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Opinion: केदारनाथ का कायाकल्प : मोदी के संकल्प से सिद्धि तक

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पीएम मोदी और महादेव के बीच भक्ति का अद्भुत कनेक्शन है. खुद पीएम मोदी के मुताबिक ‘भोलेनाथ में ही जहर खाने और उसे पचाने की शक्ति है, और उनके आशीर्वाद ने मेरे अंदर भी उस जहर को पचाने की ताकत दे दी है जो मुझे 2001 से मिल रहा है.’ अक्टूबर 2017 में पीएम मोदी ने भोलेनाथ की भक्ति का प्रताप कुछ इस अंदाज में बताया कि वड़नगर में भोलेनाथ हैं जहां से मैंने अपनी यात्रा शुरू की और अब काशी पहुंच गया हूं वहां भी भोलेनाथ ही हैं.

‘मोदी और महादेव की भक्ति के रिश्ते को इससे बेहतर तरीके से कोई और बयां भी नहीं कर सकता’. यही वजह है कि महादेव से जुड़े हर धाम से मोदी का निजी लगाव हो जाता है. केदारनाथ धाम से उनका रिश्ता तो काशी से भी ज्यादा पुराना है. काशी, केदारनाथ, सोमनाथ और मोदी के बीच का ये रिश्ता क्या कहलाता है? इन तमाम बातों को समझाने के लिए मैं आपको फ्लैशबैक में ले चलता हूं. बात करीब 8 साल पुरानी है. भारी बारिश ने संपूर्ण केदारनाथ क्षेत्र को तबाह कर दिया था. शंकराचार्य का समाधि स्थल तक बह गया था. इस तबाही से मोदी बहुत व्यथित थे.

शिव और शंकराचार्य दोनों के भक्त मोदी त्रासदी के वक्त गुजरात के मुख्यमंत्री थे. मोदी जल्द से जल्द केदारनाथ को पुराने भव्य और आध्यात्मिक रूप में देखना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने बाकायदा उस वक्त की मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली केंद्र सरकार और उत्तराखंड में कांग्रेस सरकार से पेशकश की थी कि गुजरात सरकार अपने खर्चे पर केदारनाथ क्षेत्र का पुनर्निर्माण कराना चाहती हैं लेकिन राजनीतिक वजह से उनकी पेशकश को ठुकरा दी गई. अब इसे महादेव का वरदान कहिए या संयोग, नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनकर केदारनाथ का पुनर्निर्माण और अधूरे कामों को पूरा भी कराते हैं.

कैलाश से केदारनाथ और काशी से कन्याकुमारी तक देवों के देव महादेव का हिंदुस्तान से अटूट रिश्ता है. पूरा देश उनका भक्त है, लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी और शंकर की भक्ति में एक अलग फैक्टर है और वो है विकास. उनकी भक्ति कुछ अलग है, अनोखी है. जिसमें सादगी भी है और विशालता भी है, जिसमें आध्यत्मिकता तो है पर आधुनिकता भी है.

मोदी और महादेव का रिश्ता

मोदी के हर काम के सिद्ध होने में उनकी महादेव उपासना का महत्व है. केदारनाथ में मोदी ने इस भावना को कुछ अंदाज में दोहराया कि एक बार फिर मुझे बाबा ने बुला लिया. केदारनाथ धाम भगवान शंकर के बारह ज्योतिर्लिंगों में एक है. बनारस के काशी विश्वनाथ मंदिर और और मोदी के गृहराज्य गुजरात का सोमनाथ मंदिर भी इनमें शामिल है और दोनों ही जगह प्रधानमंत्री दर्शन के लिए जाते रहते है. मोदी का शिव साधना से पुराना नाता है और वो भक्ति की शक्ति मानते और जानते हैं इसलिए इसीलिए जहां भी जाते हैं, वहां के मशहूर शिव मंदिर में जाना नहीं भूलते.

नरेंद्र मोदी की शिवभक्ति आध्यात्म से जुड़ी है. वो शुरू से महादेव के अटूट भक्त रहे हैं. पीएम मोदी खुद बताते हैं कि वो सालों से हर साल नियमित तौर पर केदारनाथ आते थे और धूनी रमाकर ध्यान किया करते थे. मोदी के मुताबिक उन्हें इससे बड़ी शांति मिलती है और तन-मन निर्मल करने का उनका यही तरीका है.

उनको करीब से जानने वाले बताते हैं कि पीएम मोदी रोज सुबह उठकर स्नान के बाद महादेव की पूजा करते हैं. गांधीनगर में सीएम निवास और दिल्ली में पीएम आवास में भोले की तस्वीर लगी हुई हैं.

केदारनाथ का पुनरोद्धार

मोदी की शिवभक्ति अलग तरह की है. वो महादेव का ध्यान करते हैं लेकिन साथ ही इस भक्ति में आधुनिकता का समावेश भी करते हैं. वो विकास को भी एक तरह की भक्ति मानते हैं. पीएम मोदी जानते हैं विकास के जरिए ही भारतीय संस्कृति को देश दुनिया में नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया जा सकता है.

