‘फैसले लेने से पहले, शासकों को गहराई से सोचने की जरूरत’, CJI ने कहा- लोकतंत्र में जनता ही सर्वोपरि
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नई दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन्ना (CJI NV Ramana) ने नेताओं को नसीहत दी है. उन्होंने कहा कि “देश के शासकों को हर दिन यह आत्म निरीक्षण करना चाहिए कि क्या उनके द्वारा लिए गए फैसले सही हैं और क्या उनके अंदर कोई बुराई है.” सीजेई (Chief Justice Of India) एन वी रमन्ना ने यह बात सोमवार को श्री सत्य साई इंस्टीट्यूट ऑफ हायर लर्निंग के 40वें कॉन्वोकेशन में कही. जस्टिस रमन्ना ने महाभारत और रामायण का हवाला देते हुए उन 14 बुराइयों के बारे में बताया, जिनसे एक शासक को दूर रहना चाहिए.
चीफ जस्टिस एन वी रमन्ना ने कहा कि हर शासक एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में रहता है. अपना काम शुरू करने से पहले उन्हें यह आत्मनिरीक्षण करना चाहिए कि क्या उनमें कोई बुराई तो नहीं है. नागरिकों को बेहतर प्रशासन देने की जरूरत है जो कि उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप होनी चाहिए. यहां कई बुद्धिमान लोग हैं और आप देश और दुनिया में हो रहे विकासकार्यों को देख रहे हैं. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जनता ही सर्वोपरि है और जो भी फैसले सरकार ने लिए हैं उनका लाभ जनता को मिलना चाहिए.
मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन्ना ने कहा कि, उनकी यह इच्छा थी कि देश में सभी संस्थाएं स्वतंत्र व ईमानदार हो और नागरिकों की बेहतर सेवा देने के उद्देश्य के साथ काम करे, जैसा कि सत्य साई बाबा हमेशा कहा करते थे.
“आधुनिक शिक्षा प्रणाली में बदलाव की जरूरत”
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एन वी रमन्ना ने कहा कि दुर्भाग्यवश, आधुनकि शिक्षा प्रणाली का ध्यान सिर्फ उपयोगितावादी कार्यों पर रहता है. ऐसी शिक्षा प्रणाली नैतिक या आध्यात्मिक कार्यों से सुज्जित नहीं है. जो छात्रों के चरित्र का निर्माण करती है और उन्हें सामाजिक चेतना व भावना विकसित करने की अनुमति देती है.
उन्होंने कहा कि सच्ची शिक्षा वह है जो नैतिक मूल्यों, विनम्रता, अनुशासन, निस्वार्थता, करुणा, सहिष्णुता, क्षमा और आपसी सम्मान के गुणों को अपनाएं.
मुख्य न्यायाधी एन वी रमन्ना ने कहा कि दुनिया पिछले 2 वर्षों के दौरान अभूतपूर्व बदलावों से गुजरी है और कोरोना महामारी ने समाज की गहरी कमजोरियों और असमानताओं को उजागर किया है. ऐसे समय में निःस्वार्थ भाव से सेवा करने की आवश्यकता है.
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