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Pfizer-BioNTech का दावा, ट्रायल में 95.6% प्रभावी निकला वैक्सीन का बूस्टर डोज

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नई दिल्ली. कोविड-19 (Covid-19) के डेल्टा वैरिएंट (Delta Variant) को लेकर चिंताओं के बीच पश्चिमी देश वैक्सीन के बूस्टर डोज पर विचार कर रहे हैं. कई कंपनियां बूस्टर डोज की एफिकेसी भी चेक कर रही हैं. इस बीच Pfizer-BioNTech ने दावा किया है कि उनकी वैक्सीन के बूस्टर डोज का एफिकेसी रेट 95.6 फीसदी है. बूस्टर डोज के फेज 3 ट्रायल के बाद Pfizer-BioNTech ने ऐसा दावा किया है.

Pfizer के सीईओ एल्बर्ट बॉर्ला ने कहा-ये नतीजे बूस्टर डोज के फायदों के बारे में और विस्तृत तरीके से बताएंगे. हम लोग दुनिया को इस महामारी के खिलाफ अच्छे तरीके से सुरक्षित करना चाहते हैं.

ऐसे हुए ट्रायल
फाइज़र की वैक्सीन के दोनों डोज ले चुके करीब दस हजार लोगों को बूस्टर डोज के ट्रायल में शामिल किया गया था. आधे लोगों को वैक्सीन का नॉर्मल डोज दिया गया था और आधे लोगों को प्लेसेबो. अब इन लोगों के विभिन्न समूहों के बीच शोधकर्ताओं ने अध्ययन पूरा किया. शोधकर्ताओं का कहना है कि वैक्सीन का बूस्टर डोज सभी उम्र, नस्ल, लिंग के लोगों में समान रूप से प्रभावशाली रहा है.

अपनी तरह का पहला ट्रायल नतीजा
Pfizer-BioNTech कोरोना वैक्सीन के बूस्टर डोज का व्यापक रूप में ट्रायल नतीजा पब्लिश करने वाली पहली कंपनियां होंगी. हालांकि अभी दुनियाभर में वैक्सीन की उपलब्धता को ध्यान में रखकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने देशों से बूस्टर डोज कार्यक्रम न शुरू करने की अपील की है.

बूस्टर डोज के खिलाफ है विश्व स्वास्थ्य संगठन, पहले गरीबों को मिले डोज
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि दुनिया के गरीब देशों में अब भी बड़ी आबादी ऐसी है जो वैक्सीन के पहले डोज से भी महरूम है. ऐसी स्थिति में पश्चिमी देशों का बूस्टर डोज कार्यक्रम शुरू करना सही नहीं है. संयुक्त राष्ट्र से जुड़ा संगठन गावी गरीब देशों में वैक्सीन पहुंचाने के प्रयासों में लगा हुआ है.

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