काशी विश्वनाथ से श्री केदारनाथ धाम तक मोदी की भक्ति और विश्वास किसी से छिपा नहीं है. भगवान शिव पर मोदी के इस विश्वास ने काशी से केदारनाथ धाम तक शिव धामों का पुनर्जीवन हुआ है.

केदारनाथ धाम का विकास करना कठिन था क्योंकि दुर्गम इलाके और मुश्किल मौसम की वजह से बहुत से लोगों को यकीन नहीं था कि केदारनाथ को पुरानी प्रतिष्ठा के मुताबिक ठीक किया जा सकेगा या नहीं. पर यहीं महादेव भक्त मोदी ने इसे चैलेंज की तरह लिया.

मोदी खुद बताते हैं कि कैसे उन्होंने केदारनाथ के विकास कार्यों की निगरानी की. नियमित तौर पर केदारनाथ आने के अलावा मोदी दिल्ली में बैठकर भी वहां के विकास कार्यो पर लगातार नजर रखते थे. पीएम के मुताबिक वो ड्रोन फुटेज देखकर विकास कामों की निगरानी करते थे.

आदि शंकराचार्य का समाधि स्थल 2013 की बाढ़ में पूरी तरह बह गया था. अब शंकराचार्य की 12 फुट की भव्य मूर्ति के साथ समाधिस्थल फिर बना दिया गया है. यहां तक कि शंकराचार्य की नई मूर्ति के लिए मोदी को 18 डिजाइन दिखाई गईं जिनमें से उन्होंने सिलेक्ट की.

पीएम मोदी से बेहतर इस त्रासदी को कौन समझ सकता है. वो यहां नियमित आने वाले भक्तों में शायद सबसे ऊपर हैं. पीएम बनने के बाद भी वो पहले कार्यकाल में 6 बार केदारनाथ धाम आ चुके हैं. केदारनाथ के विकास के पहले चरण का काम पूरा हो गया है.

इसके अलावा मोदी ने सरस्वती नदी को सुरक्षित बनाने वाली दीवर आस्था पथ और घाट का लोकार्पण भी कर दिया है. अब केदारनाथ में नया मंदाकिनी घाट बना है और नया गरुड़ छट्टी पुल भी बनाया गया है. करीब 400 करोड़ की लागत से केदारनाथ को आधुनिक सुविधाओं से संपन्न लेकिन आध्यात्मिक रूप रंग दिया गया है. केदारनाथ अब 2013 की त्रासदी से बाहर आ गया है. अब वहां भक्तों और मंदिर की सुरक्षा के लिए पर्याप्त उपाय कर दिए गए हैं.

काशी का कायाकल्प

मोदी ने संसद जाने के लिए काशी को चुना और इसके पीछे शिवभक्ति ही मुख्य फैक्टर रही है. मोदी शुरू से वाराणसी को वही आध्यात्मिक स्वरूप और अलौकिक भव्यता देना चाहते हैं जो इस ऐतिहासिक शहर को मिलनी चाहिए. पीएम बनने के बाद काशी ने विकास की वो बयार देखी है जो 70 सालों से दूर थी. मोदी चाहते हैं काशी उसी तरह के अद्भुत रूप में पहुंचे जैसे जापान में क्योटो या इजरायल में बैथलेहम है.

क्योटो की तर्ज पर काशी को स्मार्ट सिटी बनाना

मोदी को भगवान शिव की नगरी काशी से इतना प्रेम है कि उन्होंने बनारस को पुराने सांस्कृतिक स्परूप में बहाल करने के लिए क्योटो की तर्ज पर काशी को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए संकल्प किया फिर उस पर अमल शुरू कर दिया. इसके लिए जापान के शहर क्योटो से एक्सपर्ट भी बुलाए गए.काशी को खूबसूरत बनाने के लिए वहां करीब 10 हजार करोड़ की लागत से कई प्रोजेक्ट चल रहे हैं. इसमें सबसे प्रमुख है काशी कॉरीडोर जिसके बनने के बाद गंगा के घाट से सीधे काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचा जा सकेगा.

सोमनाथ का कायाकल्प

काशी आने से पहले मोदी सोमनाथ मंदिर के विकास कामों में खुद बढ़चढ़कर हिस्सा लेते रहे हैं. मोदी इस वक्त श्री सोमनाथ ट्रस्ट के चेयरमैन भी हैं. उन्होंने पहले गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर फिर बतौर पीएम मोदी ने सोमनाथ में विकास कामों को नई रफ्तार दी है. वहां करीब 50 करोड़ के खर्च पर समुद्र दर्शन पथ तैयार किया गया है. जहां 1.5 किलोमीटर लंबे और 27 फुट चौड़े पथ में शिव पुराण के आधार पर आकर्षक पेंटिंग बनाई गई हैं. साथ ही भक्तों को समुंद्र की विशालता और सोमनाथ मंदिर की भव्यता का अहसास भी होगा.

