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कोविड गाइडलाइंस के कारण दुर्गा पूजा उत्‍सव पर होगा असर, दिल्‍ली में है अलर्ट

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नई दिल्‍ली . नवरात्रि का त्योहार जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, दुर्गा पूजा पर्व को लेकर दिल्‍ली सहित देश-विदेश के श्रद्धालुओं इसे बड़े उत्साह के साथ मनाने के लिए उत्सुक हैं. हालांकि, इस वर्ष भी एक बार फिर से इस शुभ त्योहार पर कोविड-19 ( Coronavirus )  का असर देखने को मिलेगा. सभी दुर्गा पूजा पंडाल और अन्‍य कार्यक्रमों में भक्‍तगण को कोरोना प्रतिबंधों का पालन करना होगा. पश्चिम बंगाल की तरह दिल्‍ली में भी कोरोना गाइडलाइंस का कड़ाई से पालन कराया जाएगा. यह पर्व पश्चिम बंगाल, असम, त्रिपुरा, ओडिशा और बिहार सहित देश के अन्‍य राज्यों में बड़े उत्साह और उत्साह के साथ मनाया जाता है. इसमें भक्‍तगण, नौ दिनों के उत्सव के दौरान हर दिन देवी दुर्गा के विभिन्न अवतारों की प्रार्थना करते हैं, जिन्हें नवरात्रि के रूप में जाना जाता है. जबकि अनुष्ठान नौ दिनों के उपवास, दावत और पूजा के होते हैं, अंतिम चार दिन – सप्तमी, अष्टमी, नवमी और दशमी को भारत और विदेशों में, विशेष रूप से बंगाल में बहुत उल्लास और भव्यता के साथ मनाए जाते हैं.

श्रद्धालुओं का कहना है कि नवरात्रि का पर्व पुनर्मिलन और कायाकल्प का अवसर भी देते हैं. यह पारंपरिक संस्कृति और रीति-रिवाजों का उत्सव है, जो यह त्योहार भक्तों के लिए बहुत महत्व रखता है. पिछले साल, कई राज्‍य सरकारों ने दुर्गा पूजा समितियों को धार्मिक अनुष्ठान करने की अनुमति दी थी, लेकिन इसमें आम आगंतुकों को पंडालों में जाने की अनुमति नहीं थी. इसी तरह, कुछ स्थानों पर दशहरे की भी अनुमति दी गई थी, लेकिन यहां भी शर्तें पहले से ही लागू थीं. आयोजन स्थलों पर पुलिस के साथ ही स्‍वयंसेवक दल तैनात किए गए थे.

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इस साल, दिल्ली में, डीडीएमए (दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण) ने दुर्गा पूजा समारोह की अनुमति दी है, लेकिन इसके साथ ही कोविड दिशा निर्देशों का कड़ाई से पालन करने की शर्त भी रखी है. कोरोना को देखते हुए कुछ पूजा समितियों ने समारोहों को रद्द कर दिया है, वहीं कुछ ने ‘घट पूजा’ (देवी के प्रतीक कलश की पूजा) करने का फैसला किया है. पिछले साल की तरह, कई समितियों ने या तो आभासी (वर्चुअल) समारोहों का फैसला किया है या सीमित संख्या में लोगों के साथ पूजा आयोजित करने का फैसला किया है. दिल्‍ली में केवल कुछ समितियां जैसे चित्तरंजन पार्क काली मंदिर सोसायटी, मातृ मंदिर समिति, और कुछ अन्य पूजा करेंगे.

दिल्ली के सफदरजंग एन्क्लेव की मातृ मंदिर समिति के प्रबंधक सुजीत दास ने कहा, पिछले साल कोविड के कारण, हम बहुत कुछ नहीं कर पाए और केवल घट पूजा की. इस साल भी हम बड़े पैमाने पर कुछ नहीं कर रहे हैं. इस बार हम एक छोटी मूर्ति तैयार करेंगे ताकि भीड़ न हो. इसके अलावा, सरकार के जारी दिशा-निर्देशों का पालन करेंगे. इसमें एंट्री प्‍वाइंट पर ही चेकिंग होगी और बिना मास्क के किसी को भी प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि न तो खाद्य विक्रेता और न ही भोग वितरण इस वर्ष उत्सव का हिस्सा होंगे, लेकिन उनकी समिति के फेसबुक पेज पर पिछले वर्ष की तरह एक लाइवस्ट्रीम किया जाएगा. कुछ आयोजन समितियां लोगों के लिए घर-घर भोग पहुंचा रही हैं.  चूंकि सभी भक्त पूजा समारोह में भाग नहीं ले पाएंगे, इसलिए दुर्गा पूजा समितियां यह सुनिश्चित कर रही हैं कि वे उत्सव से वंचित न रहें. शाम की आरती और अन्य सभी पूजा अनुष्ठानों का विभिन्न समितियों के सोशल मीडिया पेजों पर सीधा प्रसारण किया जाएगा. अपने बड़े बंगाली समुदाय के लिए जाना जाने वाला चित्तरंजन पार्क (सीआर पार्क) भी इस वर्ष को मौन तरीके से मनाएगा क्योंकि एक बार में केवल 50 लोगों को ही अंदर जाने की अनुमति होगी.

पूजा समिति के पूर्व अध्यक्ष और सीआर पार्क के निवासी उत्पल घोष ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए सीसीटीवी निगरानी की जाएगी. एक समय में 50 से अधिक लोगों को अंदर जाने की अनुमति नहीं है. कार्यक्रम को 50 प्रतिशत क्षमता के साथ चलाया जा सकता है और 200 से अधिक लोगों की अनुमति नहीं है. खुली जगह में अधिकतम संख्या क्षेत्र के नियम व सामाजिक दूरी के अनुसार तय की जाएगी. उत्पल ने कहा, इसके अलावा, चूंकि तैयारी के लिए बहुत कम समय बचा है, इसलिए ज्यादातर जगह पर पंडाल बनाना और सजावट करना मुश्किल काम होगा. कुल मिलाकर पूजा तो होनी ही है, पर भोग तो होगा नहीं, शायद कुछ लोग बाहर निकलने पर प्रसाद बांटेंगे. COVID की दूसरी लहर के दौरान, दिल्ली देश के सबसे संक्रमित शहरों में से एक था, और इसके परिणामस्वरूप कई लोगों की जान चली गई थी, इसलिए यह त्योहार शांतिपूर्ण तरीके से मनाया जाएगा. त्योहारों का मौसम अक्टूबर में शुरू होने वाली नवरात्रि के साथ शुरू होगा और उसी समय दुर्गा पूजा मनाई जाएगी. इसके बाद 15 अक्टूबर को दशहरा और 4 नवंबर को दिवाली होगी.

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