उत्तराखंड

Nainital News : किसानों को पानी न मुआवज़ा, सड़क-बिजली के लिए जूझ रहे लोग और नेता सिरे से गायब!

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नैनीताल. आपदा को एक महीने का वक्त बीत जाने के बाद उत्तराखंड के सबसे ज़्यादा प्रभावित शहर के क्या हाल हैं? किसान नुकसान के सही मुआवज़े के लिए तरस रहे हैं, तो उनके सामने पानी का संकट खड़ा हो गया है. न नहरें दुरुस्त हैं और न ही टंकियों में पानी बचा है. खेती बाड़ी चौपट हो जाने का खतरा पैदा हो रहा है. ऐसे में किसान अपनी मांगों और पीड़ाओं के साथ जूझ रहे हैं तो दूसरी तरफ अन्य आम लोग सड़कों के लिए परेशान हैं. प्रदर्शन कर रहे लोग सरकार को अल्टीमेटम दे रहे हैं. वहीं, सरकार हो या विपक्ष, सारे नेता आपदा के बाद किए गए वादों के अंजाम से बेखबर सिरे से गायब नज़र आ रहे हैं.

खबर 1 : खेतों तक पानी पहुंचे कैसे? नहीं पहुंचा तो?
आपदा से टूटी नहरों ने किसानों के माथे पर बल डाल दिए हैं. पिछली फसल बारिश से बर्बाद हो गई थी और अब सिंचाई के लिए खेतों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है. नहरें अब भी ठीक नहीं हैं. पानी की टंकियां भी खाली हैं. मटर, आलू समेत गेहूं की फसल को पानी की ज़रूरत है, लेकिन… किसान सरकार से खेतों को पानी देने की मांग उठा रहे हैं. अधौड़ा के दीवान सिंह, राहुल कास्तकार जैसे किसानों की मानें तो ज़िले किसान बेहाल हैं और उनके सामने अपनी खेती किसानी बचाने का खतरा पैदा हो गया है.

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खेतों को जिनसे पानी मिलता था, आपदा के एक महीने बाद ऐसी कई नहरें सूखी पड़ी हैं.

खबर 2 : इधर बजट का इंतज़ार, उधर महंगाई की मार
जानकारी के मुताबिक बेतालघाट, भीमताल रामगढ़, ओखलकाड़ा कोटाबाग कालाढुंगी के तराई और पहाड़ी हिस्सों में 54 करोड़ से ज्यादा की नहरें और बाढ़ सुरक्षा का नुकसान हुआ है. हालांकि कुछ नहरों को जुगाड़ से सिंचाई विभाग ने शुरू किया है लेकिन 40 प्रतिशत नहरें अब भी सूखी हैं और इसके लिए प्रशासन को बजट का इंतज़ार है. इधर, आपदा से खेती बर्बाद होने से सब्ज़ियों के दाम आसमान पर हैं. खेतों को अगर पानी समय से नहीं मिला और तो अगली फसल का संकट सिर्फ किसानों को नहीं, बल्कि आम आदमी को झेलना पड़ेगा.

खबर 3 : 1 किमी का सफर 19 किमी का हुआ!
नैनीताल में कृष्णापुर में लोगों ने प्रदर्शन कर सरकार को अल्टीमेटम दिया कि अगर 1 हफ्ते में कार्रवाई नहीं हुई, तो वो खुद कुदाली, फावड़े लेकर सड़क का निर्माण करेंगे. कृष्णापुर और दुर्गापुर के लोगों ने नैनीताल में रैली निकालकर विरोध दर्ज करवाया और ज़िला प्रशासन के माध्यम से सरकार को ज्ञापन भेजा. असल में, यहां बलियानाले में भूस्खलन से कृष्णापुर जाने वाली सड़क टूट गई है, जिसके चलते यहां के लोगों को 1 किलोमीटर का सफर 19 किलोमीटर चलकर तय करना पड़ रहा है. बीमार लोगों को अस्पताल लाने ले जाना मुहाल हो रहा है.

खबर 4 : नेताजी कहां हैं? चुनाव में बिज़ी हैं क्या?
आपदा के बाद पीड़ितों से मिलने सरकार और विपक्ष सभी पहुंचे थे. सरकार ने जल्द राहत कार्य, पर्याप्त मुआवज़े के वादे किए थे, तो विपक्ष ने सरकार पर दबाव बनाने के लिए​ विरोध प्रदर्शन ​के. लेकिन अब दोनों ही वादे धराशायी दिख रहे हैं. कांग्रेस और पूर्व सीएम हरीश रावत ने 10 दिन में आपदा पीड़ितों की मदद न होने पर आंदोलन करने की चेतावनी दी थी. पानी, बिजली, सड़क, मुआवज़ा और फसल जैसे मुद्दों पर पीड़ित अब भी जंग लड़ रहे हैं तो सरकार और विपक्ष के नेता इनके बीच कहीं नहीं हैं.

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रोड नहीं तो वोट नहीं के नारे लगाकर नैनीताल में आपदा प्रभावित सड़कें ठीक करने को लेकर बड़ा प्रदर्शन हुआ.

जब न्यूज़18 ने इस बारे में पूछा तो कांग्रेस के स्थानीय नेता सतीश नैनवाल ने आपदा के महीने भर बाद कहा कि अब तहसील में धरना दिया जा रहा है और जल्द ही ज़िला मुख्यालय पर भी प्रदर्शन किया जाएगा. इधर बीजेपी के दिनेश आर्य ने कहा कि विपक्ष के पास कहने को कुछ नहीं है इसलिए वह सरकार की बेवजह आलोचना कर रहा है.

खबर 5 : मामूली मुआवज़े का विरोध
आपदा ग्रस्त इलाकों में मुआवज़ा सरकारी मानकों के बजाय नुकसान के आंकलन पर देने की मांग हो रही है. नैनीताल के कोटाबाग के पहाड़ी इलाकों में सब्ज़ी उत्पादन और फल उत्पादन को हुए नुकसान पर ब्लाक प्रमुख रवि कन्याल ने सरकार से मांग की है कि किसानों को मामूली धनराशि के बजाय खेती और फसल के नुकसान के हिसाब से मुआवज़ा दिया जाना चाहिए. कन्याल के मुताबिक फसलें चौपट होने, मकान टूटने के लिए जो मुआवज़ा मिल रहा है, उससे भरपाई असंभव है.

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