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आरोप :- मंहगे फ्री गिफ्ट्स के लालच में बड़े डॉक्टर से लेकर झोलाछाप प्रैक्टिशनर्स ने जमकर लिखी डोलो 650

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बेंगलुरू स्थित दवा कंपनी माइक्रो लैब्स लिमिटेड ने कोरोना काल में डोलो-650 की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए डॉक्टरों को 1000 करोड़ रुपए के उपहार बांटे जाने के आरोपों का निराधार और गलत करार दिया है। कंपनी ने कहा कि जब कोविड अपने चरम पर था, तब ब्रांड ने सिर्फ 350 करोड़ रुपए का ही कारोबार किया था और ऐसे में बहुत अधिक राशि खर्च करके दवा को बढ़ावा देना उसके लिए असंभव था।

कंपनी में मार्केटिंग के कार्यकारी उपाध्यक्ष जयराज गोविंदराजू ने बताया कि किसी भी कंपनी के लिए एक ब्रांड के मार्केटिंग पर 1000 करोड़ रुपए खर्च करना असंभव है, जिसने कोविड महामारी के दौरान 350 करोड़ का कारोबार किया था। वो भी तब, जबकि डोलो 650 एनएलईएम (मूल्य नियंत्रण) के अंतर्गत आता है। उन्होंने यह भी दावा किया कि यह केवल डोलो टैबलेट नहीं था बल्कि विभिन्न कंपनियों के कई अन्य प्रोडक्ट भी थे जिनका कोरोना काल में व्यापक रूप से इस्तेमाल किया गया ता। उन्होंने कहा, यह सिर्फ डोलो 650 ही नहीं था, यहां तक ​​कि विटामिन सी और विटामिन कॉम्बिनेशन जैसी अन्य COVID प्रोटोकॉल दवाओं ने भी बहुत अच्छा किया।’

क्या है पूरा मामला?
दरअसल, एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराते हुए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने डोलो टैबलेट बनाने वाली चर्चित फार्मा कंपनी द्वारा बुखार के इलाज के लिए डोलो 650 एमजी को लिखने के लिए चिकित्सकों को 1000 करोड़ रुपए के मुफ्त उपहार बांटने का आरोप लगाया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस आरोप को ‘गम्भीर मुद्दा’ करार दिया।

500 एमजी के ऊपर की कीमत कंपनी तय कर सकती है
याचिकाकर्ता फेडरेशन ऑफ मेडिकल एंड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन ऑफ इंडिया की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख और अधिवक्ता अपर्णा भट ने जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस ए. एस. बोपन्ना की पीठ को बताया कि 500 एमजी तक के किसी भी टैबलेट का बाजार मूल्य सरकार की कीमत नियंत्रण प्रणाली के तहत नियंत्रित होता है, लेकिन 500 एमजी से ऊपर की दवा की कीमत निर्माता फार्मा कंपनी द्वारा तय की जा सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने बताया गंभीर मुद्दा
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के सामने दलील दी कि ज्यादा लाभ हासिल सुनिश्चित करने के लिए कंपनी ने डोलो-650 मिग्रा टैबलेट के नुस्खे लिखने के लिए चिकित्सकों में मुफ्त उपहार बांटे हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ‘आप जो कह रहे हैं वह सुनने में सुखद लगता है। यही दवा है जो मैंने कोविड होने पर ली थी। यह एक गंभीर मुद्दा है और हम इस पर गौर करेंगे।’

सरकार से दस दिनों में मांगा जवाब
पीठ ने देश के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज को दस दिनों में याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा और इसके बाद पारिख को अपना जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 29 सितम्बर की तारीख मुकर्रर की है।



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