महात्मा गांधी की विदेशी शिष्या मीराबेन की कुटिया हुई खंडहर, वन विभाग ने कहा- जल्द बनाएंगे स्मारक
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मीराबेन की कुटिया अब खंडहर में तब्दील हो चुकी है.
मीराबेन को वन विभाग ने 1948 में पशुलोक आश्रम की स्थापना के लिए 2146 एकड़ भूमि लीज पर दी थी.
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की विदेशी शिष्या मीराबेन (मैडलिन स्लेड) स्वतंत्रता संग्राम में दिए अपने योगदान के लिए पूरे देश में जानी जाती हैं. देश आजाद होने के बाद मीराबेन शांति की तलाश में ऋषिकेश में गंगा किनारे पहुंची थीं, जहां उन्होंने अपनी एक कुटिया बनाई, जो आज खंडहर में तब्दील हो चुकी है.
मीराबेन को वन विभाग ने 1948 में पशुलोक आश्रम की स्थापना के लिए 2146 एकड़ भूमि लीज पर दी थी. पशुलोक आश्रम की स्थापना करने के साथ ही उन्होंने 63 बीघा भूमि पर स्मृति औषधीय वन की शुरुआत की थी. जिसके बाद उन्होंने गंगा नदी के किनारे साधना के लिए एक कुटिया बनवाई.
ऋषिकेश में गंगा किनारे जंगल के बीचोंबीच बनी मीराबेन की कुटिया अब खंडहर हो चुकी है. इसके आसपास गंदगी फैली हुई है. मीराबेन से जुड़ी कोई भी वस्तु यहां मौजूद नहीं है. वन विभाग ने इस बारे में कहा कि मीराबेन की कुटिया को स्मारक के तौर पर बनाने के लिए प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है.
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