मोदी की कोशिशों का ही नतीजा है कि सोमनाथ मंदिर के पास ही अब करीब 30 करोड़ की लागत से नया पार्वती माता मंदिर बनाया जा रहा है. जो जल्द ही तैयार हो जाएगा.

केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने सोमनाथ मंदिर के लिए 111 करोड़ रुपए के नए प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया है. इस तरह करीब 300 करोड़ रुपए की लागत से सोमनाथ का मास्टर प्लान तैयार किया गया है

मोदी की शिव भक्ति का अंदाज इसी बात से लगाइए कि जब पहली बार कैलाश मानसरोवर यात्रा 1989 में शुरु हुई तो वो उन्होंने इसमें गए थे.  पीएम मोदी का मानना है कि भारतीय संस्कृति बहुत व्यापक है और मंदिरों का विकास और पुनर्निर्माण का ऐतिहासिक महत्व है.

कोयंबटूर में आदियोगी शिव

पीएम मोदी ने कोयंबटूर में भी भगवान शिव की एक विशाल प्रतिमा का अनावरण किया था. 112 फुट ऊंची ये मूर्ति धर्मगुरू जग्गी वासुदेव की संस्था ईशा फाउंडेशन ने बनवाई थी.

पीएम मोदी अपनी व्यस्त राजनीतिक यात्राओं के बीच भी भगवान शिव के दरबार में हाजिरी लगाना कतई नहीं भूलते. बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में हिस्सा लेने के लिए ओडिशा के भुवनेश्वर गए तो वहां के प्रसिद्ध लिंगराज मंदिर में जाना नहीं भूले.

प्रधानमंत्री मोदी जब नेपाल पहुंचे तो पशुपतिनाथ मंदिर लाल अंगवस्त्रम, ललाट पर त्रिपुंड और गले में रुद्राक्ष की माला पहने प्रधानमंत्री मानो पूरी तरह शिवमय हो गए.

मोदी के काम करने के तरीके से अंदाज लगा लीजिए कि उनकी शिवभक्ति में दिखावा नहीं है. उसमें आध्यत्म है और चुनौतियों का सामना करने के लिए मजबूत इच्छाशक्ति जगाने का साधन है. उनकी भक्ति में विकास भी है और भारतीय संस्कृति को ऊंचाई देने का संकल्प भी है. प्रधानमंत्री मोदी खुद कहते हैं कि शिव भक्ति में ही संपूर्णता की शक्ति है और हर संकल्प पूरा करने का उनका रिकॉर्ड इसका सबसे बड़ा साक्षी है.

(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए News18Hindi किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)

ब्लॉगर के बारे में

अमिश देवगन

पत्रकारिता के क्षेत्र में 16 साल से ज्यादा का अनुभव रखने वाले अमिश देवगन एक्जीक्यूटिव एडिटर हैं और हिंदुस्तान टाइम्स और जी मीडिया जैसे जाने-माने न्यूज समूहों में काम कर चुके हैं। मई 2014 से नवंबर 2015 तक वे जी बिजनेस चैनल के चीफ एडिटर रहे। इससे पहले जी बिजनेस में बतौर डिप्टी एडिटर, एडिटर आउटपुट और एडिटर स्पेशल प्रोजेक्ट्स के तौर पर काम किया। जी बिजनेस में रहते हुए बिजनेस चैनल के नंबर-1 डिबेट शो ‘बिग स्टोरी बिग डिबेट’ को नए मुकाम तक पहुंचाया। इसके अलावा ‘बिग एनकाउंटर’ नाम के इंटरव्यू शो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वित्त मंत्री अरुण जेटली, रेल मंत्री सुरेश प्रभु, शहरी विकास मंत्री नितिन गडकरी समेत कई शीर्ष हस्तियों का इंटरव्यू किया। वे देवेंद्र फड़णवीस, मनोहर लाल खट्टर, शिवराज सिंह चौहान और रमन सिंह जैसे मुख्यमंत्रियों और जयराम रमेश, आनंद शर्मा, कमलनाथ जैसे कांग्रेसी दिग्गजों का इंटरव्यू भी कर चुके हैं।
निडर पत्रकारिताः अमिश को उनकी निडर पत्रकारिता और बेबाक अंदाज के लिए जाना जाता है। अब तक के करियर में वे कोयला घोटाला, ओडिशा का खनन घोटाला और हवाला कारोबारी मोईन कुरैशी से जुड़े कई बड़े खुलासे कर चुके हैं।
अवॉर्ड और उपलब्धियां: पावर ब्रांड 2016 ट्रेंड सेटर अवॉर्ड, ईएनबीए का 2015 में बेस्ट बिजनेस चैनल अवॉर्ड, आईएमएफ यंग इमर्जिंग एडिटर्स अवॉर्ड 2015 और बिजनेस जर्नलिज्म के लिए सृष्टि अवॉर्ड।

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