राष्ट्रीय

पोखरण से चांदीपुर तक सफल रहे कई परीक्षण, स्वदेशी मिसाइल निर्माण में आत्म निर्भर भारत की दिशा में बढ़ते कदम

[ad_1]

नई दिल्ली: रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में भारत के प्रयास जारी है. दिसंबर महीने की शुरुआत में एक के बाद एक देश में बनी मिसाइल (Missile) व अन्य हथियारों के परीक्षण से डिफेंस सेक्टर (Defense Sector) में घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिला है. इन सैन्य हथियारों के सफल परीक्षण से वायुसेना, नौसेना और भारतीय सेना को अत्याधुनिक रक्षा उपकरणों से लैस हो गई है.

हाल ही में हेलिकॉप्टर से दागी जाने वाली SANT मिसाइल, सतह से हवा में मारने करने वाली VL-SRSAM, पिनाका-ईआर मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम (PINAKA ROCKET SYSTEM) और अन्य सैन्य हथियारों का सफल परीक्षण किया गया है. ये सभी स्वदेशी मिसाइल और हथियार डीआरडीओ (DRDO), भारतीय सेना (Indian Army) व अन्य भारतीय इंडस्ट्री ने मिलकर डिजाइन व विकसित किए हैं.

वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट रेंज, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल क्या है?
7 दिसंबर को भारत ने सतह से हवा में मार करने वाली कम दूरी की मिसाइल VL-SRSAM का सफल परीक्षण किया. यह मिसाइल (Missile) 15 किलोमीटर दूर अपने लक्ष्य को भेद सकती है. डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन ने इस मिसाइल को भारतीय नौसेना (Indian Navy) के वॉरशिप के लिए तैयार किया है. इस मिसाइल का पहला टेस्ट फरवरी में किया गया था. रिपोर्ट्स के अनुसार, यह मिसाइल हवा में दिखने वाले दुश्मन के हथियारों को मार गिराने में सक्षम है. रक्षा मंत्रालय का कहना है कि इस मिसाइल के नौसेना के बेड़े में शामिल होने से नेवी की रक्षा क्षमता में इजाफा होगा और किसी भी चुनौती से निपटने में मदद मिलेगी.

ब्रह्मोस मिसाइल टेस्ट क्या है?
8 दिसंबर को रक्षा मंत्रालय ने कहा कि, चांदीपुर में फिर से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का परीक्षण किया गया है. इस मिसाइल को भारत और रूस के बीच ज्वाइंट वेंचर के तहत विकसित किया गया है. सुखोई-30 MK-I फाइटर जेट में लोड करके इस सुपरसोनिक मिसाइल को छोड़ा गया और यह मिसाइल अपने सभी लक्ष्यों और उद्देश्यों को पूर्ण करने में कामयाब रही.

यह भी पढ़ें: हेलिकॉप्टर से दागी जाने वाली मिसाइल SANT का सफल परीक्षण, DRDO ने जारी किया वीडियो

रक्षा मंत्रालय ने बताया कि ब्रह्मोस मिसाइल पहले से भारतीय सेना के जंगी बेड़े में शामिल है. लेकिन अब इस मिसाइल का ऋंखलाबद्ध तरीके से निर्माण देश में किया जा रहा है. मिसाइल में लगने वाले के कई अहम उपकरण भारतीय इंडस्ट्री द्वारा तैयार किए गए है.

पिनाका रॉकेट सिस्टम के नए वर्जन का परीक्षण अहम क्यों?
पिनाका एक्सटेंडेड रेंज का परीक्षण 11 दिसंबर को घोषित किया गया. इस मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम को इंडस्ट्री पार्टनर ने डीआरडीओ के साथ मिलकर तैयार किया है. रक्षा मंत्रालय ने कहा कि इस रॉकेट लॉन्चर सिस्टम का परीक्षण पोखरण रेंज में 3 दिन तक हुआ. इसके साथ ही तकनीक से जुड़ा इसका शुरुआती चरण सफलतापूर्वक संपन्न हो गया है और अब इस रॉकेट सिस्टम की सीरीज का निर्माण के लिए हम तैयार हैं.

स्टैंड ऑफ एंटी टैंक मिसाइल क्या है?
डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन और भारतीय वायु सेना ने हेलिकॉप्टर से दागी जाने वाली स्टैंड ऑफ एंटी टैंक मिसाइल का सफल परीक्षण किया. स्वदेश में डिजाइन व विकसित की गई इस मिसाइल को हेलिकॉप्टर से 10 किलोमीटर तक की रेंज में दागा जा सकता है. स्टेट ऑफ द आर्ट मिलीमीटर तकनीक से लैस इस मिसाइल को सुरक्षित स्थान से तीव्रता और सटीकता के साथ छोड़ा जा सकता है. रक्षा मंत्रालय ने कहा कि स्वेदशी रक्षा उपकरण व हथियार एडवांस टेक्नोलॉजी के साथ बनाए जा रहे हैं जो कि डिफेंस सेक्टर में उत्पादन को लेकर आत्मनिर्भर भारत की दिशा में आगे बढ़ते हुए कदम हैं.

Tags: DRDO, Indian army, Ministry of Defense, Missile



[ad_2]

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

fapjunk