Exclusive: केंद्रीय कार्यालयों में सफाई अभियान, लाखों फाइलों का निपटारा, महीने के अंत तक खाली होगी इतनी जगह
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नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के आदेश पर केंद्र सरकार के कार्यालयों (Government Offices) में चल रहे सफाई अभियान (Cleaning Drive) में राष्ट्रपति भवन (Rashtrapati Bhawan) के फ्लोर एरिया के मुकाबले लगभग दोगुनी जगह इस महीने के अंत तक खाली हो जाएगी. न्यूज18 को मिली जानकारी के मुताबिक 2 अक्टूबर को शुरू हुए इस मेगा ड्राइव में सरकारी कार्यालयों में 3.18 लाख स्क्वॉयर फीट जगह को फाइलों से मुक्त कर लिया गया है. इस क्रम में 7.3 लाख फाइल्स को हटाया गया है. राष्ट्रपति भवन का फ्लोर एरिया लगभग 2 लाख स्क्वॉयर फीट है. सरकार में एक वरिष्ठ सीनियर अधिकारी ने न्यूज18 को बताया, ‘कुल 9 लाख 31 हजार 442 सरकारी फाइलों (Government Files) को इस महीने के अंत तक हटाने के लिए चिन्हित किया गया है. 78 प्रतिशत काम पूरा हो गया है. काम युद्ध स्तर पर चल रहा है.’
सबसे बड़ी बात ये है कि सरकार ने इन अनुपयोगी फाइलों को निपटाकर 4.29 करोड़ रुपये की कमाई की है. ऐसे में सवाल है कि किस मंत्रालय के पास सबसे ज्यादा फाइलें थीं, जिन्हें निपटाया गया है? इस मामले पर्यावरण मंत्रालय सबसे आगे है, जिसके पास 99 हजार ऐसी फाइलें थीं, जिन्हें निपटाया गया है. वहीं गृह मंत्रालय के पास 81 हजार, रेलवे के पास 80 हजार, सीबीआई और सीबीडीटी के पास लगभग 50 हजार फाइलें थीं. वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सरकारी कार्यालयों में खाली जगह अभूतपूर्व है.
लंबित फाइलों को निपटाने पर फोकस
इस अभियान में एक अहम पहलू विभिन्न मंत्रालयों द्वारा सांसदों और संसदीय आश्वासनों से प्राप्त संदर्भों की पेंडेंसी को भी निपटाना है. सरकार ने पाया है कि सांसदों द्वारा विभिन्न मंत्रालयों को लगभग 10,273 रेफरेंस मिले थे, जोकि पेंडिंग थे. आदर्श स्थिति में इन फाइलों को 15 दिन के भीतर निपटा दिया जाना होता है. न्यूज18 को मिली जानकारी के मुताबिक इनमें से तकरीबन 5500 रेफरेंस को अब निपटा दिया गया है. इन पत्रों का मंत्रियों ने स्वयं जवाब दिया है.
ऐसे में केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव और नितिन गडकरी को सबसे ज्यादा पत्रों पर हस्ताक्षर करने पड़े हैं, क्योंकि दोनों मंत्रियों के मंत्रालय के पास सबसे ज्यादा पेंडिंग रेफरेंस थे. रेलवे को सांसदों द्वारा 2700 रेफरेंस लेटर मिले थे, जिनमें से लगभग 1700 से ज्यादा को निपटा दिया गया है, वहीं सड़क और राजमार्ग मंत्रालय के पास तकरीबन 900 पेंडिंग रेफरेंस थे, जिनमें से 400 पत्रों को निपटा दिया गया है. मंत्रियों ने संसदीय आश्वासनों से जुड़े 2,340 पेंडिंग पत्रों में से अब तक 659 को भी जवाब दिया है.
