टिहरी में दोहरी मुसीबत: जंगली जानवरों से गांवों में दहशत, उधर टनल से बेघर हो रहे ग्रामीणों की आफत
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सौरभ सिंह
टिहरी. झील से सटे प्रतापनगर क्षेत्र में इन दिनों जंगली जानवर गोशालाओं की छत तोड़कर गाय और बैलों को अपना निवाला बना रहे हैं. लगातार मेवशियों पर हो रहे हमले से ग्रामीणों में भी दहशत का माहौल है और ग्रामीण घरों में कैद होकर रह गए हैं. पिछले एक महीने में ढूंग, मंदार, बडोन, देवीधार, गहड़ सहित कई गांवों में गोशालाओं और छानियों की छत तोड़कर जंगली जानवर गाय और बैलों पर हमला कर चुके हैं. स्थानीय लोगों का कहना है एक माह में करीब एक दर्जन से अधिक गाय और बैलों की जान ऐसे हमलों में जा चुकी है. ग्रामीणों में दहशत तो है ही, उन्हें आर्थिक नुकसान भी हो रहा है.
एक स्थानीय ग्रामीण अब्बल चंद रमोला ने न्यूज़18 से बातचीत करते हुए जंगली जानवर के हमले और उससे हो रहे नुकसान के बारे में पुष्टि की. इस तरह की शिकायतें आने के बाद वन विभाग ने गश्त बढ़ाने का दावा करते हुए बताया कि इस आफत से निपटने के लिए पूर्व सैनिकों की मदद ली जा रही है, जो वन कर्मचारियों के साथ मिलकर गश्त करेंगे. कैमरे भी लगाए जाने की बात डीएफओ वीके सिंह ने कही. सिंह ने यह भी कहा कि इन हमलों के चलते ग्रामीणों को जो नुकसान हो रहा है, नियमों के मुताबिक उसके मुआवज़े की कार्रवाई भी हो रही है.
कौन कर रहा है गोशालाओं पर हमला?
डीएफओ के मुताबिक अब तक की जांच पड़ताल में अनुमान है कि ये हमले किसी एक भालू या भालुओं किए जा रहे हैं. फिलहाल किसी और जानवर को लेकर अनुमान नहीं है. मौके के मुआयने से पता चल रहा है कि हमलावर जानवर शिकार को आधा अधूरा ही खाकर भाग रहा है. इधर, ग्रामीणों का कहना है कि इस तरह के हमलों से गांव दहशत में है और शाम होते लोग घरों से बाहर निकलने में डर रहे हैं.
मुआवज़े के लिए क्यों भटक रहे हैं ग्रामीण?
जिले में एनएच 94 पर ऑल वेदर प्रोजेक्ट के तहत चारधाम यात्रा के मुख्य पड़ाव चंबा में ट्रैफिक लोड कम करने के लिए मज्यूड़ से गुल्डी गांव तक 440 मीटर लंबी टनल का निर्माण किया गया है, लेकिन यह ग्रामीणों के लिए सिरदर्द बन रही है. सर्वे के अनुसार टनल को जोड़ने वाली एप्रोच रोड से प्रभावित ग्रामीणों को तो मुआवज़ा दिया गया, लेकिन टनल के कारण जिन मकानों में दरारें आ रही हैं और जो खेत क्षतिग्रस्त हो चुके हैं, ऐसे करीब 40 परिवार फाइल आगे न बढ़ने के चलते मुआवज़े के लिए भटक रहे हैं.
दिवाकर सिंह और सोनवीर सजवाण जैसे स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि टनल से प्रभावित हो रहे कई ग्रामीण तो अपने मकान छोड़ चुके हैं. वो करीब दो सालों से किराए के मकानों में रह रहे हैं क्योंकि खतरा बढ़ चुका है. विभाग के चक्कर काटने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हो रही है और अब रोजी रोटी का भी संकट पैदा होने लगा है. वहीं, अधिकारियों का कहना है कि पिछली बरसात में जिन मकानों को खतरा पैदा हुआ, उन्हें सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया है और मुआवज़े के लिए सर्वे रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेजी जा चुकी है.
आपके शहर से (टिहरी गढ़वाल)
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Tags: Forest department, Tehri Lake, Tehri news, Uttarakhand news
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