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देश में बढ़ेंगी बाढ़-सूखा और चक्रवात जैसी आपदाएं, मौसम विज्ञानियों का ALERT

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नई दिल्ली. भारत के दक्षिणी राज्य बारिश और बाढ़ से बेहाल हैं. विशेषकर समुद्रीय तटों से सटे राज्यों व उनके पास के क्षेत्रों में पिछले कुछ सालों में बारिश और बाढ़ की घटनाएं बढ़ी हैं. इस बीच एक मौसम वैज्ञानिक ने समुद्र में होने वाली असामान्य हलचलों की वजह से आने वाले दिनों में देश में तूफान, चक्रवात, बाढ़ और सूखे की घटनाओं में बढ़ोतरी होने की आशंका जताई है. इस साल उत्तरी ओडिशा तट पर 26 मई को प्रचंड चक्रवात यास (Yaas Cyclone) टकराया था. वहीं गुजरात के तट पर चक्रवात तौकाते (Tauktae Cyclone) ने दस्तक दी थी.

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेट्रोलॉजी की क्लाइमेट साइंटिस्ट, स्वप्ना पनिकल ने कहा कि, समुद्र में बनने वाले ज्वार और अन्य गतिविधियां, अति जोखिम वाली समुद्रीय घटनाओं में बढ़ोतरी की संभावना को दर्शाती है. जलवायु परविर्तन पर संबंधित एक कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि, आंकड़े दर्शाते हैं कि 1870 की शुरुआत से मुंबई के तट पर इन समुद्रीय घटनाओं में वृद्धि हुई है.

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समुद्र के स्तर में तेजी से हो रही बढ़ोतरी
मौसम वैज्ञानिक स्वप्ना पनिकल ने चेतावनी दी कि, समुद्रीय स्तर में होने वाले उतार-चढ़ाव से भारत के तटीय राज्यों बेहतर तैयारी रखनी होगी. उन्होंने कहा कि, 1870 से 2000 के बीच वैश्विक समुद्रीय स्तर में प्रति वर्ष 1.8 एमएम की बढ़ोतरी हुई है, जो कि 1993 से 2017 के बीच में 3.3 एमएम होकर दोगुनी हो गई है.

ग्लेशियर्स के पिघलने और समुद्र के पानी पर गर्मी के प्रभाव की वजह से समुद्रीय स्तर में बढ़ोतरी हुई है. महासागर पर्यावरण की 91 फीसदी से ज्यादा गर्मी को अवशोषित करते हैं. उनके पास पृथ्वी पर मौजूद अन्य घटकों की तुलना में सबसे अधिक ताप क्षमता है. वैश्विक औसत समुद्र स्तर बढ़ रहा है और अरब सागर समेत हिंद महासागर में भी समुद्रीय स्तर बढ़ने का अनुमान है. 2050 तक, हिन्द महासागर क्षेत्र में भी समुद्र स्तर स्तर में 15 से 20 सेमी की वृद्धि होने की संभावना है और यह चिंता की बात है. साइंटिस्ट स्वप्ना पनिकल ने कहा कि, समुद्रीय स्तर में अत्याधिक बढ़ोतरी के कारण आने वाले दिनों में कई भयानक चक्रवात आने की संभावना बढ़ गई है.

मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंस के पूर्व सचिव, एम राजीवन, भारतीय मॉनसून पर समुद्र की भूमिका पर कहा कि, अवलोकन यह बताते हैं कि उत्तरी-पूर्वी मॉनसून के दौरान हुई भारी बारिश दर्शाती है कि भविष्य में इस तरह के मामलों में बढ़ोतरी होगी और भविष्य में जलवायु परिवर्तन की वजह से आने वाले दिनों में भारी बारिश की घटनाओं में और वृद्धि होगी. साथ ही उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय मॉनसून पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव की निगरानी रिसर्च कम्युनिटी के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण होगी.

Tags: Climate change in india, Cyclone, Floods



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