उत्तराखंड

अल्मोड़ा की प्रीति को मशरूम की खेती से मिली पहचान, तीलू रौतेली पुरस्कार से भी नवाजा गया

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अल्मोड़ा की रहने वालीं प्रीति भंडारी ने खुद को स्वरोजगार से जोड़ा और आज वह अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा बनी हुई हैं. उन्होंने साल 2014 में मशरूम की खेती का काम शुरू किया था. प्रीति ने बताया कि उन्हें डॉक्टर नीलांबर भट्ट और ऊषा भट्ट ने मशरूम की खेती के बारे में जानकारी दी और इस काम को आगे बढ़ाने में उनका काफी सहयोग किया. साथ ही जिला प्रशासन का भी साथ मिला.

प्रीति भंडारी को मशरूम की खेती के लिए 2020 में तीलू रौतेली पुरस्कार से भी नवाजा गया. उन्होंने बताया कि आज वह जिस मुकाम पर हैं, उसमें उनके परिवार की भी अहम भूमिका रही है. प्रीति ने यूट्यूब पर वीडियो देखकर मशरूम की खेती के बारे में जाना और उस पर काम किया.

प्रीति अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़, नैनीताल और चंपावत में आरसीटी के माध्यम से ट्रेनिंग कराती हैं और कई महिलाओं को इससे जोड़ा गया है. उन्होंने बताया कि करीब 23 महिलाओं को उन्होंने अपने साथ इस काम से जोड़ा हुआ है.

अल्मोड़ा के खत्याड़ी में उन्होंने मशरूम के करीब 550 बैग लगाए हैं. एक बैग से करीब दो किलो मशरूम निकलते हैं. प्रीति ने बताया कि मशरूम को वह अल्मोड़ा की बाजार में बेचती हैं. इसके अलावा बागेश्वर, पिथौरागढ़ और रानीखेत की बाजारों के लिए भी यहां से मशरूम भेजा जाता है.

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