उत्तराखंड

गढ़वाली और कुमाउनी को राजभाषा का दर्जा दिया जाए

पौड़ी।  अंतरराष्ट्रीय भाषा दिवस पर उत्तराखंड की प्रमुख लोकभाषा गढ़वाली और कुमाउनी को राजभाषा का दर्जा दिये जाने की मांग को लेकर लोकभाषा समर्थक संगठनों द्वारा डीएम के माध्यम से सीएम को ज्ञापन भेजा गया। इस दौरान गढ़वाली और कुमाउनी को भाषा का दर्जा देने के लिए विधानसभा में संकल्प पारित कर केन्द्र स्तर पर गजट नोटिफाइड कराए जाने व इन्हें प्रदेश में संस्कृत की तरह राजभाषा का दर्जा दिये जाने की मांग की गई है।

ज्ञापन में गढ़वाली, कुमाउनी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने, नई शिक्षा नीति के अनुरूप प्राइमरी से विवि स्तर पर लोकभाषा में पाठ्यक्रम शामिल करने, लोकभाषा अकादमी का गठन करने, लोकभाषाओं को रोजगार से जोड़ने आदि मांगें उठाई गई। इस मौके पर लोकभाषा साहित्य समिति के संयोजक मनोज रावत अंजुल, धाद के संयोजक वीरेंद्र पंवार, उमेश डोभाल स्मृति ट्रस्ट के कार्यकारी अध्यक्ष बिमल नेगी, नागरिक कल्याण एवं जागरूक विकास समिति के अध्यक्ष रघुवीर सिंह रावत, गब्बर सिंह नेगी, गिरीश बड़थ्वाल, सभासद अनिता रावत, एसपी उनियाल, राजेंद्र बिष्ट आदि शामिल थे।

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