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केरल में मुद्दों पर लड़ने के लिए हिंदू नेताओं ने बनाया संगठन, 23 सदस्‍यों का चयन

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तिरुवनंतपुरम. केरल (Kerala) में विभिन्‍न हिंदू आश्रमों (Hindu Ashram) और शीर्ष महंतों ने हिंदू कम्‍युनिटी (Hindu Community) के मुद्दों की लड़ाई के लिए एक नया फोरम (Hindu Forum) बनाया है. इसका नाम केरल धर्माचार्य सभी (KDS) रखा गया है. यह फोरम हिंदू समुदाय के सामने आने वाले सभी मुद्दों पर एक आधिकारिक राय बनाने के लिए एक मंच है.

शनिवार को कोच्चि में आयोजित एक बैठक में प्रमुख आश्रमों और संस्थानों के प्रतिनिधियों ने हिस्‍सा लिया. इस बैठक में कोझीकोड में अद्वैतआश्रमम के स्वामी चिदानंद पुरी केडीएस के अध्यक्ष चुने गए. वहीं अलुवा में तांत्रिक विद्या पीठहोम के मुल्लापल्ली कृष्णन नंबूदिरी का चयन महासचिव पद के लिए हुआ. इस फोरम में 23 सदस्यीय कार्यकारी समिति है, जिसमें स्वामी और पुजारी शामिल हैं.

विभिन्न हिंदू संगठनों के संगठन केरल हिंदू ऐक्यावेदी के सूत्रों ने कहा कि केडीएस को संघ परिवार का समर्थन प्राप्त है. वहीं नंबूदिरी ने कहा, ‘सभा हिंदू समुदाय को प्रभावित करने वाले सभी मुद्दों पर विचार-विमर्श करेगी, जिसमें मंदिर के अनुष्ठानों से संबंधित मुद्दे भी शामिल हैं, और उन पर एक एकीकृत दृष्टिकोण होगा. जब सबरीमाला में युवतियों के प्रवेश जैसे मुद्दे सामने आते हैं, तो इन मामलों में हिंदू आचार्यों से अलग राय नहीं होनी चाहिए. हमारे पास सभी प्रमुख आश्रमों के प्रतिनिधि हैं और बड़ी संख्या में संन्यासियों ने इस पहल के लिए समर्थन दिया है.’

सभा के उद्देश्‍यों के बारे में कहा गया है कि हिंदू परिवार व्यवस्था सामाजिक सुरक्षा का आधार है, जिसने हाल के दिनों में इसके कई उल्लंघन देखे हैं. सभा की ओर से कहा गया है कि अत्यधिक प्रगतिवाद और अराजकतावाद ने पीढ़ियों को संस्कृति से अलग करने के लिए हाथ मिलाया है. सांस्कृतिक रूप से कमजोर दिमागों में घुसपैठ करने की प्रवृत्ति होती है. इस तरह की घुसपैठ का विरोध करने के लिए बच्चों और युवाओं में साहस पैदा करने के लिए सभा की एक कार्य योजना होगी.

यह भी कहा गया है कि सभा जाति या पंथ के बावजूद सामाजिक सद्भाव सुनिश्चित करके हिंदू समुदाय को संगठित तरीके से एकजुट करने और नेतृत्व करने का कार्य करेगी.

किसी भी घटना का जिक्र किए बिना केडीएस ने कहा कि हिंदू देवताओं और मंदिरों के खिलाफ सरकार और समूहों द्वारा किए गए अत्याचारों को पहचानना और उनका जवाब देना समय की आवश्यकता है. कहा गया है कि धर्माचार्य सभा का मानना है कि इस तरह के अन्याय को हराने के लिए समाज को सशक्त बनाना आचार्यों का कर्तव्य है.

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