उत्तराखंड

देहरादून में विदेशी शराब को लेकर भारी उत्साह, जिले में अब तक खुल चुके हैं विदेशी शराब के 35 स्टोर

विदेशी शराब के नए स्टोर का जिला आबकारी अधिकारी राजीव चौहान ने किया शुभारंभ

देहरादून। देहरादून जिले में विदेशी मदिरा की दुकानों को लेकर खासा उत्साह है। जिले में अब तक विदेशी मदिरा के 35 से अधिक स्टोर खुल चुके हैं। विदेशी मदिरा को लेकर कारोबारियों के साथ ही शराब के शौकीनों में खासा उत्साह दिखाई दे रहा है। सहसत्रधारा रोड़ के कुल्हान पैसेफिक गोल्फ के सामने नए स्टोर का जिला आबकारी अधिकारी राजीव चौहान ने शुभारंभ किया। यह दूसरा विदेशी मदिरा का स्टोर है। दोनो व्यवसायियों ने सरकार की शराब नीति पर संतोष जाहिर किया। उन्होंने कहा सरकार की नीति से बड़ी संख्या में शराब कारोबारियों का रूझान इस ओर हो रहा है। शराब के शौकीनों का झुकाव अब विदेशी मदिरा के तरफ ज्यादा हो रहा है।

12 सौ करोड़ के राजस्व की उम्मीद
जिला आबकारी अधिकारी राजीव चौहान ने कहा सरकार ने अब विदेशी मदिरा के लिए अलग से दुकानों को लाइसेंस देने की प्रक्रिया की है। इसके तहत कोई भी व्यक्ति मॉल या अन्य स्थान पर विदेशी मदिरा की दुकान खोल सकता है। इस तरह की दुकान हासिल करने की लाइसेंस फीस 15 लाख रुपये है। यहां विदेशों से आयातित और भारत में बनने वाली विदेशी ब्रांड की मदिरा बेची जाती है। इन शोरूम में शराब की बोतल की कीमत कम से कम 1500 रुपये होती है। जिला आबकारी अधिकारी राजीव चौहान के मुताबिक देहरादून जिले में विदेशी मदिरा के 35 स्टोर खुल चुके हैं। इसके अलावा जिले में 182 बार भी चल रहे हैं। देहरादून में शराब की दुकानों और स्टोर्स से सरकार को भारी-भरकम राजस्व मिलता है। चालू वित्त वर्ष के दौरान देहरादून जिले को सरकार ने आबकारी के तहत 580 करोड़ रुपये राजस्व हासिल करने का लक्ष्य दिया था। जिला आबकारी अधिकारी राजीव सिंह चौहान के मुताबिक लक्ष्य के सापेक्ष में अब तक 38 प्रतिशत राजस्व हासिल कर लिया गया है। उनके अनुसार इस साल देहरादून जिले से लगभग 1200 करोड़ रुपये का राजस्व मिलने की उम्मीद है।

तस्करी रोकने पर फोकस
जिला आबकारी अधिकारी राजीव सिंह चौहान ने एक सवाल के जवाब में बताया कि देहरादून में शराब तस्करी को रोकने के प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड के मुकाबले दिल्ली, हरियाणा, चंडीगढ़ और हिमाचल में शराब सस्ती है। ऐसे में वहां से शराब तस्करी की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि शराब तस्करी को रोकने के लिए तीन चेक पोस्ट बनाई गयी हैं। आशा रोड़ी, कुल्हाड़ और तिमली में चेक पोस्ट बनाकर वाहनों की जांच की जाती है।

ओवररेटिंग पर होती है कार्रवाई
एक अन्य सवाल के जवाब में जिला आबकारी अधिकारी राजीव ने बताया कि शराब की दुकानों की निरंतर मानीटरिंग की जाती है। ओवररेटिंग एक बड़ी समस्या है। कई जगह से शिकायत आती हैं तो हम तुरंत कार्रवाई करते हैं। जिले को तीन जोन में बांटा गया है और हर जोन में एक इंस्पेक्टर को इसकी जिम्मेदारी दी गयी है। मसूरी, ऋषिकेश और चकराता की मानीटरिंग की जाती है। ओवररेटिंग की शिकायत की जांच होती है और यदि यह शिकायत सही मिलती है तो जुर्माना किया जाता है। यह जुर्माना पहली बार के लिए 50 हजार है जो कि लगातार बढ़ता जाता है।

स्टाफ और संसाधनों की कमी से जूझ रहा विभाग
भले ही जिला आबकारी विभाग पूरे प्रदेश के कुल राजस्व का एक तिहाई कमाता हो, लेकिन जब संसाधनों और स्टाफ की बात हो तो देहरादून जिले की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार देहरादून में आबकारी विभाग के इंस्पेक्टरों के पास भी वाहन नहीं है। केवल जिला अधिकारी को ही वाहन दिया गया है। इंस्पेक्टरों को पूरे जिले की गश्त करनी होती है लेकिन वाहन नहीं है। ऐसे में मानीटरिंग का कार्य प्रभावित होता है। इसके अलावा स्टाफ की भी कमी है। एक सर्किल में पांच कर्मचारियों हैं। जिले में कुल दस सर्किल हैं। ऐसे में जिले में स्टाफ डबल होना चाहिए। मजेदार बात यह है कि इंस्पेक्टरों अपने घरों से ही आबकारी विभाग का काम कर रहे हैं। उनके पास आफिस ही नहीं हैं। या किराये के कमरे से विभाग का काम चल रहा है।

सरकार ने अब विदेशी मदिरा के लिए अलग से दुकानों को लाइसेंस देने की प्रक्रिया की है। इसके तहत कोई भी व्यक्ति मॉल या अन्य स्थान पर विदेशी मदिरा की दुकान खोल सकता है। इस तरह की दुकान हासिल करने की लाइसेंस फीस 15 लाख रुपये है। यहां विदेशों से आयातित और भारत में बनने वाली विदेशी ब्रांड की मदिरा बेची जाती है।

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