205 कैबिनेट मसौदे भी पेंडिंग
अधिकारियों को ये जानकार भी आश्चर्य हुआ है कि अंतर मंत्रालयी संदर्भों से जुड़े 205 कैबिनेट मसौदे भी पेंडिंग थे. सफाई अभियान के दौरान इनमें 135 का निपटारा कर दिया गया है. वहीं विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों की ओर से भेजे 1201 पेंडिंग रेफरेंस की भी समीक्षा की जा रही है. इनमें मामलों में से 700 का जवाब दे दिया गया है. इन सभी पर केंद्रीय मंत्रियों ने स्वयं हस्ताक्षर किए हैं. साथ ही 784 नियम और प्रक्रियाओं की भी पहचान की गई है, जिनमें से 606 को आसान बनाया गया है.
प्राथमिकता में जन शिकायतों का निपटारा भी
अभियान के तहत जनता के शिकायतों के निपटारे को भी प्राथमिकता दी जा रही है. इस क्रम में 45 दिन से ज्यादा पेंडिंग फाइलों को चिन्हित किया गया, जिनकी कुल संख्या 74,806 रही. इनमें 50 हजार से ज्यादा फाइलों का अब निपटारा किया जा चुका है. बता दें कि जन शिकायत प्रक्रिया के तहत लोगों ने कुल 22,784 शिकायतें की थीं, जिनमें से आधे का निपटारा किया गया है. केंद्र सरकार को इस साल जन शिकायत प्रक्रिया के तहत 18.2 लाख शिकायतें मिली हैं, जिनमें से 16.8 लाख का निपटारा कर दिया गया है.
पीएम ने दिया अभियान चलाने का आदेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस महीने 2 अक्टूबर को अनावश्यक सरकारी फाइलों का निपटारा करने और कार्यालयों में खाली जगह बनाने के लिए मेगा ड्राइव चलाने का आदेश दिया था. साथ ही उन्होंने सांसदों की ओर से मिले रेफरेंस और जन शिकायतों का निपटारा करने की भी बात कही थी. कैबिनेट सचिव ने इस संदर्भ में 2 अक्टूबर से 31 अक्टूबर के बीच अभियान चलाने के लिए पत्र लिखा था और न्यूज18 ने 20 सितंबर को इस बारे में सबसे पहले रिपोर्ट प्रकाशिथ की थी. हालांकि सभी मंत्रालयों ने पेंडिंग फाइलों को अभियान के तहत निपटाने के लिए चिन्हित करने की प्रक्रिया सितंबर में ही शुरू कर दी थी.
फाइलों को कब तक रखा जाता है?
सरकारी अधिकारियों ने न्यूज18 को बताया कि सरकारी फाइलें तीन कैटेगिरी की होती हैं, पहली कैटेगिरी A होती है, जिनकी आर्काइवल वैल्यू होती है, ये फाइलें 1947 से 1996 तक की होती हैं, इन्हें अनुक्रमण के बाद नेशनल आर्काइव में भेजा जाता है, और वहां इन फाइलों को संरक्षित किया जाता है. कैटेगिरी B की फाइलें वो होती हैं, जिन्हें 10 साल के लिए रखा जाता है. वहीं तीसरी कैटेगिरी C है, जिन्हें 3 साल के लिए रखा जाता है. अधिकारी ने कहा कि समय सीमा समाप्त होने के बाद इन फाइलों को हटा दिया जाता है, लेकिन बहुत समय से काम नहीं हुआ था.
ई-ऑफिस सिस्टम अपनाने पर जोर
सरकार ने पाया है कि उसके पास 18.46 लाख फाइलें समीक्षा के लिए पड़ी हैं, इनमें से लगभग 80 प्रतिशत यानि की 14.7 लाख फाइलों की समीक्षा की गई है. अंत में सरकार ने 9 लाख 31 हजार 442 फाइलों को निपटारे के लिए चुना. शुरुआत में सरकार को लगा था कि उसे सिर्फ 2.5 लाख फाइलों को ही निपटाना होगा, लेकिन रिव्यू में फाइलों की संख्या बहुत ज्यादा निकलीं. वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हमारे पास 27 लाख ई-फाइल्स हैं और हम तेजी से ई-ऑफिस सिस्टम की ओर बढ़ रहे हैं. ऐसे में फिजिकल फाइल्स की संख्या भी कम हो जाएगी.’
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