उत्तराखंड

पिथौरागढ़ के जिन गांवों में अब तक सड़क नहीं, बारिश से कच्चे रास्तों का भी मिटा नामोनिशान!

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पिथौरागढ़

पिथौरागढ़ जिले में अभी भी कई सड़कें बंद हैं.

जिले में कनार गांव के ग्रामीण अपने क्षेत्र की समस्याओं को लेकर लगातार जिला मुख्यालय पहुंच रहे हैं. 

पिथौरागढ़ (Pithoragarh Rain) में हुई भीषण तबाही के बाद अब जरुरी सामानों की दिक्कतें शुरू होने लगी हैं. जिले में कई ऐसे दुर्गम क्षेत्र हैं, जो आजादी के बाद से अभी तक सड़क मार्ग से वंचित हैं. ऐसे क्षेत्रों में पैदल मार्ग ही लोगों का मुख्य रास्ता होता है. इन्हीं कच्चे रास्तों से यहां पर घोड़े और खच्चरों की मदद से सामानों की ढुलाई की जाती है. आसमान से बरसे कहर के बाद ऐसे कई पैदल मार्गों का नामोनिशान मिट गया है, जिससे इन इलाकों में खाद्यान्न आपूर्ति का संकट गहरा गया है.

जिले में कनार गांव के ग्रामीण अपने क्षेत्र की समस्याओं को लेकर लगातार जिला मुख्यालय पहुंच रहे हैं. कनार गांव पहुंचने के लिए बरम से 20 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है. आजादी के बाद से ही सड़क का इंतजार कर रहे इस गांव के लोग हमेशा से ही परेशानियों में जीते आए हैं, लेकिन इस आपदा के चलते यहां हालात और खराब हो गए हैं.

वहीं भारत-चीन सीमा से लगे गांवों में भी खाद्यान्न का संकट पैदा हो गया है. चीन सीमा को जोड़ने वाला एकमात्र पैदल मार्ग बंद हो गया है. मार्ग बंद होने के साथ ही प्रवास पर उच्च हिमालयी क्षेत्रों में गए लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. चीन सीमा की अंतिम चौकियों और गांव को जोड़ने वाला एकमात्र पैदल मार्ग घोड़ालोटन के पास बंद हो गया है. इससे सीमा चौकियों पर तैनात सेना, आईटीबीपी और बीआरओ के लिए खाद्य सामग्री की सप्लाई भी रुक गई है. जिलाधिकारी आशीष चौहान ने दूरस्थ ग्रामीण इलाकों में जरूरत पड़ने पर हेलीकॉप्टर से राशन भेजने की बात कही है.

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