रेणी में रहने के बाद, सोमवार सुबह थोड़े सुधार के बाद ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई. वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई), दिल्ली में सुबह नौ बजकर पांच मिनट पर 385 था. नोएडा, गुरुग्राम और ग्रेटर नोएडा में यह क्रमश: 406, 363, 296 दर्ज किया गया. एक्यूआई को शून्य और 50 के बीच ‘अच्छा’, 51 और 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 और 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 और 300 के बीच ‘खराब’, 301 और 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 और 500 के बीच ‘गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है.

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