सात साल में नवंबर के दौरान इस बार दिल्ली की वायु गुणवत्ता सबसे खराब: सीपीसीबी
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नयी दिल्ली. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार पिछले सात साल में नवंबर के दौरान इस बार दिल्ली की वायु गुणवत्ता (Air Quality Index AQI) सबसे खराब रही. राष्ट्रीय राजधानी में 11 दिन ‘गंभीर’ प्रदूषण ( Delhi air pollution) रहा और एक भी दिन हवा की गुणवत्ता ‘अच्छी’ नहीं रही. विशेषज्ञों ने इसके लिए लंबे समय तक मानसून के मौसम के कारण पराली जलाने की सबसे ज्यादा घटनाओं वाली अवधि करीब एक सप्ताह आगे बढ़ने को जिम्मेदार ठहराया है. राजधानी के वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) का 30 दिनों का औसत 376 था. सीपीसीबी के अनुसार यह सूचकांक 2020 में 328, वर्ष 2019 में 312, वर्ष 2018 में 335, वर्ष 2017 में 361, वर्ष 2016 में 374 और 2015 में 358 था.
एक्यूआई को शून्य से 50 के बीच ‘अच्छा’, 51 से 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 से 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 से 300 के बीच ‘खराब’, 301 से 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 के बीच ‘गंभीर’ माना जाता है. दिल्ली में इस साल नवंबर में 11 दिन हवा की गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में रही, जो सीपीसीबी द्वारा 2015 में वायु गुणवत्ता डेटा शुरू करने के बाद से इस महीने में सबसे अधिक है. महीने के पहले पखवाड़े में सात दिन सूचकांक ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज किया गया.
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वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान एजेंसी ‘सफर’ के संस्थापक-परियोजना निदेशक गुफरान बेग ने कहा कि अत्यधिक प्रदूषण की घटनाएं (दिवाली और पराली जलाने की घटनाओं में तेज बढोतरी वाली अवधि) मानसून की देरी से वापसी के कारण इस साल नवंबर में स्थानांतरित हो गई. उन्होंने कहा, ‘यही प्रमुख कारण है कि नवंबर में पिछले कुछ वर्षों की तुलना में इस साल हवा की गुणवत्ता खराब रही.’ दिल्ली में इस साल नवंबर में 11 ‘गंभीर’ वायु गुणवत्ता वाले दिन देखे गए, जो सीपीसीबी द्वारा 2015 में वायु गुणवत्ता डेटा बनाए रखने के बाद से महीने में सबसे अधिक है. महीने में सात ‘गंभीर’ वायु गुणवत्ता वाले दिन दर्ज किए गए.
दिवाली पर पटाखा फोड़ने और खेत में आग लगाने की घटनाएं बढ़ने का सीधा असर रहा. दिल्ली के PM2.5 प्रदूषण में पराली जलाने की हिस्सेदारी 6 नवंबर को 41 फीसदी और 7 नवंबर को 48 फीसदी थी. शहर में पिछले साल नौ ‘गंभीर’ वायु गुणवत्ता दिन, 2019 में सात, 2018 में पांच, 2017 में सात, 2016 में 10 और 2015 में छह दिन देखे गए. आंकड़ों से यह भी पता चला कि राजधानी ने एक भी “अच्छा” रिकॉर्ड नहीं किया. इस महीने “संतोषजनक” या “मध्यम” वायु गुणवत्ता दिवस, जबकि दो “खराब” और 17 “बहुत खराब” वायु गुणवत्ता वाले दिन थे.
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