NSA डोभाल ने दी नए खतरे की चेतावनी, कहा- वायरस जैसे हथियारों के खिलाफ बनानी होगी नई रणनीति
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पुणे. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल (NSA Ajit Doval) ने दुनिया के सामने एक नए खतरे की चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि “खतरनाक वायरस (Dangerous pathogens) को जानबूझकर हथियार बनाना” यह वाकई गंभीर बात है. अब देश को व्यापक क्षमताओं के साथ जैव-रक्षा, जैव-सुरक्षा और जैव-सुरक्षा (bio-defence, bio-safety, and bio-security) के निर्माण की जरूरत है. बता दें कि चीन में कोविड-19 वायरस ने पूरी दुनिया को जकड़ लिया था. पुणे इंटरनेशनल सेंटर द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सुरक्षा पर पुणे डायलॉग (पीडीएनएस) 2021 में ‘आपदाओं और महामारी के युग में राष्ट्रीय सुरक्षा तैयारियों’ पर बोलते हुए डोभाल बोले, COVID-19 महामारी और जलवायु परिवर्तन का सबसे स्थायी संदेश यह है कि केवल सभी की भलाई ही सभी के अस्तित्व को सुनिश्चित करेगी. उन्होंने जोर देकर कहा, “खतरनाक वायरस का जानबूझकर हथियार बनाना एक गंभीर बात है. अब भारत को ऐसे हथियारों से लड़ने के लिए नई रणनीति बनाने होगी. उन्होंने चीन का नाम न लेते हुए कहा कि बायोलॉजिकल रिसर्च करना बेहद जरूरी है. लेकिन इसकी आड़ में इसका दुरुपयोग किया जा रहा है.
जलवायु परिवर्तन सबसे बड़ा खतरा
जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर NSA ने कहा कि आपदाएं और महामारियां सीमाहीन खतरे हैं. इनका अकेले मुकाबला नहीं किया जा सकता. अब समय आ गया है कि हमें ऐसी रणनीति की जरूरत है जो हमारे मकसद को पूरा करे और हमारा नुकसान कम से कम हो. उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन सबसे बड़ा खतरा है. क्योंकि यह धरती के संसाधनों की उपलब्धता को प्रभावित करता है, वह भी तेजी से खत्म होते जा रहे हैं. इसके अलावा यह दुनिया में विवादों को बढ़ावा भी देगा. जलवायु परिवर्तन अस्थिरता को तेज कर सकता है. बड़े पैमाने पर जनसंख्या विस्थापन का कारण बन सकता है,”
क्लाइमेंट चेंज के लक्ष्यों को पूरा करेगा भारत
उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन नवंबर की शुरुआत में ग्लासगो में होने वाला है. भारत अपने जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है और पहले ही कई उपाय कर चुका है. प्रकृति के साथ सद्भाव भारतीय सभ्यता की आधारशिला रहा है. उन्होंने कहा कि 130 करोड़ आबादी के साथ, भारत का प्रति व्यक्ति ग्रीनहाउस उत्सर्जन 2.47 टन कार्बन डाइऑक्साइड है. डोभाल ने कहा, “वैश्विक औसत 6.45 टन CO2 की तुलना में, यह वैश्विक औसत से 60 प्रतिशत कम है. हम 2030 तक 450-गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा प्राप्त करने की अपनी प्रतिबद्धता का 50% पहले ही पूरा कर चुके हैं.”
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